कहते हैं न “क्यों नहीं हो सकता आसमां में सुराख, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।” इसी कड़ी में आज हम आपकी पहचान कराने वाले हैं एक ऐसी महिला से जिन्होंने अपने जज्बे और हुनर के दम पर परिवार की जिम्मेदारियों के बावजूद अपने सपने को पूरा किया है।
मिलिए प्रियंका सिंह (Priyanka Singh) से।
बेंगलुरु में पली-बढ़ी प्रियंका सिंह (Priyanka Singh) बचपन के दिनों से ही कई गुणों से लैस थीं। उन्हें बचपन से ही डांसिंग, पेंटिंग एवं योगा का शौक था। उन्होंने 2009 में अपनी बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। वह आगे अपने सपने को पूरा करना चाहती थीं परंतु परिवार वाले चाहते थे की वह जल्द से जल्द शादी करके सेटल हो जाए। इसी क्रम में 21 वर्ष की उम्र में उनकी शादी कर दी गई। शादी के बाद उन पर घर की जिम्मेदारी आ गई जिससे कि उनका सपना धीरे-धीरे उनसे दूर होता चला गया। लेकिन कहते हैं ना कि यदि चाहत दिल से की जाए तो भगवान भी अपना लिखा हुआ बदल देता हैं। इसी तरह से प्रियंका ने भी अपनी किस्मत को बदलने का बेड़ा खुद उठाया।
कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं।
प्रियंका ने अपने सपनों को पंख देने के लिए कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई शुरू की परंतु परिवार एवं बच्चों की जिम्मेदारी की वजह से वह इसे पूरा नहीं कर पाईं। तब उन्होंने घर पर रहकर ही अपने सपनों को पूरा करने का फैसला किया।
प्रोफेशनल योगा की तरफ किया रुख।
2017 में प्रियंका ने प्रोफेशनल योगा की तरफ रुख किया। उन्होंने ए वन थाउजेंड योगा अकैडमी (a1000 Yoga Academy) बेंगलुरु से योगा सर्टिफिकेशन का कोर्स किया एवं प्रोफेशनल रुप से लोगों को योगा सिखाने एवं योगा कराने का काम शुरू किया। उन्होंने तपस योगशाला (TAPAS YOGASHALA) नाम की एक संस्था भी स्थापित की है जो लोगों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से योगा सिखाता है।
नीचे देखें उनके ऑनलाइन योगा क्लासेज की कुछ झलकियाँ।
समाज सेवा के उद्देश्य से ओल्ड एज होम्स में जाकर योग सिखाया।
प्रियंका ओल्ड एज होम्स की स्थिति देखकर काफी दुखी थीं। उन्होंने वहां रहने वाले बुजुर्गों के लिए योगा क्लासेस प्लान किए। ऐसा करने से ओल्ड एज होम्स में रहने वाले बुजुर्गों के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ एवं पूरे बेंगलुरु ने इनकी प्रशंसा की। ऐसा करने से उन्होंने समाज की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
टेरस गार्डनिंग से भी है खास लगाव।
घर की जिम्मेदारियों एवं योगा से जब भी प्रियंका को खाली समय मिलता है प्रियंका टेरस गार्डनिंग पर ध्यान देती हैं। उन्होंने अपने टेरेस पर ही कई तरह की सब्जियां एवं फूल लगा रखे हैं। प्रियंका अपने परिवार के लिए सब्जियां अपने छत पर ही उगा लेती हैं जिससे कि उन्हें सब्जियां खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है। घर की सब्जी खाने से परिवार का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है एवं आर्थिक बचत भी हो जाती है।
नीचे देखें उनके टेरेस गार्डेनिंग के प्रोडक्ट्स की कुछ झलकियाँ।
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कई भाषाओं की भी हैं जानकार।
प्रियंका निरंतर अपनी जानकारी अपडेट करने में विश्वास रखती हैं। उन्होंने घर में रहकर ही विभिन्न मीडिया माध्यमों से कई भाषाओं की जानकारी हासिल की। आज प्रियंका हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, तमिल एवं भोजपुरी भाषा की जानकारी रखती हैं। उनका कहना है कि जितनी ज्यादा भाषा की जानकारी हमें होगी उतने ही अधिक लोगों से हम संपर्क रख सकते हैं। उनका ये भी संदेश है कि भाषा सीखना काफी आसान है एवं सब लोगों को अपनी मातृभाषा के साथ-साथ दूसरे भाषाओं की जानकारी भी रखनी चाहिए।
अन्य महिलाओं के लिए भी है उनका संदेश।
प्रियंका दि लॉजिकली के माध्यम से सभी महिलाओं से अपने लक्ष्य का पीछा करने की अपील करती है। साथ ही कहती हैं कि यदि जुनून हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं है। सभी महिलाओं को परिवार के साथ-साथ अपने हुनर को निरंतर बढ़ाना चाहिए एवं प्रोफेशनल रूप से भी उनका प्रयोग करना चाहिए।
संपर्क माध्यम।
यदि आपको प्रियंका सिंह से कोई भी जानकारी लेनी हो या फिर आप उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करके आप उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जा सकते हैं। प्रियंका योगा एवं टेरस फार्मिंग से संबंधित जानकारी साझा करने में यकीन रखती हैं।
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आप उनसे जुड़िए एवं अपनी जिंदगी में भी आगे बढ़ने के गुर सीखिए। दि लॉजिकली इस सफलता के लिए प्रियंका सिंह को बधाई देती है एवं अन्य लोगों को भी उनसे प्रेरणा लेने का आग्रह करती है।