Sunday, December 10, 2023

कचरे के कारोबार से दिहाड़ी मजदूरी करने वाली महिलाएं अब कमाती हैं 12,000 रु

क्या आपको पता है कि कचरा भी आमदनी का अच्छा जरिया बन सकता है?
इस बात को सच कर दिखाया है हैदराबाद के सेरिलिंगाम्पल्ली, Greater Hyderabad Municipal Corporation (GHMC), की जोनल कमिश्नर हरी चंदना दसरी (Hari Chandana Dasari) ने। वह वर्तमान में एक आईएएस (IAS) ऑफिसर हैं। उन्होंने साल 2010 में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफलता प्राप्त किया था।

Women are earning through Recycle plastic an idea proposal by an IAS officer

695 महिलाओं को मिला रोज़गार

हरी चंदना दसरी रीसाइक्लिंग (Recycling) आंदोलन पर बहुत विश्वास करती हैं। इसके तहत उन्होंने एक सेल्फ-हेल्प (Self-help) ग्रुप बनाया है, जिससे अब तक वह 695 महिलाओं को रोजगार मिल चुका है। इसके तहत 195 महिलाएं कपड़े के बैग्स सिलती हैं और उन्हें बाज़ार मे बेच कर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। झुग्गियों से आए 400 महिलाएं जूट बैग्स बनाने का काम करती हैं।

Women are earning through Recycle plastic an idea proposal by an IAS officer

रीसाइक्ल (Recycle) हुए प्लास्टिक का उपयोग

एक इंटरव्यू के दौरान हरी चंदना दसरी कहती हैं कि जब मैंने जवाहरनगर (Jawahar Nagar) के कूड़े के ढेर को पहली बार देखा, तब ही यह फैसला किया कि अगर इस वेस्ट को शुरूआती लेवल पर ही रीसाइक्ल (Recycle) किया जाए तो यह दोबारा इस्तेमाल में आ सकता है और इसके प्रयोग से प्रदूषण भी कम फैलेगा। हरी चंदना (Hari Chandana) बताती हैं कि रिसाइक्ल (Recycle) हुए प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत सी चीजों के लिए किया जा सकता है। जैसे- फर्नीचर, रूफिंग शीट्स, इंटीरियर आदि के लिए।

Women are earning through Recycle plastic an idea proposal by an IAS officer
Women are earning through Recycle plastic an idea proposal by an IAS officer
Women are earning through Recycle plastic an idea proposal by an IAS officer

जूट बैग्स बेचकर महिलाएं कर रही है कमाई

महिलाओं द्वारा तीन कटलरी बैंक्स का संचालन भी किया जाता है। उन्हें बाजार में कम कीमत पर बेचा जाता है। हरी चंदना अपने इस मुहिम के जरिए प्लास्टिक इस्तेमाल को कम करना चाहती हैं। साथ ही महिलाओं को रोज़गार भी दिला रही है। वर्तमान में एमए नगर, स्टालिन नगर और मियापुर स्लम की कुछ महिलाएं प्लास्टिक के नेगेटिव प्रभाव की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं। सेल्फ-हेल्प समूह की एक मेंबर ममता ( Mamta) कहती हैं कि पहले मैं दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करती थी परंतु बहुत मुश्किलों के बाद आज मैं करीब 12 हज़ार रुपए कमा लेती हूं। अब ममता जूट बैग्स बेचकर अच्छी कमाई कर रही हैं।