ट्रेंड कर रहा है गाड़ियों पर गाय का गोबर पोतना पुणे के मशहूर डॉक्टर ने भी किया ट्रेंड को फ़ॉलो
अभी तो जून भी नहीं आया और देश भर में गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है और पारा अर्धशतक तक लग चुका है। भीषण गर्मी के चलते लोग आए दिन नए प्रयोग कर रहे हैं। हाल ही में अहमदाबाद रहने वाली एक महिला ने अपनी लाखों की टोयोटा कोरोला एल्टिस (Toyota Corolla Altis) पर गाय के गोबर का लेप लगाया था। और तब से ये ट्रेंड बनता जा रहा है, अब इसी ट्रेंड को फ़ॉलो करते पुणे के एक सीनियर डॉक्टर ने अपनी महिंद्रा एक्सयूवी500 (Mahindra XUV500) पर गाय के गोबर लेप लगाया है।
कार में गोबर लगाने से क्या फ़ायदे हुए
गाय के गोबर से लिपि हुई ये महिंद्रा एक्सयूवी 500 की तस्वीरें इस समय इंटरनेट पर तेज़ी से वायरल हो रही हैं। इस तस्वीर में पुणे के डॉ. नवनाथ दुधल (Dr. Navnath Dudhal) अपनी इस एसयूवी के साथ खड़े हैं। डॉ. नवनाथ का कहना है कि ऐसा करने से उनको गाड़ी का प्रयोग करते वक्त एसी का कम से कम प्रयोग करना पड़ रहा है इससे गाड़ी सामान्य तौर पर कम गर्म हो रही है।
बता दें कि, ये महिंद्रा एक्सयूवी500 (Mahindra XUV500) का पहला जेनरेशन है जिसकी बॉडी पर गाय का गोबर लगाया गया है। इस गाड़ी पर गोबर के तीन लेयर को लगाई गई है और एसयूवी के ग्लॉस एरिया को छोड़कर पूरी बॉडी को गोबर से कवर किया गया है। डॉ. नवनाथ का कहना है कि गाय गोबर को लगाए जाने के बाद सूर्य की रोशनी सीधे गाड़ी की बॉडी पर नहीं पड़ती है। जिससे इसके भीतर का तापमान कम रहता है।
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कैसे साफ करते हैं गोबर
इसके अलावा डॉ. नवनाथ बताते है की जब वे इसे हटाते है तो पानी और कॉटन के कपड़े से इसे आसानी से साफ करते है। गोबर से गाड़ी के पेंट पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। बता दें कि, डा. नवनाथ मुंबई के टाटा कैंसर हॉस्पिटल (Tata Cancer Hospital) में सीनियर डॉक्टर हैं। उनका दावा है कि ये विचार उनके दिमाग में इसलिए आया क्योंकि वो नियमित रूप से कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए गोमूत्र के लाभ का अध्ययन करते रहते हैं।
हालांकि आपको बता दे कि वैज्ञानिक तौर पर अभी भी इस बात की कोई पुष्टी नहीं की गई है कि, क्या वास्तव में गाय का गोबर कार को भीतर से ठंडा रख सकता है। लेकिन हम इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते हैं कि, हमारे देश में ये बहुत ही पुराना चलन रहा है जब गांव में लोग घरों की कच्ची दीवारों, फर्श यहां तक की छत तक को भी गाय के गोबर से लीपने (लेयर बनाने की प्रक्रिया) का काम करते रहे हैं।
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