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बिना मिट्टी की खेती , केवल किचन से निकले छिलकों, सूखे पत्ते और गोबर की मदद से फल और सब्जी का पैदावार: Vertical Farming

हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं कि बाजार से खरीदी हुई सब्जियों में ज़्यादा मात्रा में केमिकल्स होते हैं। आज कल अच्छी उपज के लिए दवाइयों और इंजेक्शन का उपयोग किया जा रहा है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। इस दौरान “वर्टिकल खेती” करना बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। वर्टिकल खेती करने के लिए जमीन के अभाव में अपने छत पर या बालकनी में प्लास्टिक के डिब्बों और बांस की पाईप में बिना मिट्टी के भी खेती किया जा रहा है। “वर्टिकल खेती” के लिए ख़ुद से खाद बनाया जा सकता है। इससे मुनाफा भी अच्छा हो रहा है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस खेती से उगाये गये सब्जियों और फलों के सेवन से हमें कोई बीमारी भी नहीं होती हैं।

वर्तमान में यह खेती हमारे देश में प्रगति पर है। लोग तेजी से इस तरीके को अपना रहें हैं। इस खेती के लिए छोटे आकार की फसलें ही उगाई जा रही हैं। साग-सब्जियों में शिमला मिर्च, टमाटर , बैंगन, प्याज, सौंफ, गेंदा, लहसुन, उड़द जैसे छोटे आकार के ही पौधों को उगाया जा सकता है। साथ ही फलों में संतरा और बेर जैसे अन्य प्रकार के पौधों को लगाया सकता है। वर्टिकल खेती के माध्यम से जड़ी-बूटियां भी बनाई जा रही है। ज़्यादातर जैविक खेती का उदाहरण मशरूम की खेती है। मशरूम की खेती के लिए किसान बैग, अलमारी ट्रे और कमरो का उपयोग कर रहे है। वर्टिकल खेती का उच्च उदाहरण टिश्यू कल्चर है।

ज़्यादातर वर्टिकल खेती हमारे देश के दिल्ली, हैदराबाद, उत्तराखंड, बेंगलुरु, बिहार अन्य शहरों में हो रही है। पहले वर्टिकल खेती को किसान अपनी आम ज़रूरतों को पुरा करने के माध्यम से कर रहे थे। लेकिन अब यह व्यवसाय का जरिया बन गया है। इस खेती में लागत कम और मुनाफा ज़्यादा मात्रा में होता है। यह खेती सबके लिए लोकप्रिय बन गई है। वर्टिकल खेती को बहुत सारी प्रणालियों के माध्यम से किया जाता है, जिसमे एक है “हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली” इस प्रणाली में पौधों को पानी में उगाया जाता है। दूसरा है, “एयरोपोनिक्स प्रणाली” जिसमे पौधों को कोको पीट या बिना मिट्टी के उगाया जाता है। इस खेती के लिए उर्वरक सब्जियों और फलों के छिलकों, गोवर, किचन वेस्ट से बनाये जाते हैं।

सरकार को भी इस वर्टिकल खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही इस खेती को प्रसिद्ध बनाने के लिए किसानों को निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में विकास केंद्र स्थापित करने की ज़रूरत है। जिससे हर किसान को इस प्रणाली के बारे मे जनकारी सही तरीके से प्राप्त हो और “वर्टिकल खेती “को बढ़ावा मिले।

Khushboo loves to read and write on different issues. She hails from rural Bihar and interacting with different girls on their basic problems. In pursuit of learning stories of mankind , she talks to different people and bring their stories to mainstream.

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