हमलोगों ने कई ऐसे मामले देखें होंगे जिसमें स्थानीय प्रशासन के लापरवाही के कारण कुछ गांव के ऐसे भी बुनियादी काम नहीं हो पाते हैं जो कि उस गाँव के विकाश के लिए अतिआवश्यक होते हैं। ऐसे में जब प्रशासनिक अधिकारियों के उदासीनता के कारण गाँव के बुनियादी काम नहीं हो पाती है तो हमे भी एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उसके समाधान का हर सम्म्भव मदद करना चाहिए।
आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स की, जिसने गाँव के विकास में ऐसा सहयोग किया कि उसका नाम गर्व के साथ लिया जाता है।
तो आइए जानते हैं उस शख्स और उसके नेक कामों के बारे में जिससे उसकी खास पहचान बनी है।
कौन है वह शख्स ?
हम बात कर रहे हैं चंद्रशेखरन की, जो मूल रूप से चेन्नई के विल्लुपुरम जिले में नल्लावुर से लगभग 18 किमी की दूरी पर बसे गाँव के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 31 वर्ष है और वे पेशे से एक सॉफ़्ट्वेयर इंजीनियर हैं। उनके पिता एक व्यापारी है जो कि अपने व्यवसाय से पैसे कमा कर परिवार चलाते हैं। उनके गांव में लगभग 350 परिवार रहते हैं, इन 350 परिवारों के बीच चंद्रशेखरन का भी परिवार रहता है।
गाँव में अच्छा सड़क बनाने का था सपना
चंद्रशेखरन ने शुरु से अपने गांव के हीं सरकारी स्कूल से अपने पढाई की शुरुआत की थी। उनका बचपन से हीं एक सपना था कि उनके गाँव की सड़के सुन्दर हो तथा गाँव सुसज्जित हो। उनके इस प्रयास में सबसे बड़ा बाधक उनके गांव की सड़क थी जो कि काफी पहले से हीं दोबारा निर्माण न होने के कारण जर्जर हो चुकी थी। सड़क की हालत ऐसी थी कि आए दिन कोई न कोई फिसल कर गिरता रहता था। सड़क की ऐसी हालत से निपटने के लिए उन्होंने कई बार पंचायत विकास भवन तथा प्रखंड कार्यालय का चक्कर काटा लेकिन परिणाम शुन्य रहा।
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अपने शादी के पैसों से बनाए सड़क
तमाम सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने के बाद चंद्रशेखरन से यह तय किया कि अब वह अपने गाँव के 280 मीटर वाली सड़क का निर्माण वह खुद के पैसों से करवाएंगें। अपने इस खास संकल्प के साथ उन्होंने हिम्मत के साथ काम लिया और अपने शादी के कामों के लिए इकट्ठे किए हुए 10.5 लाख रुपये से 280 मीटर के सड़क का कंक्रीटो से निर्माण करवा दिए। उनके इस खास प्रयास से गांव के लोगों को काफी सहुलियत हो रही है।
लोगोंं के लिए बने मिशाल
अपने शादी के लिए बचा कर रखे गए 10.5 लाख रुपए से गाँव के सड़क का पक्कीकरण करने चंद्रशेखरन आज के समय में लोगों के लिए मिशाल बने हुए हैं। उन्होंने यह कर दिखाया कि अगर कोई भी काम अगर मन से ठान लिया जाये तो वह जरूर सफल होगा। आज के समय में वह अपने गांव के लोगों के साथ हीं साथ अन्य लोगों के लिए भी मिशाल बने हुए हैं।
बिहार के मुजफ्फरपुर में भी ऐसी घटना
ऐसी घटना बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में भी देखने को भी मिली है जहाँ कटरा प्रखंड स्थित डुमरी गांव के लोगों ने 8 लाख रुपये की लागत से अपने गांव में एक पक्के पुल का निर्माण करवाया है। खास बात यह है कि मुजफ्फरपुर जिले के डुमरी गांव से लखनदेई नदी पर बनने वाले लोहे के पुल का निर्माण ग्रामीणों से चन्दा वसूल कर करवाया है।
प्रशासनीक अनदेखी का है नतिजा
ऐसी घटनाएं प्रशासनीक अनदेखी का हीं नतिजा है। आजकल के समय में सरकार के द्वारा अनेकों ऐसी योजनाएं चलाई जा रही है, जिससे शहरों के अलावे गाँव का भी समुचित विकास संभव है लेकिन इन सभी खास योजनाओं के बाद भी अगर कोई गाँव या मुहल्ला किसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रह जाता है तो इसे प्रशासनीक अनदेखी का हीं नतीजा कहा जा सकता है।