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गत्ते से अनेकों प्रोडक्ट बनाकर काम शुरू किया, आज 13 हज़ार के बिज़नेस को 1 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंचा चुकी हैं

हमारे जीवन ऐसे बहुत सारी मुश्किलें आती हैं जो हमारी सफलता की राह में कांटे बन जाते हैं। परंतु सफलता उसी को मिलती है जिसने हमेशा प्रयास किया हो कभी मुश्किलों के सामने घुटने ना टेके हों। आज हम एक ऐसी ही लड़की की बात करेंगे जिसने कभी हार नहीं मानी।

वंदना जैन (Vandana Jain)

वंदना जैन बिहार (Bihar) के ठाकुरगंज (Thakurganj) गाँव की रहने वाली हैं। वंदना का परिवार बहुत बड़ा था जिसमें 50 से ज्यादा सदस्य थे। उनके परिवार में सिर्फ लड़को को हीं बाहर पढ़ने जाने की अनुमति थी, लड़कियों को नहीं। वंदना 8वीं तक स्कूल जा कर पढ़ाई कीं उसके बाद सिर्फ परीक्षा देने के लिए वो स्कूल जाती थी।

 handicraft things by Vandana jain

वंदना को घर की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ी

वंदना बताती हैं कि उन्हें बचपन से दुर्गा पूजा में काम करने वाले कारीगरों से मिलने का बहुत मन था। परंतु ये कभी हो नहीं पाया। वंदना के परिवार वाले अब उनकी शादी के बारे में विचार कर रहे थे। वह बताती हैं कि बहुत मुश्किलों के बाद वो अपने परिवार को शादी के लिए मना कर दिल्ली (Delhi) जाने के लिए मना पाईं। इस बार भी उनकी किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया, जाने से सिर्फ 2 दिन पहले उनकी माँ का ब्रेन हेमरेज हो गया। उसके 1 महीना बाद उनकी माँ की मृत्यु हो गई। जिसकी वजह से घर के कामों की जिम्मेदारी भी उन्हें ही उठानी पड़ी।

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वंदना ने मनीष से की शादी

कुछ समय बाद उन्हें फिर से दिल्ली जाने का मौका मिला। वहाँ उनकी मुलाकात मनीष (Manish) से हुई जो कि लखनऊ ( Lucknow) से आईआईएम ( IIM) की पढाई कर रहे थे। कुछ समय बाद वंदना ने मनीष से शादी कर ली। मनीष मुंबई ( Mumbai) के एक कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी करने लगे।

इस तरह आया सिल्वर कंपनी बनाने का आइडिया

मनीष ने वंदना को बहुत प्रोत्साहित किया और उनका दाखिला जेजे स्कूल में करवाया। जब वंदना का कोर्स खत्म हुआ तब तक उनके पति ने भी नया घर ले लिया। जब वंदना घर सजाने का काम कर रही थीं तो पैकिंग के काम में आने वाले अच्छा गत्ता को इकट्ठा कर उससे एक कुर्सी बनाई। एक दोस्त ने उस कुर्सी की बहुत तारीफ की तथा उन्हे कुछ आइडिया भी दिया जिससे वंदना को सिल्वर कंपनी का आइडिया आया।

हँडिक्रफ्ट लैंप और फर्नीचर होता है तैयार

रोमन की जंगल की सुरक्षा करने वाली लड़की सिल्वनस जो के नाम पर वंदना ने अपनी कंपनी का नाम रखा। हँडिक्रफ्ट लैंप और फर्नीचर तथा इको फ्रेंडली सजावट के सामान इनके कंपनी में तैयारी किया जाता हैं। वंदना के द्वारा बहुत से गरीब महिलाओं को रोजगार भी मिला। आज सिल्वर कंपनी रेमंड और मैंकडॉनल्ड जैसे बड़ी कंपनियों के लिए सजावट का काम करती है।

छोटी शुरूआत से करोड़ों का टनओवर

10 साल पहले 13 हजार से वंदना ने सिल्वर कंपनी की शुरूआत की और आज उनकी कंपनी 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर करती है। वंदना कहती हैं कि वो अपने गृहकों को सिर्फ उत्पाद नहीं बल्कि आर्ट वर्क भी बेचती हैं।

The Logically वंदना जैन के इस प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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