आजकल खेती करना एक ट्रेंड बन गया है। लोगों का रुझान खेती की तरफ इस कदर बढ़ा है कि लोग अपनी नौकरी छोड़कर खेती करने लगे हैं। ऐसे में बिहार के रहने वाले संतोष की बात करना जरूरी है। संतोष पपीते (Papaya) की खेती करते हैं। इससे वह हर वर्ष चार से पांच लाख रुपए की कमाई भी कर रहे हैं। उन्होंने पपीते की फसल को ठीक से उगाने की जानकारी दी।
बिहार के बेगूसराय जिले में एक गांव है, जिसका नाम है मोहनपुर। जब भी आप इस गांव के स्टेट हाईवे-55 की सड़क से गुजरेंगे तब आपको इसके दोनों तरफ के खेतों में केवल पपीते (Papaya) के पौधे ही नजर आएंगे। बात दरअसल यह है कि इस इलाके में पपीते की बहुत ज्यादा खेती होती है। यहां के किसान इस फसल को लगा कर लाखों की आमदनी कमा रहे हैं। इतना ही नहीं इस गांव को पपीते की अधिक खेती करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा साल 2019 में सम्मानित भी किया था। परंपरागत खेती को छोड़कर यहां के किसान कैश क्रॉप कहे जाने वाले पपीते (Papaya) की खेती कर रहे हैं, और वे इससे बहुत ज्यादा कमाई भी कर रहे हैं। यहां का पपीता (Papaya) अब पश्चिम बंगाल के बाजारों तक भी पहुंच रहा है।
मोहनपुर के रहने वाले संतोष पपीते की खेती का व्यवसाय करते हैं। उन्होंने बताया कि इस इलाके में करीब 100 बीघे में पपीते (Papaya) की खेती होती है। हालांकि यह एक नगदी फसल है, जिसके कारण यहां के किसानों का झुकाव इसकी तरफ ज्यादा हैं।
हर वर्ष लगभग 4 से 5 लाख रुपए की कमाई की जा सकती है
संतोष का कहना है कि पपीते (Papaya) की खेती से होने वाली आमदनी के बारे में मैं इतना कह सकता हूं कि अगर यह फसल ठीक से हो गई तो हम एक-दो सालों में लगभग 4 से 5 लाख तक की कमाई कर सकते हैं। जबकि गेहूं और मक्का की खेती से होने वाले आमदनी के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें तो मजदूरी भी नहीं निकल पाती है।
यहां की मिट्टी के बारे में संतोष बताते हैं कि पपीते (Papaya) की खेती के लिए लाभदायक है। साथ ही वह कहते हैं कि खेती के प्रति समर्पण ही सबकुछ है। अब वह समय नहीं रहा कि फसल की बुवाई करके छोड़ दिया और वह तैयार हो जाएगी।
अप्रैल का महीना पपीते (Papaya) की खेती के लिए फायदेमंद है
वैसे तो हम पपीते (Papaya) की खेती पूरे साल कर सकते हैं, परंतु इसकी खेती के लिए प्रमुख समय अप्रैल का महीना होता है। अक्टूबर महीने के आसपास इसमें फल निकलने लगते हैं। पपीते (Papaya) की मुख्य बात यह है कि अगर इसका पौधा पूरी तरह से स्वस्थ रहे, तो 2 से 3 साल तक यह फल देते रहेगा पर कई बार कुछ बीमारी की वजह से यह जल्दी ही खत्म हो जाता है।
खेत पर आसपास के व्यापारी पहुंचते हैं
संतोष ने बताया कि इसमें कई तरह के कीट लगते हैं और अभी तक इसका पूर्ण रूप से कोई निदान नहीं निकल पाया है। अगर इसका कुछ निदान निकल जाए तो एक बीघे में पपीते (Papaya) की खेती से 10 से 15 लाख तक की कमाई की जा सकती है।
मोहनपुर में आसपास के लोग पपीते की खरीदारी तो करते ही हैं साथ ही राज्य के अलग-अलग हिस्सों से भी व्यापारी यहां पपीता (Papaya) लेने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं यहां आर्डर करने पर पैक करके भी पपीते (Papaya) पहुंचाए जाते हैं।