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वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर ने बंजर जमीन को मिनी फॉरेस्ट में किया तब्दील, मौजूद हैं 60 अलग-अलग प्रजातियों के 800 पेड़

Wildlife Photographer Pompayya Malemath turned barren land into mini forest

कहते हैं यदि इन्सान कुछ करने का निश्चय कर ले तो उसे कोई भी बाधा नहीं रोक सकती हैं फिर चाहे वह किसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करनी हो या फिर बंजर जमीन को हरा-भरा करना हो। ऐसी दृढ़ निश्चय की कहानी आपने कई बार पढ़ी या सुनी होगी और आज की यह कहानी भी एक ऐसे ही शख्स की है जिसने अपनी मेहनत से बंजर जमीन पर पेड़-पौधें लगाकर हरा-भरा कर दिया है।

कौन है वह व्यक्ति?

हम बात कर रहे हैं पेड़-पौधें लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना अहम योगदान देनेवाले पोम्पैया मालेमत (Pompayya Malemath) की, जो एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर (Wildlife Photographer) हैं। वह कर्नाटक (Karnataka) के विजयनगर के कमलापुर के रहनेवाले हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से बंजर जमीन को हरी-भरी प्रकृति से जीवित कर दिया है।

कैसे आया पौधारोपण करने का विचार?

पोम्पैया के जमीन के पास में ही एक जगह थी जो कूड़ा-करकट का बसेरा बन गया था। यह उनसे देखा नहीं गया और उन्होंने अनुमति लेकर उस जमीन को कूड़ा से छुटकारा दिलाकर उसकी कायापलट करने का फैसला लिया। हालांकि, जब उन्होंने उस बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर हरा-भरा करने का फैसला किया तो लोगों को उनपर शक हुआ। लेकिन पोम्पैया रुके नहीं और साल 2015 में उन्होंने उस बंजर भूमि पर 50 पौधें लगाएं।

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बंजर जमीन को मिनी फॉरेस्ट में किया तब्दील

बजंर जमीन को उपजाऊ बनाना आसान नहीं होता क्योंकि पेड़-पौधों के विकास की उम्मीद बहुत ही कम होती है। ऐसे में जब पोम्पैया पेड़ लगा रहे थे तब उनके मन में एक ही विचार चल रहा था कि यदि उनके लगाए गए पौधों में से दो पौधा भी पेड़ बन जाएगा तो उनकी मेहनत सफल होगी और उनकी मेहनत सफल भी रही। तीन वर्ष बाद वह बंजर भूमि एक मिनी जंगल में तब्दील हो गई जहां 60 अलग-अलग प्रजातियों के लगभग 800 पेड़ मौजूद हैं।

आसान नहीं था बंजर भूमि को फॉरेस्ट में बदलना

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर पोम्पैया (Wildlife Photographer Pompayya Malemath) ने बताया कि, बंजर जमीन पर पेड़-पौधें लगाकर फॉरेस्ट में तब्दील करना आसान नहीं था। पौधें लगाने से पहले पोम्पैया ने उस बंजर जमीन पर मौजूद बड़े-बड़े पत्थर को हटाया उसके बाद वहां खाद-पानी डालकर मिट्टी को तैयार किया। मिट्टी तैयार करने के बाद उन्होंने नारियल, पपीता और नीम के पेड़ लगाया।

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सूखे जमीन को हरा-भरा करके पूरा किया सपना

पोम्पैया ने अपनी मेहनत से न सिर्फ अपनी जमीन को हरा-भरा किया बल्कि विजयनगर प्रशासन से लीज पर ली गई 2.5 एकड़ जमीन पर भी हरियाली दिया। एक समय में वह स्थान बीहड़ था लेकिन वर्तमान में वह जगह उनकी मेहनत के कारण लगभग 80 भिन्न-भिन्न प्रजातियों के परिदों का स्थान बन गया है। सूखे और बंजर जमीन को मिनी फॉरेस्ट में तब्दील करके उन्होंने अपने एक बहुत बड़े सपने को हकीकत में बदल दिया है।

वाइल्डलाइफ लवर्स और फोटोग्राफर्स आते हैं घूमने

पोम्पैया अपने द्वारा लगाए गए मिनी जंगल (Mini Forest) में मौजूद सभी पेड़-पौधों को अपने बच्चों की भांति देखरेख करते हैं। उनके इस जंगल को देखने के लिए स्कूल के छात्र, वाइल्डलाइफ प्रेमी समेत फोटोग्राफर्स भी आते हैं और पिक्चर कैप्चर करते हैं। बता दें कि, वह जंगल लगाने के साथ-साथ ग्रामीणों और आस-पास के लोगों में पर्यावरण को बचाने और पेड़-पौधें लगाने के लिए जागरुकता भी फैला रहे हैं।

आज के समय में जहां लोग पेड़-पौधा लगाने के बजाय उनकी अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं वहीं पोम्पैया मालेमत ने बंजर जमीन को मिनी जंगल में तब्दील करके मिसाल पेश की है। सभी को पोम्पैया से प्रेरणा लेकर पौधारोपण पर जोर देना चाहिए ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे। यदि पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो इस धरती पर जीवन भी सुरक्षित रहेगा। The Logically पोम्पैया की तारीफ करता है।

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