आजकल लोग शिक्षा के साथ-साथ कई क्षेत्रों में कार्य कर अपनी सफलता का परचम लहरा रहे हैं। कई लोग विपरीत परिस्थितियों से जूझकर आगे बढ़ जाते हैं तो कई अच्छी खासी सुख-सुविधाओं को छोड़कर संघर्ष को अपनाते हैं और अपनी काबिलियत से अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। आज हम लाए हैं एक ऐसे शख्स की कहानी जिन्होंने अपने कार्य से ना सिर्फ खुद सफलता पाई बल्कि अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। विनोद कुमार जी ने The Logically से बात करते हुए अपनी सफलता की कहानी साझा की। आईए जानते हैं विनोद कुमार और उनके किए गए कार्यों के बारे में…
विनोद कुमार हरियाणा के गुरुग्राम जिले के रहने वाले हैं। वे आज मिलिट्री मशरूम की खेती कर रहे हैं। वैसे तो विनोद की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी खेती की हीं रही है लेकिन उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई के बाद मानेसर आईटीआई से मैकेनिकल में डिप्लोमा का कोर्स किया। उसे पूरा करने के बाद विनोद ने किसी कंपनी के तरफ ना जाते हुए खेती को अपनाया। The Logically से बात करते हुए विनोद कहते हैं कि “मैं जहां रहता हूं ज्यादातर लोग नौकरी कर रहे हैं लेकिन उसकी भी एक समय सीमा निर्धारित है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन समय सीमा के बाद क्या? इसलिए मैंने खेती को अपनाय जहां की उम्र की सीमा ना रहे।
विनोद ने मोती की खेती की शुरूआत की लेकिन मोती की खेती के लिए सीप की सप्लाई करवानी पड़ती है, जिसमें थोड़ी मशक्कतें हुई। उसके बाद उन्होंने नवंबर 2019 में मशरूम की खेती के बारे में जानना शुरू किया और यूट्यूब से उसकी ट्रेनिंग ली। लॉकडाउन में मोती की खेती के लिए सीप की सप्लाई पूरी तरह बंद हो गई जिसके बाद विनोद ने अपनी मशरूम की खेती को और भी ज्यादा बढ़ाना शुरू किया। शुरुआत में तो यह भी परेशानी थी कि उन्हें खरीदेगा कौन? इसलिए उन्होंने शुरुआत बहुत कम से की लेकिन धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ाया। विनोद बताते हैं कि यह एक मेडिसिन मशरुम है, जिसके कई फायदे हैं। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है साथ ही अस्थमा, एनेमिया, एलर्जी, डायबिटीज, हृदय रोग इत्यादि में बहुत लाभकारी होता है। इसलिए उन्होंने इसे पहले मरीजों को बेचना शुरू किया। फिर जब रिजल्ट अच्छा रहा तो, उन्होंने आयुर्वेद डॉक्टर, जिम में एक्सरसाइज करने वाले बच्चों को दिया और ऐसे धीरे-धीरे उसकी मांग बाजार में बढ़ती चली गई।
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अपनी मशरूम की खेती के बारे में विनोद जी ने The Logically को बताया कि वे अब 15×15 के लैब में इस मशरूम को उगाते हैं। वह लैब उन्होंने अपने घर के कमरे में ही तैयार कर रखा है। विनोद बताते हैं कि यह लैब वातानुकूलित है, जिसमें 20-22 घंटे तक तापमान 18-22 डिग्री सेल्सियस रखना होता है। इस लैब को तैयार करने में लगभग 1 लाख रुपए का खर्च आता है, लेकिन कमाई भी वैसे हीं होती है। आज विनोद इसी मशरूम की खेती से लाखों रुपए कमाते हैं। वे बताते हैं कि अगर पैदावार अच्छी हो तो इस मशरूम की कीमत बाजार में 2-3 लाख रुपये प्रति किलो है, लेकिन वे इसे 70 से 1 लाख रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं।
विनोद बताते हैं कि इस मशरूम की खेती में यह ध्यान रखना होता है कि लैब में कोई भी बाहरी व्यक्ति ना प्रवेश करे क्योंकि बाहर से आए उस व्यक्ति के साथ आने वाला बैक्टिरिया फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। यह फसलें कांच, प्लास्टिक के जार या बॉक्स में उगाई जाती हैं। इसमें खाद की तो जरूरत नहीं होती लेकिन खाद की जगह इसके अंदर ब्राउन राइस और लैब में बने लिक्विड कल्चर डालते हैं। सारी प्रक्रिया के बाद यह मशरुम 65 से 70 दिनों में तैयार भी हो जाता है। इन मशरूमों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये 2-3 सालों तक खराब नहीं होता है।
विनोद बताते हैं कि औषधीय गुणों से भरपूर यह मशरुम कॉर्डीसेप्स मटेरियल मशरुम भी कहलाते हैं। यह प्राकृतिक रूप से उगने वाली कीड़ाजड़ी का हीं एक रूप है। इसमें प्रोटीन, पेप्टाइड्स, अमीना, एसिड विटामिन- B1, B2, B12 जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभ देता है। विनोद खुद तो इसकी खेती करते ही हैं। साथ ही वे इसके फायदे और खेती की विधि बताते हुए दूसरे किसानों को भी इस मशरूम की खेती करने का सुझाव देते हैं।
आप इस नम्बर पर विनोद से सम्पर्क कर सकते हैं-9050555757
विनोद कुमार जी ने अपनी मशरूम की खेती से सफलता हासिल कर कृषि करने वाले लोगों के लिए प्ररेणा का संचार किया है। The Logically विनोद कुमार जी की खूब सराहना करता है तथा अपनी कृषि के बारे में अपनी बात साझा करने हेतु उन्हें बहुत बहुत धन्यवाद देता है।