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गत्ते से अनेकों प्रोडक्ट बनाती हैं बिहार की वन्दना, मात्र 13 हज़ार की कम्पनी की टर्नओवर आज 1 करोड़ रुपये है

अक्सर हम जिन चीजों को कचरा समझकर फेंक देते हैं उसका कुछ लोग बहुत ही बखूबी से प्रयोग कर लाखों और करोड़ों की कमाई करते हैं। एक बात बहुत बुरी लगती है कि सभी क्षेत्रों में लड़कों को जाने की आजादी लड़कियों से ज्यादा होती है। पढाई में भी लड़कों को लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा तरजीह दी जाती है। आज की कहानी ऐसी लड़की की है जिसने 8वीं तक पढ़ाई तो स्कूल में पढ़कर सम्पन्न की लेकिन आगे के लिए सिर्फ एग्जाम दिए। आज वह करोड़ों की कंपनी को संभाल रही है आईए जानते हैं उनकी इस सफलता का राज।

वन्दना जैन

वन्दना जैन (Vandna Jain) बिहार (Bihar) राज्य के ठाकुरगंज (Thakurganaj) ग्राम से संबंध रखती हैं। वह “सिल्वन स्टूडियो” नाम की कंपनी की फॉउंडर है। उनकी कंपनी लड़की के सजावटी सामान और घर के डेकोरेशन के सामान का निर्माण करती है। आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व उन्होंने मात्र 13 हजार की राशि से अपनी इस कंपनी की शुरुआत की थी लेकिन आज देखा जाए तो उनकी कंपनी करोड़ों की कमाई कर रही है। वह एक संयुक्त परिवार से हैं। उनके परिवार में लगभग 50 सदस्य शामिल थे। उनके यहां सिर्फ लड़कों को ही गांव से दूर जाकर पढ़ाई करने की स्वतंत्रता थी लड़कियों को नहीं। इसमें उन्होंने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई तो गांव के स्कूल से की लेकिन बाकी पढ़ाई के लिए वे सिर्फ परीक्षाएं हीं देने गईं।

Vandna Jain with her teem

मां हुआ निधन

वह अपने लिए कुछ करना चाहती थीं। जब यह छोटी थीं तो दुर्गा पूजा में मां की मूर्ति या फिर अन्य कार्यों को करते हुए कारीगरों को देखकर उनसे मिलने की ख्वाहिश रखती थीं। लेकिन वह जानती थीं कि ख़्वाहिश पूरी नही होगी। उनके घरवाले उनकी शादी करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने उन्हें कहा कि मैं दिल्ली जाऊंगी। लेकिन दुर्भाग्यवश दिल्ली जाने के मात्र 2 दिन पूर्व उनकी मां का निधन ब्रेन हेमरेज के कारण हो गया। अब उनके घर की सारी जिम्मेवारी इनके ऊपर आ गई। फिर कुछ दिनों बाद जब वह दिल्ली गईं तो वहां यह मनीष से मिली जो लखनऊ में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। उनकी शादी वंदना से हो गई फिर वह मुंबई गए और वहां नौकरी करने लगे। वह जॉब एक कॉपोरेट कम्पनी का था।

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कम्पनी का श्री गणेश

वन्दना के पति ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उनका ऐडमिशन जेजे स्कूल में हुआ। कोर्स कम्पलीट हुआ तब उनके पति ने अपने लिए एक नया घर खरीदा। घर को वन्दना अपने तरीके से डेकोरेट करने लगीं। उस दौरान उन्होंने कुर्सी बनाने के लिए गत्ते का उपयोग बहुत ही नायाब तरीके से किया। जिसकी तारीफ उनके दोस्तों ने खूब की। उनके दोस्तों ने सिर्फ तारीफ ही नहीं बल्कि उन्होंने यह सजेशन दिया कि तुम इसका व्यवसाय करो। फिर वन्दना ने उनके तरकीब को स्वीकार किया और सिल्वन नामक कंपनी का शुभारंभ किया।

सफल उद्यमी के रूप में पहचान

सिल्वेन्स जो की रोमन लकड़ी है, वह जंगल के बचाव के लिए है। उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल अपनी उस कंपनी का नाम रखा और उसे वैसा बनाया भी। उनकी कम्पनी हैंडीक्राफ्ट, फर्नीचर, पर्यावरण के अनुकूल डेकोरेशन के सामान का निर्माण करने लगी। उन्होंने अपनी कंपनी में गरीब महिलाओं को जॉब देकर उन्हें बेहतर जीवन प्रदान किया। उनकी कंपनी ने रेमंड जैसी अन्य कंपनियों के डेकोरेशन के लिए भी सामग्रियों को बनाया है। बिहार की वन्दना आज सफल उद्यमी हैं।

पर्यावरण के अनुकूल कार्य करने और करोड़ो का कारोबार स्थापित करने के लिए वन्दना ने जिस मेहनत से अपनी सफलता को हासिल किया उसके लिए The Logically वन्दना जी को सलाम करता है।

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