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Lockdown में स्कूल बंद रहा तो बच्चों ने स्कूल के फील्ड में लगा दिए सब्जियां, क्विन्टल से भी अधिक पैदावार हुआ

कोरोना वायरस (Corona Virus) का कहर पूरी दुनिया पर टुट पड़ा है। इससे कोई भी देश अछुता नहीं रहा। कोरोना वायरस की वजह से बहुत लोगों की जिंदगी की डोर उनके हाथ से छुट गईं। बहुत सी जान अभी भी अपने जीवन की डोर को थाम कर हॉस्पिटल में जिन्दगी और मौत से लड़ रही हैं। ऐसे में किसी के भी जीवन को दावं पर नहीं लगाया जा सकता है। फिलहाल हर जगह शॉपिंग मॉल, पार्क यह सब बन्द है। हमारे देश में भी कोरोना के कारण सभी स्कूल, कॉलेज, इन्स्टीट्यूट, पार्क, शॉपिंग मॉल ऐसे ही बहुत पब्लिक के घुमने वाली जगहें बन्द पड़ी हुई है। स्कूल, कॉलेज बंद होने से सभी छात्र ऑनलाइन क्लासेज के द्वारा पढ़ाई कर रहें हैं। ऐसे में खासकर स्कूलों का प्लेग्राउंड सुनसान पड़ा है।

जैसा कि हम सब जानतें हैं, आजकल अधिकतर लोगों का रुझान कृषि की तरफ बढ़ता ही जा रहा है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। आजकल कृषि करने के बहुत फायदे भी है। बंद पड़े स्कूलों के प्लेग्राउंड का इस्तेमाल खेती करने के लिए अच्छा है। ऑर्गेनिक सब्जियों को उगाने के लिए कोयंबटूर (Koyambatur) में एक प्राईवेट स्कूल के फील्ड का बहुत अच्छे से उपयोग हो रहा है।

वीरपंडी पिरिवू (Weerpandi Piriwu) के जॉनस मैट्रीकुलेसन हाइयर सेकेंडरी स्कूल (ST Jon's Matriculation Heigher Secondary School) ने वर्ष 2016 में एक NGO को बुलाया था। NGO के प्रेसीडेंट का नाम बीएन विश्वनाथ (BN Vishwanath) था। उस NGO का नाम गार्डेन सिटी फार्मरस (Garden City Farmers) था। इस NGO ने बच्चों को छत पर खेती कैसे किया जाता है, इसके बारें में उन्होनें बच्चों को अवगत कराया था। NGO के द्वारा खेती करने के गुण को बताये जाने के बाद स्कूल प्रबंधन ने स्कूल के ग्राउंड में ही बच्चों को फार्मींग कैसे किया जायेगा उस विधि को सिखाये जाने का काम आरंभ कर दिया। 

स्कूल प्रबंधन ने साल 2016 से स्कूल के परिसर में ही आर्गेनिक (Organic) सब्जियां उगाने का काम कर रहा है। लॉकडाउन के दौरान 4 शिक्षक ऑनलाइन क्लास कराने के लिए स्कूल जाते थे। जब ऑनलाइन क्लास खत्म हो जाता था तब वे आर्गेनिक सब्जियों की देख-रेख करते थे। कुछ समय प्रकृति के साथ व्यतीत करने के लिए शिक्षकों ने स्वेच्छा से इस काम को किया जिससे उनके जीवन का कुछ हिस्सा हरियाली के साथ गुजरे। स्कूल के एक शिक्षक (Teacher) जिसकी उम्र 30 वर्ष है, ने बताया कि वह पढ़ाने का काम शुरु करने से पहले खेती का काम करतें थे। लेकिन यहां के स्कूल में आकर उनका दोनों काम हो जाता है। पढ़ाने के बाद बचा हुआ कुछ पल खेती में गुजारते हैं।

उस स्कूल के प्रधानाचार्य (Principal) ने बताया कि वर्ष 2019-20 में लगभग 2,500 किलो सब्जियों की उपज हुईं है। इन आर्गेनिक सब्जियों को बेचने के बाद जितना मुनाफा होता है वह सब शिक्षकों को बराबर-बराबर हिस्सों में बांट दिया जाता है।

The Logically स्कूल में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेती का भी गुण सिखाने के लिए स्कूल के शिक्षकों का शुक्रिया अदा करता है।

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