लक्ष्य साधकर यदि निरन्तरता से प्रयास किया जाए तो सफलता अवश्य रूप से हासिल होती है। राह में आने वाली बाधाएं थोङी देर के लिए मार्ग अवश्य अवरूद्ध कर करती है लेकिन डिगा नहीं सकती। आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है एक ऐसे शख्स की कहानी जिन्होंने संघर्ष करके अपनी पढ़ाई पूरी की, फिर अपनी मेहनत से सफलता की ऐसी पराकाष्ठा की जो अन्य लोगों को प्रेरित करने वाला है। आईए जानते हैं विजय सिंह गुर्जर नाम के इस शख्स की कहानी…
विजय सिंह गुर्जर (Vijay Singh Gurjar)
विजय राजस्थान के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। वे कुल पांच भाई-बहन हैं जिसमें विजय तीसरे नंबर पर हैं। विजय के पिता खेती करते हैं तथा उनकी माँ एक गृहणी हैं। विजय के पिता शुरू से हीं अपने सभी बच्चों को पढ़ना चाहते थे। विजय अपनी शुरूआती पढ़ाई गाँव के सरकारी स्कूल से हीं की तथा पढ़ाई के साथ-साथ वे खेत के कामो में भी अपने पिता की मदद करते थे।
खेतो में किया काम
विजय बताते हैं कि जब फसल तैयार हो जाता था तो उसे काटने के लिए उन लोगों को सुबह तीन या चार बजे उठा दिया जाता था और वे लोग आठ बजे तक फसल काटते तत्पश्चात् वे स्कूल जाते थे। इसी तरह शाम का भी रूटीन होता था। जब सारे बच्चे स्कूल से आकर छुट्टियां मानते थे उस समय विजय तथा उनके भाई ऊंट को हल जोतने की ट्रेनिंग देते थे ताकि वह ज्यादा पैसे में बिक सके।
सिविल सेवा में जाने के लिए हुए प्रेरित
विजय शुरू से हीं सरकारी नौकरी करना चाहते हैं क्यूंकि उनके गाँव में सरकारी नौकरी को बहुत सम्मान दिया जाता था। एक बार उन्हें दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल की भर्ती का पता चला जिसके बाद उन्होंने दोस्तों की मदद से तैयारी की और वह पास भी हो गए। विजय के जीवन में बहुत से ऐसे वाकये हुए जिससे वह सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित हुए।
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समाज से भेद-भाव मिटाना चाहते
विजय हमेशा इस बात से डरते थे कि वह यह कर सकेंगे या नहीं क्यूंकि वह हिंदी मीडियम के पढ़े थे और संस्कृत से ग्रेजुएशन किए थे लेकिन अपनी मेहनत से उन्होंने सफलता पाई। कुछ समय पश्चात् विजय कॉन्स्टेबल से सब-इंस्पेक्टर के पद तक पहुँचे। विजय ने कड़ी मेहनत की और एसएससी की परीक्षा पास करके इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में एक अच्छे पद पर कार्यरत हुए। एक अच्छी नौकरी पा लेने के बाद उनके अंदर की परोपकारिता हमेशा उन्हें कुछ करने को उत्साहित करती थी। वह समाज के लिए कुछ करना चाहते थे तथा भेद-भाव को जङ से मिटाना चाहते थे।
अपने सीनियर्स से मिली प्रेरणा
विजय को यूपीएससी के लिए अपने सीनियर्स से प्रेरणा मिली जिसके बाद वह नौकरी के साथ हीं यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। उनके लिए तत्कालीन नौकरी छोड़ना मुश्किल था इसलिए विजय लंच ब्रेक में भी पढ़ते थे। उन्होंने बहुत हीं कड़ी मेहनत की हलांकि साल 2016 तक उन्हें सफलता नहीं मिल पाई फिर भी उन्होंने इस बात से कभी हार नहीं मानी और ना कभी निराश हुए। कठिन परिश्रम के फलस्वरूप साल 2017 में विजय को सफलता प्राप्त हुई।
विजय का परिवार करता था उनको मोटिवेट
विजय बताते हैं कि जब भी वह हताश होते थे तो उनकी पत्नी और परिवार के लोग उनको मोटिवेट करते थे। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा में पहले आप क्या कर चुके हैं या किस जाति के हैं, इनसब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने बताया कि उनका 55 प्रतिशत से ज्यादा अंक कभी नहीं आया फिर भी वह यूपीएससी क्लीयर कर लिए इसलिए कह सकता हूं कि कोई भी कड़ी मेहनत करके यूपीएससी की परीक्षा पास कर सकता है। इसमें सबसे जरूरी है अपनी गलती को पहचान कर उसे दूर करना। विजय कहते हैं कि अगर इसमे बहुत ज्यादा समय लगता है तो भी रूकना नहीं चाहिए बस प्रयास पूरा होना चाहिए।
The Logically विजय सिंह गुर्जर की कड़ी मेहनती की तारीफ करता है और उन्हें उनकी कामयाबी के लिए बधाईयां देता है।