आजकल खेती के साथ-साथ मवेशीपालन का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। पशुपालन लोगों की आमदनी के लिए आज एक महत्वपूर्ण जरिया बन चुका है। आमदनी के हिसाब से देखें तो पशुपालन में लागत कम ही होती है लेकिन जरूरत होती है कठिन मेहनत और देखभाल से जुड़ी कुछ खास बातों पर ध्यान देने की।
पशुपालन के क्षेत्र में यूं तो कई तरह के पशुओं को पाला जाता है जिसमें गाय, भैंस, बकरा, भेंङ, मुर्गा, बत्तख, कबूतर आदि प्रमुख हैं। आज इस खास पेशकश में हम आपको बकरा पालन के बारे में बताएंगे। इस क्रम में हम आपको हरियाणा के नरेंद्र (Narendra) और लोकेश (Lokesh) से मिलवाएंगे जिन्होंने यदुवंशी गोट फार्म (Yaduvanshi Goat Farm) खोल रखा है और आज बङे स्तर पर बकरा पालन कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। आईए जानते हैं उन्हीं की जुबानी की बकरा पालन कैसे करें, उसके चैलेंजेज क्या हैं, किन-किन चीजों की जरूरत होती है और आप कितना मुनाफा कमा सकते हैं। यानि कि बकरे पालन से संबंधित हर एक बिन्दू को हम इस कहानी के माध्यम से जान पाएंगे।
नरेंद्र और लोकेश हरियाणा (Haryana) के रहने वाले हैं इन्होंने MCA की पढ़ाई की हुई है। पढ़ाई के बाद अच्छी कंपनी में लाखों रुपए महीने की नौकरी भी कर रहे थे। लेकिन उन्हें नौकरी में मन नहीं भाया और उन दोनों ने अपना व्यापार करने का सोचा। जब खुद के व्यापार के लिए उन्होंने सोचना शुरू किया तो उन्हें बकरी पालन करने का आइडिया आया। बकरी पालन का आईडिया इसलिए आया कि इससे फार्मिंग में उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और वह खुद से चीजों को कर सकेंगे और अच्छा खासा मुनाफा भी कमा सकेंगे।
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नौकरी छोड़कर शुरू किया बकरी पालन (Yaduvanshi Goat Farm)
नरेंद्र और लोकेश ने अपनी नौकरी छोड़ दी और बकरी पालन के लिए खर्च करने लगे उन्होंने 3.5 एकड़ की जमीन में इस कार्य को शुरू करने का फैसला किया। जिसमें डेढ़ एकड़ में वह बकरियों के लिए एक कैंपस का निर्माण किया और बाकी 2 एकड़ में हरी घास आदि लगाते हैं जिससे बकरियों को खाने में सूखे चारे के साथ हरी घास भी मिलती रहे। नरेंद्र उन घास को गाने के लिए भी ऑर्गेनिक तरीकों को ही अपनाते हैं।
तोतापुरी ब्रीड की बकरी पालते हैं
नरेंद्र और लोकेश अपने फार्म में तोतापुरी ब्रेड की बकरी पालते हैं तोतापुरी ब्रेड की बकरी पालने के पीछे का कारण वे बताते हैं कि तोतापुरी ब्रीड एक हाइब्रिड है। सोचित सिरोचित और तोतापुरी की मिक्स ब्रीड है। आजकल प्योर ब्रीड की बकरे नहीं मिलते हैं और जब यह क्रॉस को कार दूसरे ब्रीड में आते हैं तो ये हाइब्रिड बन जाते हैं।
बकरी पालन हेतु फार्म की संरचना
नरेंद्र और लोकेश ने बकरी पालन हेतु एक खास तरह के फार्म की स्थापना की है। उन्होंने एक लंबे-चौड़े जगह में फाइबर और सीमेंट के चदरे से शेडिंग किया हुआ एक हॉलनुमा घर बना रखा है। इसमें उन्होंने एक भी पिलर नहीं दिया है बल्कि लोहे के भारी-भरकम बीम के सहारे इन्होंने शेडिंग की हुई है। इस बड़े कमरे के दोनों तरफ कई खिड़कियां दी गई है जिससे कि हवा का निरंतर रूप से बेहतर संचालन हो सके।
आमतौर पर देखा जाता है कि लोग बकरे के फार्म में खिड़कियां ऊंचे हाइट पर दे देते हैं जो कि गलत है। इन्होंने एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई पर ही बड़ी-बड़ी खिड़कियां दी हुई है। अच्छी सेटिंग और ढेर सारी खिड़कियों होने के कारण इनका पोस्ट सेटिंग एरिया काफी ठंडा रहता है जिससे बकरियों को रहने में काफी सुविधा होती है। इन्होंने बकरियों और बकरों को उम्र के हिसाब से अलग-अलग बांट रखा है। छोटे बच्चे से लेकर 1 साल या फिर उसे अधिक के उम्र के बकरों के लिए अलग-अलग एरिया बनाया गया है।
शेडनुमा घर के बाहर बकरों के लिए खुले में खाने-पीने और घूमने की बेहतर व्यवस्था की गई है। इन्होंने लोहे का फीडिंग स्ट्रक्चर लगाया है जो कि मूवेबल है। ठंड या बरसात के मौसम में कहीं भी ले आ जा सकते हैं। इसके बाद प्लास्टिक के छोटे-छोटे ड्राम रखे गए हैं जिसमें बकरे पानी पी सकें। उसके बाद उन्होंने फार्म के खुले एरिया में कई तरह के पेड़ लगाए हुए हैं जिसके कारण पेड़ की छाया में बकरे खुले में रहकर आराम कर सकते हैं।
इनके फार्म में बकरी पालन की क्षमता की यदि बात की जाए तो नरेंद्र बताते हैं कि हमारी क्षमता लगभग 2500-3000 बकरी पालने की है लेकिन वर्तमान में हमारे पास 500-600 बकरे हैं। हम कहीं बाहर से बकरियां नहीं लाते हैं बल्कि यहां जन्म लिए बच्चे को ही हम पालते हैं।
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यदुवंशी गोट फार्म में इस तरह करते हैं देखभाल (Yaduvanshi Goat Farm)
नरेंद्र और लोकेश बकरे और उनके स्वास्थ्य का अच्छा खासा ध्यान रखते हैं बच्चे के जन्म से लेकर उनके बेहतर विकास तक के लिए जो भी जरूरी टीके, दवाइयां और खानपान की आवश्यकता होती है, वह उचित मात्रा में दिया जाता है। वे साल में सभी बकरियों का ब्लड जांच भी करवाते हैं ताकि ब्रूसेला नाम का वायरस इनमें ना बना पाए। ब्रूसेला नाम का यह वायरस बहुत ही खतरनाक होता है जो बकरियों में से होते हुए इंसान में भी फैल जाता है। इसी से बचने के लिए हम हर वर्ष बकरियों का ब्लड टेस्ट करवाते हैं। विकास कहते हैं कि कई लोग तो क्या कहते हैं कि बकरों को कुछ भी खिला दिया जाता है लेकिन यह गलत है जिस तरह से इंसान को जन्म से लेकर उसके पालन और पोषण के लिए बेहतर खानपान दवाइयां आदि की जरूरत पड़ती है उसी तरीके से बकरों के लिए भी यह उतना ही जरूरी होता है।
इस तरह होती है आमदनी यदि आमदनी की बात करें तो एक तो बकरों को मांस के लिए बेचकर उससे आमदनी की ही जाती है, उसके दूध भी बेचे जाते हैं। इन सभी कार्य से ये सलाना करोड़ों रूपये कमाते हैं। इसके बाद बकरियों के वह बरसे जो खाद बनता है, वह खेत के लिए बेहद उत्तम होता है। आप यदि अपने खेत में एक बार बकरियों का खा डालते हैं तो लगभग 3 साल तक बेहतर उत्पादन से ले सकते हैं बकरियों के एक ट्रॉली गोबर से 1800-2000 रूपए तक की प्राप्ति हो जाती है।
बकरे पालन में आने वाली परेशानियां
बकरी पालने में कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। बकरियों को रखने के लिए एक बेहतर सेटिंग की आवश्यकता पड़ती है उसके खानपान का खासा ख्याल रखना पड़ता है तथा समय समय पर उचित टीके दवाइयां भी देनी पड़ती है यदि आप इन चीजों का ख्याल नहीं रखते हैं तो आपका बकरा या तो नष्ट हो जाता है या फिर वह उचित विकास नहीं कर पाता है।
इस तरह हम लोगों ने नरेंद्र (Narendra) और लोकेश (Lokesh) जी से जाना कि बकरी पालन के लिए हमें किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा तथा हमें उसके लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होगी और हम किस तरीके से एक बेहतर बकरी पालन कर सकते हैं और लाखों करोड़ों रुपए कमा सकते हैं।