Wednesday, December 13, 2023

एक ऐसा गांव जहां 600 लोग हर वक्त ब्लड डोनेशन को रहते हैं तैयार, गूगल ने ‘रक्तदाताओं का नगर’ की उपाधि दी

कहते हैं अगर हमारी जिंदगी किसी की काम आए है, तो जिंदगी सफल हो जाती है और अगर वह मदद रक्त से हो तो वह किसी का जीवन बचा सकता है। यही वजह है कि रक्तदान को सबसे बड़ा दान कहा जाता है। 18 से अधिक उम्र का हर व्यक्ति 3 से 4 महीने में रक्तदान कर सकता है। आज हम आपको कर्नाटक के एक गांव अक्की अलुरू (Akki Aluru) के बारे में बताएंगे, जो रक्तदान के अहमियत को समझते है। – This village of Hanagal in Karnataka is known for its blood donors.

रक्तदाताओं का नगर बन चुका है इस गांव की पहचान

अगर आप गुूगल पर भी इस गांव को सर्च करें तो वह भी इसे ‘रक्तदाताओं का नगर’ (The Hometown of Blood Donors) बताता है। कर्नाटक के जिला हावेरी के हानागल तालुक (Hanagal Taluk) का यह गांव अपने रक्तदाताओं के लिए जाना जाता है। आपको बता दें कि 600 गांववालों ने रक्तदान के लिए रेजिस्टर किया है और नियमित रूप से रक्तदान भी कर रहे हैं।

Village of blood donors

स्नेहमैत्री रक्तदानी बलगा रक्त सैनिक के नाम से जानी जाती है

रिपोर्ट की मानें तो इस गांव के रहने वाले करीबसप्पा गोंडी नामक एक पुलिस कॉन्सटेबल ने साल 2015 में इस मुहीम की शुरुआत की थी। आपको बता दें कि स्नेहमैत्री रक्तदानी बलगा (Snehamytri Raktadaani Balaga) एक ऐसी अनोखी सेना है जिसके सैनिक नियमित रूप से रक्तदान करते हैं। साल 2015 से अब तक 21,000 बार रक्तदान किया जा चुका है इसलिए इस सेना के सैनिक खुद को ‘रक्त सैनिक’ कहते हैं। – This village of Hanagal in Karnataka is known for its blood donors.

Village of blood donors

अब तक 19 गांवों में लगा चुके है रक्तदान शिविर

रक्त सैनिक करीबसप्पा को हम रक्त सैनिक के नाम से जानते है। वह बताते है कि हमने अब तक लगभग 19 गांवों में रक्तदान शिविर लगाए हैं, जिसमें से मेरे फोन में 5100 रक्तदाताओं के नाम और ब्लड ग्रुप सेव्ड हैं। यह उन लोगों का नंबर है, जो जरूरत पड़ने पर डोनेशन की व्यवस्था कर देता है, वह अब तक 52 बार रक्तदान कर चुके है। टीम के पास NWRTC बस है जिसका नाम ‘रक्तदान रथ’ है। यह बस आपको ब्लड डोनर्स के बारे में जानकारी देती है और लोगों को रक्तदान को लिए जागरुक करती है।

Village of blood donors

Thalassemia से प्रेरित 23 बच्चों की बच्चा रहे हैं जिंदगी

पड़ोस के गांव में लगभग 23 बच्चों को Thalassemia है। आपको बता दें कि इस बीमारी में पीड़ित का हेमोग्लोबिन नॉर्मल से काफी कम हो जाता है। रक्तदान सैनिकों का यह टीम 3 से 12 साल के उम्र के बच्चों को नियमित रूप से खून देकर उनकी जिन्दगी बचा रहे हैं, जिससे इन्हें डोनर नहीं खोजनी पड़ती। खास बात यह है कि इस गांव के लोग ना केवल खुद रक्तदान करते है बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरति करते हैं।

Village of blood donors

यह गांव हर किसी के लिए प्रेरणा है

वह अलग-अलग जगहों पर रक्तदान शिविर भी लगाता है और लोगों को इसके बारे में बताते है। इस गांव के हर बच्चे को रक्तदान की जानकारी है। यह किसी की जिन्दगी बचाने के लिए कुछ भी कर सकते है। यहां से बहुत से लोग बहुत दूर रक्तदान करने जाते है। यह गांव केवल अन्य गांवों के लिए नहीं बल्कि अन्य शहरों तथा हर एक व्यक्ति के लिए प्रेरणा है। – This village of Hanagal in Karnataka is known for its blood donors.