आज के इस आधुनिक युग में घर की छतों पर फुल, बगीचा लगाने के साथ ही साथ सब्जियों की खेती करना भी एक फैशन सा बन गया है। शहरों से शुरू हुआ इस रिवाज का अब गांव के तरफ भी प्रचलन बढ़ गया है। अभी तक हमने ज्यादातर शहरों या गांवों में घर के छतो पर फूल बगीचे लगाने तथा जैविक खेती करने का काम पुरुषों के द्वारा ही देखा है, लेकिन आज हम बात करेंगे, एक ऐसी महिला की, जिन्होंने छत पर जैविक खेती करके एक मिसाल पेश किया है।
कौन है वह महिला ?
हम बात कर रहे हैं, सुलफत मोइद्दीन (Sulfat Moiddin) की, जो मूल रूप से केरल (Kerala) के एर्नाकुलम जिले के एक गाँव की रहने वाली हैं। इनकी उम्र 46 साल है। सुलफत मोइद्दीन पिछले 24 सालों से अपने घर के छत पर टेरेस फार्मिंग कर रही हैं, जिससे उनकी कमाई भी हो रही है। सुलफत मोइद्दीन 12वीं तक की पढ़ाई की है। वह आस-पास के लोगों से प्रेरणा लेकर अपने घर के 2000 वर्ग फुट के छत पर जैविक खेती करने का काम करती हैं, जिससे शुद्ध खाने-पीने के साथ साथ प्रकृति सौन्दर्य का भी बढ़ावा होता है। वे उन लोगों के लिए प्रेरणा बनी हुई है जिनके पास खेती करने के लिए अपने खुद के जमीन नहीं है।
घर की छतों पर उगाती है, 150 तरह के फल और सब्जियां
सुलफत मोइद्दीन (Sulfat Moiddin) बताती हैं कि, घर के छतो पर 2000 वर्ग फीट में लगभग डेढ़ सौ तरह के फल तथा सब्जियां उगाने का उद्देश्य खुद का खानपान का पूर्ति करना ही नहीं है बल्कि उनका उद्देश्य है कि उनके द्वारा उगाया गये फलो तथा सब्जियों के बिक्री के पैसे से उनका जीविका चलता है। उनका उदेश्य है कि उनके द्वारा लगाया गया फल तथा सब्जी बाजार में भी जाए जिससे लोग भी ऐसे काम करने की जागरूक हो। आज के समय में उनकी छत पर 1000 ग्रो बैग और गमले हैं, जिनमें वह फल, मौसमी सब्जियां, सलाद, मसाले की फसल उगाने का काम करती हैं। वे मौसम के अनुसार अलग-अलग सब्जियों की खेती करती हैं जैसे प्याज, अदरक, हल्दी, पुदीना, धनिया, मक्का, प्याज तथा सौंफ की भी खेती करती हैं। वे हरी चारे के रूप में यूज होने वाले अजोला की भी खेती अपनी छतों पर ही करती हैं। उनका कहना है कि वे घर के छतो ऊपर उगने वाले सब्जियों को उगाने वाले मिट्टी तथा उर्वरक अपने घर पर ही तैयार करती हैं। इसके लिए वे कोकोपीट, हरी खाद, गोबर, केंचुआ खाद और सरसों खली का इस्तेमाल करती हैं। इतना ही नहीं वे पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन सिस्टम और ‘विक सिस्टम’ का इस्तेमाल करती हैं। विक सिस्टम के तहतआप ग्रो बैग या गमले के पास पानी से भरा हुआ बर्तन रखते हैं और कोई रस्सी या कपड़े की डोरी लेकर, इसका एक सिरा गमले या ग्रो बैग में पौधों के पास लगाते हैं और दूसरा सिरा पानी के बर्तन में डालते हैं। इससे पौधों को लम्बे समय तक नमी मिलती है और सिंचाई में पानी भी कम खर्च होता है। यह सिंचाई का आधुनिक तरीका है। इस सब काम के अलावे वे अपनी एक एकड़ जमीन पर सामान्य खेती के साथ ही साथ मछली पालन और मुर्गी पालन भी करती हैं।
यह भी पढ़ें :- खेती की नई पद्धति से किसान कमा रहे हैं लाखों, आप भी जानिए खेती से पैसे कमाने का अनोखा तरीका
छतो पर उगाने वाले जैविक खेती से करती हैं अच्छी कमाई
सुलफत मोइद्दीन का कहना है कि, घर के छतो के ऊपर उगाने वाले फलो तथा सब्जियों के जैविक खेती का मूल उद्देश्य अच्छी कमाई करना है। वे अपनी मेहनत के बदौलत सभी तरह के खर्चे छोड़ कर ₹20000 प्रति महीने की कमाई करती है। वह स्थानीय दुकानों में और कृषि भवन में स्टॉल लगाकर फल तथा सब्जियां बेचा करती हैं। उनके आसपास रहने वाले लोग उनके घर से आकर भी फल-सब्जियां खरीदकर ले जाते हैं। कुछ लोग तो उनके घर पर टेरेस फार्मिंग भी देखने आते हैं। उनका कहना है कि अब वह टेरेस फार्मिंग करने के बाद इतना सक्षम हो चुकी है कि खुद शुद्ध खाना-पीना के साथ ही साथ दूसरों को भी शुद्ध खाना देने को सक्षम है। वे बताती है कि लोगों को अपनी छत का सही उपयोग करने की भी वे सलाह देती हैं।
अब तक मिल चुके है लगभग 42 अवार्ड
सुलफत मोइद्दीन को जैविक किसान होने पर गर्व महसूस होता है। उन्हें कृषि क्षेत्र में सफल काम के लिए समय-समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा है। अभी तक अपने इस काम के लिए उनको ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर लगभग 42 अवॉर्ड मिल चुके हैं। उन्हें साल 2020 में केरल के ‘सर्वश्रेष्ठ टेरेस किसान’ केटेगरी में अवॉर्ड भी मिला है। उनका कहना है कि अवॉर्ड मिलने से भी ज्यादा ख़ुशी तब उन्हें मिलती है जब लोग उनसे जुड़कर अपने घरों की छतों पर टेरेस फार्मिंग का काम शुरू करते हैं।