वैसे तो हमारे देश के बिहार में शिक्षा की स्थिति बेहद दयनीय है। हर सरकारी स्कूल का हाल मात्र मिडे मिल तक ही सीमित हो गया है। यहां के कई स्कूलों में शिक्षक मात्र अपना अटेंडेंस बनाने के लिए आते हैं ना कि बच्चों को पढ़ाने के लिए। बस अपनी औपचारिकता निभाकर शिक्षक स्कूलों में पूरा दिन यूं हीं बिता देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि जब बिना ड्यूटी पूरा किए पैसा मिल जाना है तो ड्यूटी क्यों करनी। आराम की कमाई तो सबको अच्छी लगती है। लेकिन आज भी ऐसे बहुत से शिक्षक यहां मौजूद हैं जो पढ़ाने के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं। बच्चों को सिखाने के लिए ऐसे ट्रिक का उपयोग करते हैं जो आसान हो और बच्चे उसे जल्द ही सिख लें।
सोशल मीडिया पर हुआ प्रशिक्षक का वीडियो वायरल
आजकल सोशल मीडिया पर बिहार राज्य के एक ऐसे ही शिक्षक, यूं कहें तो प्रशिक्षक की वीडियो खूब वायरल हो रहा है जो लोगों को प्रेरित कर रही है। वैसे इस वीडियो में आपको शिक्षक ही दिखेंगे लेकिन बच्चे नहीं। लेकिन ऐसा अनुभव किया जा सकता है कि ये प्रशिक्षक इसी तरह बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां के शिक्षकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं। उनके इस ट्रिक को उनके डिपार्टमेंट के सभी अध्यापक उनके कहें क्यों कविता को बोलकर उनका साथ दे रहे हैं। वह अधयापकों के साथ अपने पढ़ाने के अंदाज को लेकर काफी एक्टिव दिख रहे हैं।
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वीडियो देखें:-👇👇
ट्रेनर की सलाह
सरकारी स्कूलों में शिक्षा को मनोरंजन बनाने के लिए सरकार द्वारा चहक प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि शिक्षक बच्चों को मनोरंजन द्वारा पढ़ाए। इससे उन्हें पढ़ना आसान होगा और ये काफी मनोरंजक भी होगा। ट्रेनर कहते हैं कि अगर हम ऐसा कर बच्चों को पढ़ाना या बोलना सिखाएंगे तो उनके दिमाग में इस चीज की तस्वीर बनेगी जिससे उन्हें हर चीज आसानी से याद होगा।
मनोरंजक पंक्तियां
ये वीडियो बिहार (Bihar) के समस्तीपुर जिले का है जहां एक शिक्षक अपने समूह में एक ऐसी कविता कहता है जिससे वह गिनती को याद करने में सहजता दिखा रहा है। वह पंक्तियां हैं,” आलू-आलू दो चलो धान बो, आलू-आलू तीन बज रहा है बीन, आलू चार खट्टा अचार, आलू पांच सांच को नहीं है आंच, आलू-आलू छौ हवा धीरे-धीरे बह, आलू-आलू सात रोटी साग-भात।” उनकी ये पंक्तियां यहां स्थित सभी स्टाप को पसन्द आ रही है वह इसका आनंद भी उठा रहे हैं।
हमें उम्मीद है इस वीडियो को देखकर काफी शिक्षकों को सीख मिलेगी और वह कोशिश करेंगे कि बच्चों को मनोरंजन के साथ पढ़ा सकें ताकि बच्चों का पढ़ाई में मन लगे और वे ज्यादा से ज्यादा स्कूल जाएं।