जीवन के हर पढ़ाव में आपको कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, जीवन हर किसी को अपने उम्मीद के मुताबिक नहीं मिलता। यदि इन्सान के मन में कुछ अलग और नया करने का जज्बा हो तो मौका मिल ही जाता है। अगर इन्सान को अपनी काबिलियत के लायक काम और पैसा नहीं मिलता तो वह उस काम को नहीं करना चाहता है। यह सही भी है। आज हम बात करेंगे, एक ऐसे लड़के की जिसने अपनी काबिलियत के अनुसार सैलरी नहीं मिलने के कारण कृषि में अच्छी सम्भावना को देखते हुए खेती के तरफ रुख कर लिया। आज वह बिना मिट्टी के छत पर कृषि करता है।
कौन है वह लड़का
विपिन यादव (Vipin Yadav), जो की हरियाणा के गुड़गांव (Gudgaon) जिले के सैदपुर फर्रुखनगर के रहने वाले हैं। विपिन यादव ने कंप्यूटर साइंस से ग्रेजुएट किया हैं। अगर इन्सान को अपनी निपुणता के अनुसार किसी काम का मूल्य न मिलें तो इन्सान वह काम नहीं करना चाहता है। विपिन यादव भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश कर रहें थे लेकिन उनको भी अपने योग्यता का सही मूल्य नहीं मिलता था। आजकल के नये दौर में कृषि क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य देख विपिन ने फूलों की खेती करने के लिये अपने एक मित्र से सहायता ली। कृषि करने के लिये विपिन ने गुडगाँव के जमीन का चयन किया। वहां जमीन पर बनी छत पर बिना मिट्टी के ही फूलों की खेती (टेरेस फार्मिंग) आरंभ कियें। विपिन गुडगाँव में छत पर बना हुआ पॉलीहाउस में उत्पादन करतें हैं।
किराये के जमीन पर शुरू की खेती
विपिन यादव (Vipin Yadav) ने फूलों की कृषि करने के लिये गुडगाँव में किराया का जमीन लिया। उसी पर फूलों की खेती करने लगें। विपिन को किराये का पैसा देने के बाद 25 से 30 हज़ार रुपये का आमदनी होता है। विपिन ने अपनी नर्सरी में फूलों के कई प्रकार के जाति और भिन्न-भिन्न रंगों में लगाएं हैं। इसके अलावा विपिन अपने पास के नर्सरी में “प्रो ट्रे” बनाते हैं और इसकी आपूर्ति भी करतें हैं। एक प्रो ट्रे होल्स की संख्या 102 हैं।
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प्रो ट्रे से क्या है फायदा
विपिन ने यह जानकारी दी कि नारियल के बुरादे, बर्मिको, परलाइट को अन्य हिस्सों में मिलाकर उसे प्रो ट्रे में डालने के बाद बेड का निर्माण होता है। फिर जो भी सैंपल हुए हैं, उन्हें ट्रे में लगाया जाता है। महीनों में इनमें लगभग निरीक्षण कर प्रतिदिन 2-3 बार सिंचाई भी की जाती है। जब यह पौधे तैयार हो जाते हैं तो उन्हें खेत में लगा दिया जाता है। वैसे तो अधिकतर पौधे प्रो ट्रे के माध्यम से ही बिक जाते हैं।
बाजार में फूलों की है मांग
इन्होंने अपने छत पर पोलीहाउस का निर्माण किया है। इसके जरिए यह फूलों को उगाते हैं। जहां ज्यादातर फूलों की मांग होती है, उस एरिया में इन्होंने रेंट पर जगह ले लिया है और वहां फूलों की खेती कर रहे हैं। इनकी फूलों से इतनी कमाई हो जा रही है कि वह उसका किराया देने के बाद भी 25-30 हज़ार प्रत्येक महीने कमा लेतें हैं। यह अपने एक नए प्रोजेक्ट का शुभारंभ करने जा रहे हैं। जो मात्र 800 स्क्वायर फीट में है। इस प्रोजेक्ट का एक फायदा यह है कि हर मौसम में फूलों को प्राप्त किया जा सकता है। इससे इन्हें लगभग डेढ़ लाख का मुनाफा होगा। विपिन ने अपने नर्सरी में अनेक प्रकार के फूलों को लगाया है। फूलों की सप्लाई यह “प्रो ट्रे” बनाकर करतें हैं। एक प्रो ट्रे में लगभग 202 होल है।
हर महीने कमाते हैं 25 से 30 हजार रूपये
विपिन यादव का कहना है कि वह पोली हाउस के तकनीक से वे अपने छत पर फूलों की और सब्जियों की खेती करके महीने के सभी खर्च हटाकर 25 से 30 हजार रूपये कमा लेता हैं। अब आगे विपिन यादव जल्द ही अपना नया प्रोजेक्ट लाने की योजना कर रहे हैं जिसमें वे 800 sq ft में अपना नर्सरी खोलेंगे।
युवाओं को मुफ्त ट्रेनिंग देने के साथ-साथ सभी लोगो के लिए बने हैं प्रेरणा
विपिन यादव कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे हैं। मन मुताबिक नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने नौकरी के बजाय आधुनिक खेती के तरफ ध्यान दिया। वह बाकी लोगों की तरह सरकार को कोसने के बजाय अपने आधुनिक खेती पर ध्यान देता है इसलिए वह औरों से अलग है। इसके साथ ही साथ वह युवाओं को आधुनिक खेती के तरफ ध्यान देने के लिए ट्रेनिंग भी देता हैं तथा प्रोत्साहित भी करता हैं। अपने सफल कामयाबी के वजह से वह आजकल खूब चर्चा में है तथा लोगों के लिए प्रेरणा भी बने हुए है।