आजकल ऐसे बहुत ही कम लोग देखने को मिलते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सहायता करें। आज की कहानी ऐसे ही युवक अमन यादव की है जो दिन रात का फर्क भुलाकर बनारस की गलियों में लोगों की मदद कर रहे हैं। अमन यादव (Aman yadav) बनारस के रहने वाले हैं। आज पूरा बनारस अमन को जानता है और उनके काम की सराहना करता है। जब भी बनारस में कहीं भी किसी भी गली में जहां पर एंबुलेंस पहुंचने की सुविधा नहीं है वहाँ अमन पहुंचकर लोगों तक सहायता पहुंचाते हैं।
इस नेक काम के पीछे की कहानी
अमन का यह सफर शुरू होने के पीछे की एक कहानी है। अमन बताते हैं कि एक बार किसी काम से वह सरकारी अस्पताल में गए थे जहां की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। वहां पर मरीजो को किसी प्रकार की सुविधा नहीं थी। अस्पताल के बाहर एक बुजुर्ग महिला बेहोश पड़ी थी। अमन ने किसी तरह से उनके बेटों का नंबर पता कर उनसे संपर्क किया पर उस बूढ़ी महिला के पांच बेटों में से किसी ने भी उन्हें नही पहचाना । तब अमन ने उस महिला की देखभाल की जिम्मेदारी ली पर वह उस बुजुर्ग महिला को बचा नहीं सके। महिला की पोस्टमार्टम के बाद उनके बेटे उनकी हाथ की अंगूठी और सोने की चैन लेने को हाजिर हो गए। इस घटना ने अमन को अंदर तक झकझोर दिया और तब अमन ने यह निश्चय किया कि वह किसी भी हाल में लोगों तक मदद पहुंचाएंगे और तब से उनका यह नेक सफर शुरू हो गया।
अमन यादव की मिनी एम्बुलेंस
2013 में अमन पैदल ही लोगों की मदद किया करते थे। लोग उन्हें उस समय जानने लगे थे, उनके काम को पहचाने लगे थे। इसलिए जब भी जरूरत पड़ती तो लोग उन्हें खुद कॉल करके बुलाते थे। फिर 2015 में शहर के एक व्यवसायी राजीव वर्मा ने अमन को सेकंड हैंड बाइक दी। उस बाइक को अमन ने मिनी एंबुलेंस में तब्दील कर लिया और उसमें सारी जरूरत की दवाइयां, मरहम-पट्टी जैसी ज़रूरी चीज़ें रख ली। अपने इस फर्स्ट एड बॉक्स की सहायता से वह सबसे पहले लोगों को प्राथमिक उपचार देते उसके बाद अपनी मिनी एंबुलेंस पर बैठाकर वह लोगों को अस्पताल तक पहुंचाते हैं।
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लॉकडाउन में भी की लोगो की मदद
कोरोना काल में जहां पूरी दुनिया अपने घर में बन्द थी, उस समय भी अमन ने लोगों तक पहुंच कर उन्हें मदद पहुंचाई है। अमन लॉकडाउन के समय लोगों तक दवाइयां पहुंचाने का भी काम करते थे। बहुत बार लोग उन्हें दवाइयों के दाम से ज्यादा पैसे देने की कोशिश करते हैं पर अमन यह कहते हुए मना कर देते है कि सेवा करना उनका फर्ज है और इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती हैं।
पांच साल पहले पिता का निधन हुआ
अमन की मां बताती है कि उन्हें अपने बेटे पर बहुत ही गर्व है। 5 साल पहले उनके पिता का निधन हो गया था पर उनका यह बहादुर बेटा कभी किसी भी परिस्थिति में टूटा नहीं बल्कि और मजबूत होकर लोगों की मदद करता है।
अमन यादव बनारस के लोगो के लिए अब अमन कबीर हैं
अमन यादव(Aman yadav) को बनारस के लोग अमन कबीर के नाम से जानते हैं । यह नाम उन्हें बनारस के ही एक थाना के थाना प्रभारी आशुतोष तिवारी ने दिया है। आशुतोष तिवारी ने अमन कबीर नाम देते हुए कहा था कि तुम निस्वार्थ भाव से लोगों की सहायता करते हो आज से तुम्हारा नाम अमन कबीर (Aman kabir)है और आज पूरा बनारस अमन यादव को इसी नाम से जानता है।
अमन कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी ही नहीं हर बल्कि हर किसी को लोगों की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए और वह भी बिना किसी स्वार्थ के
अगर आप भी अमन कबीर से संपर्क करना चाहते है तो 8687553080 पर सम्पर्क कर सकते हैं।