भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के किसान खेती के लिए तरह-तरह के कंपोस्ट तैयार कर फसल उपजाते हैं। कभी भारी बारिश के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है तो कभी सूखा पड़ने के कारण। फिर भी किसान हार नहीं मानते और खेती करते रहते हैं। आज की हमारी यह कहानी “मैराथन धावक” नीला रेनाविकर पंचपोर की है। जो जगह की कमी के कारण शहर में रहते हुए अपने घर की छत पर अनेक प्रकार की सब्जियां उगा रहीं है।
आजकल ज़्यादातर किसान जैविक खेती कर रहें हैं। इनमें से एक हैं पुणे की रहने वाली नीला जो बिना मिट्टी के सब्जियां अपने छत पर उगाती हैं। इन्होंने अपने 450 स्क्वायर फ़ीट टेरेस गार्डन में कई तरह के सब्जियों और फलों के पौधें लगाई हैं जो देखने मे बहुत ही मनमोहक लगते हैं।
सूखे पतों और गोबर से बनाती है उर्वरक
Nila अपने पेड़-पौधों के लिए खुद से उर्वरक बनाती हैं। यह उर्वरक वह सूखे पत्तों, गोबर और किचन वेस्ट जैसी चीजों से बनाती है। पत्तों से बने खाद मे ज़्यादा मात्रा में नमी मौजूद रहती है जिससे पौधों की सेहत बनी रहती है, और पौधे सुखते नहीं है। साथ ही उपज भी बहुत अच्छी होती है।
खेती करनी शुरू की तो उन्हें पता नहीं था कि कैसे खेती करें। फिर वह इंटरनेट की मदद से काफी सारी तकनीक सीखी और कुछ दिनों बाद उन्होंने अपने घर पर ही एक डिब्बे में कुछ सूखी पत्तियां, गोबर और किचन वेस्ट जैसी सामग्रियों को मिलाकर खाद बनाना सीख गईं। फिर शुरू हुआ नीला के ऑर्गेनिक खेती करने का सफ़र या यूं कहें तो खेती करने का सफ़र।
बाल्टी में बीज लगाकर की शुरुआत
शुरुआती दौर में उन्होंने एक बाल्टी में कंपोस्ट डाला और उसमें खीरा का बीज लगाया। फिर उसे नियमित तौर पर पानी देने लगी। लगभग 30 दिनों बाद उस बाल्टी में दो खीरे उगे इस छोटी सी जीत से उन्हें बहुत खुशी हुई और वह आगे की तैयारी शुरू कर दी। कुछ दिनों बाद ही वह मिर्च, टमाटर के साथ ही आलू भी ज़्यादा मात्रा में उगाने लगी।
Nila के द्वारा किये गये खेती के फ़ायदें
नीला बिना मिट्टी के खेती की बहुत सारी फ़ायदें बताती हैं जिसमें से एक है- उस बीज मे कीड़े नहीं लगते, मिट्टी वाली खेतों में पोषण के लिए पानी की भी आवश्यकता होती है जबकि इसमें नहीं होती। सबसे खास बात तो यह है कि इस तरीक़े से की गई खेती में घास-पतवार नहीं उगते हैं क्योंकि इनमें मिट्टी की मात्रा नहीं होती है।
यह भी पढ़े :-
आपदा में अवसर : Lockdown में मशरूम की खेती शुरू कर बने आत्मनिर्भर
प्लास्टिक के डब्बे में लगाती हैं पौधें
पर्यावरण संरक्षण के लिए नीला प्लास्टिक के बर्तनों तथा पुराने डिब्बों में पौधों को लगाती हैं। उन्होंने अपने टेरेस पर कम-से -कम 100 से अधिक डिब्बों में पौधे लगाए हैं। अपने छत के बगीचे में उगाए हुए फल को नीला जरूरतमंद लोगों में वितरित कर देती हैं।
अपना खेती करने का तरीक़ा सबके साथ साझा किया
नीला ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है जिसमें वह खेती-बाड़ी से जुड़े तरिक़ों को सबको बताती हैं कि कैसे बिना मिट्टी के पौधों को बचाया जा सकता है और उर्वरक को ख़ुद से कैसे बनाया जा सकता है। उनके बनाए इस ग्रुप में लगभग 30,000 से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। वह सारी जानकारी फेसबुक पर भी दोस्तों के साथ साझा करती हैं। The Logically नीला के द्वारा किये गए पर्यावरण संरक्षण के प्रयास को सलाम करता है।
Hello plastic ki bottle to jaldi break ho jati hai wo break na ho kya kary
I want to join her Whats app group to learn the planting techniques. Can I get her number
Kindly provide Mila’s what’s app group no to join.
The knowledge provided by u is good nd inspiring, thanks
i want to learn this..can you please share her number..
Very good and I appreciate your work mam I m also a Nature lover and I also growing plant at my roof I m beginner please give some tips for organic gardening.
Informative
Maam plz help me to field the vegetables nd fruits
Ms khusboo u r doing praiseworthy work. Keep it up. I am proud of you.
I want to join u
Mam please give me some Mathers for growing plants….
Mam mere plants me flowers to aatey hai but unka fruit nahin Banta us ka koi solutions pl….
How could I get complete process and seeds of organic farming on terrace.
I want to join whatsapp gp.nila.
I am interested in growing vegetables of roofs. Please guide me.
Pls hame bhi janna hai kaise lagati hai plants ?
I want to get more information regarding growing vegetables on roofs of homes. Please guide me. Thanks