Sunday, December 10, 2023

ग्रैजुएट होने के बाद भी नही मिली नौकरी, अब खेती कर हर महीने 25-30 हजार तक कमाते हैं: प्रेरक किसान

देश में बेरोजगारी एक ऐसा मुद्दा है जो कई युवाओं के दिलों को कुरेद रहा है। करोड़ों युवा हर साल पढ़ाई पूरी करने ये बाद नौकरी तलाशते हैं लेकिन मन मुताबिक या नौकरी ही न मिलने के कारण ये सपने धूमिल हो जाते हैं।

अगर युवा पीढ़ी कुछ नया, इनोवेटिव कर के स्टार्टअप या खुद का बिजनेस शुरू करे तो नौकरी ढूंढने के बजाय वह नौकरी देने के काबिल हो सकते है।
इसके लिए किसी बहुत बड़े फंड, इन्वेस्टमेंट या तजुर्बे की जरूरत नहीं है बल्कि जरूरत है कुछ अच्छे आइडिया और हौसले कि जिससे आप कुछ नया कर सके।

किसानी को बनाया आमदनी जानिए कैसे ?

इसका एक उदाहरण हम आपको देने जा रहे हैं। ये कहानी है गुड़गांव हरियाणा के गांव सैदपुर फर्रुखनगर के रहने वाले विपिन यादव की जिन्होंने कंप्यूटर साइंस में बीएससी करने के बाद नौकरी की तलाश शुरू की। लेकिन सैलरी पैकेज काबिलियत के अनुरूप नहीं मिलने पर उन्होंने कुछ अलग और नया करने को सोचा।

ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि खेती केवल किसानों का काम है लेकिन बता दें कि सही सूझबूझ के साथ अगर इसमें हाथ आजमाया जाए तो अच्छी कमाई की जा सकती है।

फ्लॉवर प्रोडक्शन की ट्रेनिंग के बाद किया स्टार्टअप

खेती में भविष्य की संभावना को देखकर अपने एक दोस्त की सहायता से विपिन ने फूलों की खेती की ट्रेनिंग ली और रूख कर लिया गुड़गांव की जमीन पर बनी छतों की ओर जहां उन्होंने बिना मिट्टी के फूलों की टेरेस फार्मिंग की शुरुआत की।

फिलहाल वो टेरेस पर बने पॉलीहाउस में प्रोडक्शन कर रहे हैं। गुड़गांव क्षेत्र में फूलों की अधिक मांग होने के कारण विपिन ने किराए की जगह लेकर फूलों का प्रोडक्शन शुरू किया। फूलों की अनेकों प्रजातियां अनेकों रंगों में विपिन ने अपनी नर्सरी में लगाई है। इतना ही नहीं वे नज़दीकी नर्सरी में भी प्रो ट्रे बना कर सप्लाई करते हैं, एक प्रो ट्रे में 102 होल्स होते हैं।

इस काम से वह 25 से 30 हजार रुपए महीना कमा रहे हैं। साथ ही आगे 800 स्क्वायर फीट में नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करने जा रहे हैं। जिसमें नेचुरल वेंटिलेशन, कूलिंग एवं हीटिंग पैड का प्रयोग करके वह हाईटेक नर्सरी प्रोडक्ट्स बनाएंगे जो हर मौसम में उपलब्ध रहेंगे। इस प्लांट से विपिन के मुनाफे में एक से डेढ़ लाख तक का इज़ाफा होगा।

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बिना मिट्टी के उगाते है फूल

मीडिया से बातचीत में विपिन ने बताया था कि कोकोपीट यानि नारियल का बुरादे, परलाइक और बर्मीको लाइट को 3,1,1 के भाग में मिलाकर प्रो ट्रे में डालकर बेड बनाया जाता है और सैप्‍लिंगस को उठाकर ट्रे में लगा दिया जाता है। एक डेढ़ महीने तक दो-तीन दिन में एक बार पानी देकर इनकी देखभाल की जाती है। ट्रे में जर्मिनेशन होने के बाद खेतों में रोपित होने के लिए पौधे तैयार हो जाते हैं। वैसे ज्यादातर पौधे प्रो ट्रे की स्थिति में ही बिक जाते हैं।

कई युवाओं के लिए बने मोटीवेशन

कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएट खेती में ही अपना भविष्य देखते हैं। नई योजनाओं के साथ अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए विपिन भरपूर मेहनत कर रहे हैं। फिलहाल विपिन उनके संपर्क में आने वाले इच्छुक लोगों को निशुल्क ट्रेनिंग देकर यह तकनीक सिखा रहे हैं।

आज की युवा पीढ़ी के लिए विपिन किसी मिसाल से कम नहीं। उन्होंने साबित कर दिया कि आइडिया और सही सूझबूझ से हम काफी बेहतर चीजें कर सकते है। जरूरी नहीं कि रोजगार के लिए किसी के ऊपर निर्भर होना पड़े अगर हमारे अंदर टैलेंट है तो हम रोजगार दे भी सकते हैं ।

The Logically विपिन की मेहनत और समाज में लोगों को निशुल्क ट्रेनिंग देने के लिए सलाम करता है। साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।