अधिकतर लोगों से हमने ये वाक्या अवश्य सुना होगा कि तुम तो लड़की हो आखिर करोगी क्या, रोटियां सेंकने के अलावा?? तुम्हारा काम घर सम्भालना है और परिवार के सदस्यों की देखभाल करनी है। लेकिन हम सभी ये जानते हैं कि 21वीं सदी की महिलाएं हर संभव इस प्रयास में लगी हैं कि वो हर क्षेत्र में कामयाब हो सकें। हलांकि हमारे देश की महिलाएं अपने कामयाबी का झंडा हर जगह बुलन्द कर रही हैं।
आज हम आपको ऐसी महिलाओं के विषय में जानकारी देंगे जो अपने क्षेत्र में सब्जी एवं फूलों की खेती से लाखों रुपए कमाकर स्वयं को आत्मनिर्भर बना रही है एवं अन्य लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन रही है। आज उनसे अन्य महिलाएं प्रेरणा लेकर स्वयं इस कार्य से जुड़ रही हैं एवं अपना आजीविका भी चला रही हैं। आईए जानते हैं कि वे महिलाएं हमारे देश के किस जिले से हैं जो अपने क्षेत्र में अपनी मेहनत के बदौलत सफलता की ध्वज लहराने में कामयाब हुई है।
महिलाएं कर रही हैं खेती से अधिक उत्पादन
ये कहानी दुर्ग जिले के विकासखण्ड के ग्राम पंचायत अरसनारा के महिलाओं की है। यहां पर गौठान निर्माण, चारागाह और बाड़ी विकसित हुआ है। यहां लोग गोबर को बेचकर आय वर्जित कर रहे हैं। यहां समुदायिक बाड़ी के लिए स्व-सहायता समूह को जमीन भी दी गई है। जहां महिलाएं फूल एवं सब्जी को उगाकर अधिक मात्रा में उत्पादन कर लाभ कमा रही हैं। -Women of Durg district are becoming self-sufficient by farming
उद्यानिक विभाग से मिल रहा है अनुदान और मदद
इस खेती में महिलाओं को उद्यानिक विभाग द्वारा सब्जियों में प्याज, भिंडी, बैंगन एवं लौकी के बीज के साथ 3000 गेंदे के फूल पर अच्छा अनुदान भी मिला है। अनुदान के अतिरिक्त यहां तकनीकी सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए अधिकारियों को भेजा जा रहा है ताकि महिलाओं को खेती से बेहतर लाभ मिल सके। महिलाएं फिर इस कोशिश में लगी हैं कि वह बेहतर प्रयास से अधिक आय अर्जित कर सकें। -Women of Durg district are becoming self-sufficient by farming
कर रहीं हैं अधिक लाभ प्राप्त
शुरुआती दौर में पंचायत ने स्वयं हीं बाड़ी एवं चरागाह के विकास के लिए काम किया। परंतु जनपद पंचायत पाटन द्वारा ग्रुप में डिस्कशन किया गया एवं फिर स्व सहायता ग्रुप को मोटिवेट किया गया ताकि वह अपने कार्य स्वयं कर सके। इस मोटिवेशन का बेहतर परिणाम निकला और वहां के जय माँ संतोषी स्व-सहायता ग्रुप एवं भगवती स्व सहायत ग्रुप की महिलाएं फुर्ती से कार्य कर अधिक लाभ हासिल कर रही हैं।
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ग्रामीण लेवल पर कर रही हैं अधिक निर्यात
खर्च के तौर पर उन्होंने 90000 रुपए खर्च किए हैं और वही लाभ में उन्हें लगभग 2 लाख 35 हज़ार रुपए प्राप्त हुए हैं। उन्होंने लगभग 1 क्विंटल सब्जी का उत्पादन कर अधिक मात्रा में लाभ प्राप्त किया है। बात अगर फूलों की करें तो उन्हें फूलों से भी अधिक लाभ मिल रहा है। ग्रामीण लेवल पर यहां की महिलाएं एमजीजीबी योजना द्वारा अपने लोकल मार्केट में सब्जियों का निर्यात कर बेहतर आय प्राप्त रही हैं। -Women of Durg district are becoming self-sufficient by farming
फूलों से हो रहा है 1 दिन में 800 रुपए की कमाई
उन्होंने अपने खेतों में गेंदे के फूल लगाए हैं जिससे वह प्रतिदिन 40 से 50 क्विंटल का उत्पादन कर रही हैं। वे प्रतिदन इससे 800 रुपए कमा रही हैं। वे गेंदे के फूल की खेती इसीलिए कर रही हैं क्योंकि इसमें 35 से 40 दिनों में फूल आने लगते हैं और आय का स्रोत प्रारंभ हो जाता है। वहीं इससे महिलाएं लगभग 4 महीने तक फूल प्राप्त कर लाभ कमा सकती हैं। -Women of Durg district are becoming self-sufficient by farming