भारतीय महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं। धरती से लेकर आसमान तक उनकी सफलता और काबिलियत की गूंज सुनाई पड़ती है। भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान (Indian Space Research Organisation, ISRO) के अंतर्गत सफलता की कहानी लिखने वालों में महिलाओं का भी खासा योगदान रहा है। आज हम उन महिलाओं के बारे में आपको बताएंगे कि उन्होंने अंतरिक्ष में कौन-कौन से कारनामे किए हैं।
इसरो में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी और वैज्ञानिक कार्यरत हैं। इस संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। इसी सफर में कुछ दिन पहले ISRO ने अपना रडार इमेजिंग उपग्रह EOS-04 लॉन्च किया। इसरो द्वारा यह 2022 का पहला लॉच है, जिसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन (Satish Dhawan) अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से अपने गंतव्य भेजा गया। – Some Indian women scientists, who have given a new position to the country through their hard work in space research.
ISRO में देश को एक नई ऊंचाई देने के लिए जितना योगदान पुरुष वैज्ञानिक देते हैं, उतना ही योगदान महिला वैज्ञानिक भी देती हैं। अब भारतीय महिलाएं भी पुरुषों से कदम मिला का चल रही हैं और यही सबसे बड़ी वजह है देश की तरक्की का। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसी बेटियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत को एक बार फिर से उन पर गर्व करने का मौका दिया है। दरअसल हम बात कर रहे हैं उन भारतीय महिला वैज्ञानिकों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने Space रिसर्च में अपनी मेहनत से देश को नया मुकाम दिया है। – Some Indian women scientists, who have given a new position to the country through their hard work in space research.
- अनुराधा टीके (Anuradha TK)
बेंगलुरु की राजधानी कर्नाटक में जन्मी अनुराधा बैंगलोर में स्थित यूनिवर्सिटी विश्वेश्वराय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं। आपको बता दें कि अनुराधा टीके इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में काम करती हैं और वह कम्युनिकेशन सैटेलाइट्स में विशेषज्ञता हासिल कर चुकी हैं। उन्होंने GSAT-12 और GSAT-10 सैटेलाइट के लॉन्चिंग के दौरान अपना अहम योगदान दिया था। साथ ही वह साल 1982 सैटेलाइट लॉन्चिंग का हिस्सा होने के बाद संगठन की सबसे वरिष्ठ महिला वैज्ञानिकों में से एक थीं। इसके आलावा अनुराधा विभिन्न भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों का नेतृत्व कर चुकी हैं। अनुराधा के कार्य और उनके अहम योगदान को देखते हुए इसरो टीम पुरस्कार साल 2012 एएसआई- इसरो मेरिट अवार्ड से उन्हें सम्मनित किया गया था।
Anuradha TK specialises in sending satellites into space. She’s one of the most senior engineers at ISRO, the Indian space research organisation. She joins @janegarvey1 to discuss her work. https://t.co/oBP767f2pj pic.twitter.com/FWX0O5O1rz
— BBC Woman's Hour (@BBCWomansHour) July 1, 2019
- रितु करिधाल (Ritu Karidhal)
डॉ. रितु करिधाल श्रीवास्तव का जन्म 13 अप्रेल 1975 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। वह 1997 में ISRO का हिस्सा बनी थीं, इस दौरान वह India’s Mars orbital mission, मंगलयान की डेपुटी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। डॉ. रितु इस प्रोजेक्ट के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत की “रॉकेट वुमन” के रूप में पहचाने जाने वाली डॉ. रितु एक एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। वह भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा साल 2007 में इसरो यंग साइंटिस्ट अवार्ड प्राप्त कर चुकी हैं। डॉ. रितु अपने जीवन के अहम 18 साल ISRO को दे चुकी हैं।
A very happy b'day to Ritu Karidhal, deputy director of @ISRO's Mangalyaan Mission.She takes us on a journey to Mars https://t.co/Z55HoyJ0Rr pic.twitter.com/qP29MSfd41
— Josh Talks (@JoshTalksLive) April 13, 2017
- मुथैया वनिता (Muttiah Vanita)
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर मुथैया वनिता ने इसरो में एक जूनियर इंजीनियर के रूप में शुरुआत की थी। बता दें कि शूरू में वह हार्डवेयर टेस्टिंग और डेवलेपमेंट पर काम करती थीं। हालांकि बाद में वह संगठन में साल 2013 में मंगल ग्रह पर मंगलयान मिशन सहित कई प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनीं। वह इसरो के चंद्रयान -2 चंद्र मिशन की पहली वुमेन प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रह चुकी है। उन्होंने कार्टोसैट -1, ओशनसैट -2 और मेघा-ट्रॉपिक्स सहित कई प्रोजेक्ट्स में भी अपना योगदान दी हैं। मुथैया को “डाटा क्वीन“ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर और डाटा विश्लेषण विशेषज्ञ है। बता दें कि उन्हेँ डेटा विश्लेषण के क्षेत्र में महारत हासिल है।
- मौमिता दत्ता (Moumita Dutta)
मौमिता दत्ता साल 2006 में अहमदाबाद में मौजूद अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (Space Applications Centre) में शामिल हुई थी। भारतीय भौतिक विज्ञानी मौमिता दत्ता ने मार्स ऑर्बिटर मिशन डेवलेपमेंट में अहम भूमिका निभाई थी। उनके कार्य को देखते हुए उन्हें मंगल ग्रह के लिए मीथेन सेंसर और संपूर्ण ऑप्टिकल सिस्टम के विकास के लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम सौंपा गया था। साथ ही उनके अहम योगदान के कारण उन्हें इसरो टीम ऑफ एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके आलावा अबतक वह विभिन्न प्रकार के कुलीन परियोजनाएं जैसे कि- चंद्रयान-1, ओशियनसेट, रिसोर्ससैट और हाएसेट का हिस्सा रह चुकी हैं।
Proud Ms. Moumita Dutta from @isro sends an invitation to all, women and men, to work for the nation. #WeAreEqual pic.twitter.com/08t0ciLUN1
— Ministry of WCD (@MinistryWCD) March 7, 2017
- नंदिनी हरिनाथ (Nandini Harinath)
बेंगलुरु में इसरो के सैटेलाइट सेंटर में एक रॉकेट वैज्ञानिक के तौर पर नंदिनी हरिनाथ ने मंगलयान के लिए डिजाइन डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर के रूप में काम किया और मार्स ऑर्बिटर मिशन के लिए अग्रणी महिला टीम में भी शामिल थीं। नंदिनी हरिनाथ का अंतरिक्ष विज्ञान से पहला टेलीविजन पर साइंस फिक्शन “स्टार ट्रेक” के जरिए दुनिया के सामने आई थी। नंदिनी के कैरियर की पहली नौकरी इसरो में ही थी और उन्होंने विभिन्न प्रोजेक्ट्स में बहुत से योगदान दे कर अब तक संगठन में काम करना जारी ही रखा है।
- वी.आर. ललिताम्बिका (V.R. lalitambika)
वी आर ललितांबिका इंडियन स्पेस एजेंसी के सबसे वरिष्ठ वैज्ञानिकों में से एक हैं और वह वर्तमान में भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम गगनयान की डायरेक्टर भी हैं, जो भारत का अंतरिक्ष मिशन है जिसमें तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को कम से कम सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। ललिताम्बिका पिछले 30 सालों से इसरो से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने अंतरिक्ष रॉकेट कार्यक्रमों के निर्माण में अपना अहम योगदार भी दिया हैं। उसे पहले वी.आर. ललिताम्बिका तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की डेप्युटी डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। ललिताम्बिका पर इस तरह की कई टेक्नोलॉजी तैयार करने और उसके परीक्षण की जिम्मेदारी हैं।
ISRO scientist V. R. Lalithambika leads India's Human Spaceflight Programme. India is aiming to send astronauts into space by 2022 #Gaganyaan 3/ pic.twitter.com/JyOqVoiwGL
— Tanvi Madan (@tanvi_madan) July 22, 2019
– Some Indian women scientists, who have given a new position to the country through their hard work in space research.