व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं।
आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥
संस्कृत का यह श्लोक हमें स्वास्थ्य की महत्ता बताता है। इसका अर्थ है, “व्यायाम से स्वास्थ्य लाभ, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है, स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं अर्थात् अगर हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ है तो सभी काम कर सकते हैं।”
विश्व स्वास्थ्य दिवस
विश्व भर में स्वास्थ्य और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के उद्देश्य से 7 अप्रैल 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ (WHO) की स्थापना की गई थी। चूंकि स्थापना 7 अप्रैल को हुई थी, इसलिए 1950 से हर साल इस दिन को विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) के रूप में मनाया जाने लगा। डब्ल्यूएचओ विश्व पटल पर लोगों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निवारण का कार्य करता है। यह रोगों से जुड़े अफवाहों और मिथकों को दूर करने के लिए जागरूकता फैलाने का भी काम करता है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का उद्देश्य
हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाने का उद्देश्य है कि लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। शारीरिक रूप से स्वस्थ्य रहने के साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहना भी ज़रूरी है। मन स्वस्थ नहीं रहेगा या तनाव होगा तो एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्या बढ़ने लगती है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व स्तर पर लगभग 264 मिलियन से अधिक लोग अव’साद से पीड़ित हैं और हर साल करीब 800 000 लोग आत्म’हत्या करते हैं।
पटना की जानी मानी मनोचिकित्सक डॉक्टर बिंदा सिंह जी का इस संदर्भ में कहना है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए मन का स्वस्थ रहना बेहद ज़रूरी है। जब तक मन खुश नहीं होगा, हम किसी काम पर ध्यान नहीं दे सकते। लोग मेंटल हेल्थ के बारे में खुलकर बात करने से झिझकते है, परेशानी होने पर भी इलाज़ कराने से मना करते है, जो गलत है।
शरीर का इलाज़ कराने में संकोच नहीं करते तो मन का इलाज़ कराने में कैसी शर्म: डॉक्टर बिंदा
The Logically से बात करते हुए डॉक्टर बिंदा कहती हैं कि कई बार रोगी या उसके घर वाले ‘लोग क्या कहेंगे’ के डर से मनोचिकित्सक (psychologist) के पास नहीं आना चाहते। उनके मन में डर होता है कि लोग उन्हें पागल समझने लगेंगे। डॉक्टर बिंदा इसे एक उदाहरण से समझाती हैं कि उनके पास एक लड़का आया था जो काफी स्ट्रेस में था लेकिन उसके माता-पिता मन की बदमाशी कहकर टाल देते थे। आगे वह कहती हैं, “शरीर का इलाज़ कराने में संकोच नहीं करते तो मन का इलाज़ कराने में भी शर्म नहीं करनी चाहिए।” साइंस मेडिकल जर्नल लैनसेट (2016) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10 ज़रूरतमंद लोगों में से सिर्फ़ एक व्यक्ति को डॉक्टरी मदद मिलती है।
मन से बीमार व्यक्ति शारीरिक रूप से भी बीमार हो जाता है। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट काउंसलिंग से लोगों की थेरेपी करते हैं। डॉक्टर बिंदा बताती है कि बिहेवियर थरेपी (Behavioral therapy) या संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा (Cognitive-behavioral Therapy-CBT) से लोगों को ट्रीटमेंट दिया जाता है।
डॉक्टर बिंदा के अनुसार स्ट्रेस फ्री रहने के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान दें:-
• सुबह टहलना शुरू करें.
• प्रतिदिन एक्सरसाइज़ करें.
• कम से कम 8 घंटे की नींद ज़रूर लें. सोते वक्त मोबाइल का उपयोग कम करें.
• अपने दोस्तों या परिवार वालों से बातें करें, उनसे अपनी समस्याएं साझा करें.
• अपने लिए समय निकालें और अपने रुचि के अनुसार काम करें.
• प्रकृति से जुड़े रहें.
• कॉन्फिडेंट रहें. मन में डर नहीं रहेगा तो तनाव भी नहीं होगा.
• जल्दी घबराएं नहीं. समाधान के बारे में सोचें न कि समस्या के बारे में.