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खेती के प्रति खिंचाव के कारण छोड़ दी इंजिनीयरिंग, अब खेती से निकली सब्जियों को विदेशों में बेचती हैं

भारत में अधिकतर लोंगो के जीवन-यापन का जरिया खेती है। किसान खेतों में मेनहत कर फसल उगता है तब सभी लोग उसे भोजन के रूप में सेवन करते हैं। कभी-कभी इलाके में सुखा के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है और कभी बाढ़ के कारण। कुछ किसान इस परेशानी का सामना आसानी से करते हैं कुछ आत्महत्या कर लेते हैं। कुछ किसान चाहते हैं कि मेरा बेटा किसान बने और कुछ चाहते हैं कि वह अपना रोजी-रोजगार की व्यवस्था किसी और काम के जरिए करे। महिलाएं भी कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं। आपको पहले भी महिलाओं के अन्य कहानियों से अवगत कराया जा चुका है। यह कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसने इंजीनियरिंग छोड़कर खेती करने का फैसला लिया और इनकी सब्जियों की बिक्री विदेशों में हो रही है।

रायपुर की वल्लरी चंद्रकार

रायपुर (Raipur) की निवासी वल्लरी चंद्रकार (Vallari chandrakar) खेती कर सभी लड़कियों के लिए मिसाल बनी है। 27 वर्ष की उम्र में इन्होंने कंप्यूटर साइंस से एम.टेक (M.TECH) किया। अपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई वर्ष 2012 में संपन्न कर असिस्टेंट प्रोफेसर (Assitent Profeser) के रूप में कार्यरत हुई। छुट्टियों के दौरान यह एक बार अपने गांव आईं और उन्होंने पाया कि किसान पुराने तरीके से खेती कर रहे हैं जिससे उन्हें बहुत कम मात्रा में मुनाफा हो रहा है। उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने सोचा कि मैं अब अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दूंगी और खेती करूंगी। फिर वल्लरी लग गईं इस कार्य में।

15 एकड़ भूमि से की खेती की शुरुआत

वल्लरी के पिता के पास जो जमीन खरीदी हुई थी उसमें वह खेती शुरू की। फिर वर्ष 2016 में 15 एकड़ जमीन में खेती की शुरुआत करी। इस खेती में उन्होंने सब्जियां उगानी शुरू की। सब्जियों के रूप में उन्होंने खेत में शिमला मिर्च, टमाटर, लौकी, भिंडी, करेला, बिन्स आदि लगाएं। उनकी खेती सफल हुई और उन्हें सब्जियों के आर्डर आने लगें। जिस तरह से कस्टमर सब्जियों का आर्डर देते, उसी तरह से यह सब्जियां खेत में उगाने लगी। इनकी सब्जियां इंदौर, (Indor), भोपाल (Bhopal), दिल्ली (Delhi), उड़ीसा (Odisa), बेंगलुरु (Bengluru), नागपुर (Nagpur) आदि शहरों में बिकने लगी। यहां तक कि दुबई में इनकी सब्जियों का सप्लाई किया जा रहा है।

लोगों ने बेवकूफ ठहराया

शुरुआती दौर में वल्लरी को सभी लोगों ने पढ़ी-लिखी बेवकूफ होने का दर्जा दिया था। लोगों का मानना था कि जब तुम अच्छी नौकरी कर रही थी तो उसे छोड़ खेती करने की क्या जरूरत थी। इनके पिता ने जो जमीन फॉर्म हाउस के लिए लिया था उन्होंने वहां खेती करना सही समझा और लोगों की बात को अनसुना कर अपने कार्य मे लगी रहीं। इनकी तीन पीढ़ी में अभी तक किसी भी व्यक्ति या महिला ने खेती नहीं किया था। इसीलिए शुरुआती दौड़ में इन्हें मार्केट में किसी भी व्यक्ति से खेती के बारे में बातचीत करने में बहुत दिक्कत होती थी। पहले तो वल्लरी को खेती करने के कुछ भी तरीके की जानकारी नहीं थी। कौन सा पौधा कब लगाए? खेती में क्या लगाकर इसकी शुरुआत करें? ऐसे बहुत से सवाल थे। इसीलिए इन्होंने इंटरनेट की मदद से देश में कैसे खेती हो रही है, इसके लिए जानकारी इकट्ठी की। बेहत सम्वाद कौशल के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ में जाकर खेती के बारे में जानकारी ली। बहुत मेहनत के बाद उनकी सफलता ने सबका मुंह बन्द कर दिया। इनके खेतों में सब्जियां उगने लगीं। साथ मे बिक्री भी होने लगीं।

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युवा भी करतें हैं साथ काम

वल्लरी 7 युवाओं के साथ मिलकर खेती कर रही है। यह युवा इंजीनियरिंग और मार्केटिंग फील्ड से हैं। ये टीम अपने गांव वालों को भी इस खेती के लिए जागरूक कर रही है और लोगों को रोजगार मुहैया भी करा रही हैं। इनकी टीम इनके साथ अहम भूमिका निभा रही है और आगे भी बढ़ रही है। जब यह फ्री रहती हैं तो वहां के बच्चों को इंग्लिश और कंप्यूटर पढ़ाती हैं। लड़कियों के लिए प्रत्येक शाम 2 घण्टे कंप्यूटर और इंग्लिश क्लास भी चलाती है ताकि इनका संवाद कौशल सही हो और ज्ञान बढ़े।

सीखना चाहती हैं इजरायल की खेती

इजरायल इस युग में खेती के लिए नंबर 1 पर आता है। इसीलिए वल्लरी वहां जाकर खेती कैसे की जाती है यह सीखना चाहती हैं। नए तरीके अपनाकर जानकारी इक्ट्ठा कर गांव में आकर खेती करना चाहती हैं। इंजिनियर की नौकरी छोड़ एक लड़की ने खेती को अपनाया The Logically वल्लरी को नमन करता है।

2 COMMENTS

  1. I request you to provide the contact details of ) वल्लरी चंद्रकार (Vallari chandrakar) in order to know and learn more details.

    I read the story about her farming.

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