Monday, December 11, 2023

रंगों का त्योहार होली मनाने के पीछे ये असली वजह: जान लीजिए

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है, जिसे हर साल बसंत ऋतु के मौसम में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। जो तीन दिनों तक चलता है। पहले दिन रात में होलिका दहन होता है, दूसरे दिन होली खेली जाती है और तीसरे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। प्राचीन काल से मनाया जाने वाला त्योहार होली के बारे में कहा जाता है कि इस दिन लोग दुश्मनी भुलाकर गले लग जाते है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार। – History behind celebrating Holi festival.

हिरण्यकश्यप को मिला था ऐसा वरदान

हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था, जो कई वर्षों तक कठिन तपस्या करके ब्रह्मा जी से यह वरदान पा लिया कि संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे नहीं मार सकता। इसके अलावा न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न घर से बाहर, यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे नहीं मार सकता। ऐसा वरदान लेकर उसके अंदर घमंड की भावना पैदा हो गया। वह जबरदस्ती लोगों से अपनी पूजा करवाने लगा तथा उनपर अत्याचार करने लगा।

Why holi is celebrated what the main reason behind it

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हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद था भगवान विष्णु का भक्त

कुछ समय बाद हिरण्यकश्यप को बेटा हुआ, जिसका नाम उन्होंने प्रह्लाद रखा। प्रह्लाद बचपन से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि भी थी। यह देख हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की पूजा न करे। जब प्रह्लाद ने अपने पिता का आदेश नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का हर संभव प्रयास किया। उसे पहाड़ी से फेंका, विषैलें सांपो के साथ छोड़ दिया, लेकिन वह प्रभु की कृपा से बच गया। – History behind celebrating Holi festival.

बार-बार असफलता मिलने पर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। आपको बता दें कि होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था। दरअसल उसे वरदान में एक ऐसी चादर मिली हुई थी, जिसे ओढ़कर वह आग में नहीं जल सकती थी। होलिका प्रह्लाद को गोद में उठाकर जलाकर मारने के उद्देश्य से वरदान वाली चादर ओढ़ धूं-धूं करती आग में जा बैठी। भगवान की कृपा से उसी दौरान बहुत तेज आंधी आई और वह चादर उड़कर बालक प्रह्लाद पर आ गई, जिससे होलिका जल कर भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया।

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भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर वद्ध किया

हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं नरसिंह अवतार लिया और खंभे से निकल कर गोधूली समय में दरवाजे की चौखट पर बैठकर हिरण्यकश्यप को अपने नाखूनों से मार डाला। उसी समय से बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए होली का त्योहार मनाया जा रहा हैं। – History behind celebrating Holi festival.

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