विषमताओं से लड़ते हुए सफलता हासिल कर करोड़ों की बीच में अपनी एक अलग पहचान बनाना हर कोई चाहता है लेकिन कुछ कारणों से हम पीछे हो जाते हैं। उन कारणों में सबसे बड़ी बात आती है कि काश हमने ये सपना पहले देखा होता या फिर अपने सपने के लिए काश पहले लड़ाई लड़ना शुरू किया होता।
हम ये दृढ़ निश्चय कर लें कि अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए सफलता को हासिल करना है तो इसे कोई नहीं रोक सकता। इसके उदाहरण हैं 59 वर्ष की आयु में डॉक्टर बनने के सपने को संजोने वाले राजन बाबू। जो कभी स्कूल नहीं गए लेकिन साइंटिस्ट बने और आगे नीट की परीक्षा पास कर अपने सपने को साकार किया।
60 वर्षीय राजन बाबू
राजन बाबू बेंगलुरु से ताल्लुक रखते हैं। बेहद गरीबी में जीवन बिताने वाले राजन बाबू ने अपनी शिक्षा स्वयं अपनी मेहनत के बदौलत ही ग्रहण की। उनका सपना था कि डॉक्टर बने लेकिन इसके लिए वह आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे। प्रारंभिक शिक्षा सम्पन्न करने के बाद उन्होंने काफी मेहनत किया और इसरो में रॉकेट साइंटिस्ट बने। उन्होंने नीट की परीक्षा में अच्छा अंक लाया और वह सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करना चाहते थे। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उनके बेटा तथा बेटी दोनों डॉक्टर की पढ़ाई कर रहे हैं और अब उनके पिता भी उनके साथ इसी पढ़ाई में लग गए हैं।
संघर्षपूर्ण रहा जीवन
एक बेहद गरीब परिवार में जन्म लेने के कारण वह स्कूल नहीं जा पा रहे थे। उन्होंने अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए कम उम्र में ही नौकरी शुरू कर दी। वह बिजली के करघे में काम करते इसके अतिरिक्त दुकानों पर भी कार्य करते ताकि घर की आजीविका चल सके। वर्ष 1981 में उनके जीवन में परिवर्तन आया और उन्होंने प्राइवेट से 10वीं की शिक्षा संपन्न की उन्होंने यह पढ़ाई स्वयं के बदौलत की।
किया इसरो में काम
आगे उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियर से डिप्लोमा की और वर्क एक्सपीरियंस मिलने के बाद एएमआईई का एग्जाम दिया। अब उन्हें पोस्ट एंड टेलीग्राफ डिपार्टमेंट में इलेक्ट्रिक इंजीनियर की नौकरी मिली। आगे इसरो में वैकेंसी आई तो उन्होंने आवेदन किया और 1995 में वह बतौर रॉकेट साइंटिस्ट चयनित हुए। ये सारी उपलब्धि उन्हें अपनी मेहनत के बदौलत सम्पन्न हुई।
7 वर्षों तक किया अमेरिका में काम
इसरो में काम करने के दौरान उन्होंने बिट्स पिलानी से एमएससी की डिग्री हासिल की। इसके उपरांत वर्ष 2000 में अमेरिका के लिए रवाना हुए यहां उन्होंने लगभग 7 वर्षों तक विभिन्न क्षेत्रों में काम किया। अब वह इंडिया लौट आए। उन्होंने वर्ष 2019 में एक बार पुनः ये सिद्ध किया कि वह किसी भी परिस्थिति में किसी भी चुनौती को स्वीकार कर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।यहां उन्होंने एमबीए की पढ़ाई शुरू की और नीट का एग्जाम पास किया। उन्होंने पहली परीक्षा में ही सफलता प्राप्त कर ली थी परन्तु अच्छी रैंक हेतु एक बार फिर एग्जाम की तैयारी की ताकि सरकारी मेडिकल कॉलेज से उनका एडमिशन हो।