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नौकरी के लिए अंग्रेजी बाधा बनी तो पहले खुद सीखी, अब ऑनलाइन क्लासेज चलाकर लोगों को पढ़ाती हैं: Anupama Garg

आजकल हर जगह अंग्रेजी भाषा (English Language) का ट्रेंड काफी जोर-शोर से चल रहा है। हर जगह अब अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जा रहा है। अगर आप अंग्रेजी अच्छे से बोलना नहीं जानते हैं तो आपको हर क्षेत्र में कठिनाइयां होने लगती हैं। खास करके गांव के लोगों को जिनकी शिक्षा हिंदी भाषा में सम्पन्न होती है उन्हें आगे चलकर काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

जॉब करने के लिए इंटरव्यू देने जाते हैं तो वहां पर भी अंग्रेजी में ही सवाल आते हैं जिसकी वजह से जिन्हें अंग्रेजी अच्छे से नहीं आती उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसलिए अंग्रेजी भाषा का सीखना काफी अत्यंत आवश्यक हो गया है। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी के बारे में बताऊंगा जिन्होंने अपनी पढ़ाई इंग्लिश मीडियम से की परंतु वह अंग्रेजी भाषा अच्छे से नहीं बोल पाती थी जिसकी वजह से उन्हें आगे चलकर नौकरी में काफी दिक्कतें आने लगी। इन्होंने अपने इस कठिनाइयों को दूर करने के लिए अंग्रेजी भाषा को सीखा और आज वो एक इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन एडवाइजर के रूप में काम कर रही है

अनुपमा गर्ग (Anupama Garg)

अनुपमा गर्ग अजमेर (Ajmer) की रहने वाली हैं। वह अजमेर में ही पली-बढ़ी हैं और इन्होंने अपनी शिक्षा में बीए, एमए और एमबीए की डिग्री भी प्राप्त किया है। यह सभी डिग्री इन्होंने इंग्लिश मीडियम की शिक्षा से की है। अनुपमा बताती हैं कि हमारी पूरी शिक्षा अंग्रेजी मीडियम में ही हुई है परंतु जब हम नौकरी करने के लिए दिल्ली आए तो यहां मुझे अंग्रेजी बोलने में काफी दिक्कतें आने लगी जिसकी वजह से हमें नौकरी नहीं मिल रही थी। हम यह सोंच रहे थे कि मेरी पूरी पढ़ाई अंग्रेजी मीडियम में हुई, मैं अंग्रेजी लिख भी लेती हूं परंतु आज अंग्रेजी ना बोलने की वजह से नौकरी में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

हमें जो भी अंग्रेजी स्कूल कॉलेज में पढ़ाया जाता है उसका यहां कोई उपयोग नहीं हो रहा था। परंतु जब हम दिल्ली आए तो हमें समझ आया कि हमें जो इंग्लिश पढ़ाया गया उसका यहां कोई उपयोग नहीं है। नौकरी मे जिस तरह से अंग्रेजी भाषा का उपयोग किया जाता है हमें उसके लिए कभी तैयार ही नहीं किया गया। इन सभी बातों को सोचकर के हम काफी निराश हो गए परंतु हमने हार नहीं मानी और अपनी अंग्रेजी सुधारने के तैयारी में लग गई।

खुद की अंग्रेजी को बनाई बेहतर

अनुपमा (Anupama Garg) बताती हैं कि मैं अपनी अंग्रेजी को सुधारने के लिए अपनी तैयारी में जुट गई। मैं अंग्रेजी का बुक खूब पढ़ती थी। हमने कोचिंग में अंग्रेजी की पढ़ाई करके अपनी अंग्रेजी भाषा को मजबूत किया, इसके साथ-साथ मैं अपनी मैनेजर और टीचर से अंग्रेजी सीखती थी और जो भी कुछ मैं सीखती थी उसे अपने डायरी में लिख लेती थी। जिसकी वजह से मेरा धीरे-धीरे अंग्रेजी भाषा में सुधार होने लगा।

वह बताती हैं कि भाषा को रटा नहीं जाता है बल्कि भाषा सीखने की चीज है। अगर आप भाषा को रट्टा मारेंगे तो आप कोई भी भाषा अच्छे से नहीं सीख पाएंगे। इसके लिए आप जिस भाषा को सीखना चाहते हैं उतना प्रेक्टिस कीजिए। आप जितना प्रेक्टिस करेंगे वह उतना ही मजबूत होगा जिस से आप आगे चलकर के उस भाषा को आसानी पूर्वक और अच्छे से बोल सकते हैं मैंने भी इसी नियम को अपना करके अंग्रेजी भाषा को बेहतर बनाया।

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Anupama Garg (Source-FB)

दूसरों को भी अंग्रेजी सिखाने में की मदद

अनुपमा बताती हैं कि जब हम ऑफिस में जाते थे तो वहां के कुछ दोस्त जो हिंदी मीडियम से पढ़े थे उनके बीच अंग्रेजी भाषा को लेकर काफी डर का माहौल बना रहता था और जब गांव जाती थी तो वहां के लोग अंग्रेजी भाषा को सुनकर काफी उत्साहित होते थे। वो कहते थे कि हमें भी आपकी तरह अंग्रेजी भाषा को सीखना है। गांव में लोगों को अंग्रेजी भाषा बोलने में काफी दिक्कतें आती थी क्योंकि वहां अच्छे से अंग्रेजी सिखाई नहीं जाती थी, जिसकी वजह से यहां के लोगों को नौकरी करने में काफी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। इसके बाद हमें अजमेर में ही प्लेसमेंट ट्रेनिंग देने का एक शानदार मौका मिल गया। जब हम यहां के लोगों से मिले तब मुझे पता चला कि यहां के लोगों को ट्रेनिंग देने से ज्यादा लोगों को मानसिक अवरोध हो खोलने की आवश्कता है।

वे आगे बताती हैं कि हमें जो अंग्रेजी सिखाई जाती है या स्कूल कॉलेज में पढ़ाई जाती है उसको अपने जिंदगी में कैसे उपयोग करना है। इन सभी चीजों के बारे में मैंने काफी बारीकी से सोंचा और इन्हीं चीजों पर गौर किया। हमारे पास वर्तमान में काफी अनुभव प्राप्त हो चुके थे जिससे मुझे यह पता चल जाता था कि लोगों को क्या सीखना है और इन्हेंक्ष किस चीज की जरुरत है। इसके साथ-साथ जो लोग सीख रहे हैं उसका उपयोग कहां पर किया जाता है। सभी चीजों के बारे में मैंने काफी बारीकी से सोंचा और इन दोनों के बीच के दूरी को मिटाना ही मेरा लक्ष्य बन गया।

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फेसबुक से की शुरुआत (Anupama Garg)

अनुपमा कहती हैं कि हमने अंग्रेजी सिखाने के लिए सबसे पहले facebook पर अंग्रेजी में पोस्ट करना शुरु कर दिया। इसके साथ-साथ हमने इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और फेसबुक से लिंक्डिन पर अभी अंग्रेजी भाषा का ही उपयोग करती थी, परंतु हम इन चीजों पर जो अंग्रेजी में पोस्ट करते थे वह सिर्फ शौक से कर रहे थे। लेकिन आगे चलकर जब हमने देखा कि अंग्रेजी सीखने के लिए लोग काफी उत्साहित हो रहे हैं और हमारी पोस्ट पढ़कर के उन लोगों को काफी फायदा हो रहा है तब जाकर मुझे लगा कि अब हमें इस अंग्रेजी भाषा के बारे में काफी गहराई से सोचना है। इस अंग्रेजी भाषा को और भी आगे बढ़ाया जाए जिसकी वजह से लोगों को फायदा हो और वह एक बेहतरीन अंग्रेजी भाषा सीख पाएं।

वे बताती हैं कि जब कोरोना का टाइम चल रहा था और पूरे भारत में लॉकडॉन हुआ था तब हमने काफी सारे इंस्टीट्यूट की वेबसाइट को खोलकर देखा था। वेबसाइट देखा तो पता चला कि Short Term क्लासेज की ही बहुत फीस लेते हैं। फिर मैंने यह सोंचा कि जब हम अंग्रेजी सीखने के लिए मुझे पहले से अंग्रेजी के बारे में अनुभव होने के बाद भी हमें काफी मेहनत और खर्च करने पर तब जाकर के हमें अच्छे से अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हुआ परंतु उससे उन लोगों की अंग्रेजी भाषा का ज्ञान कैसे मिल सकता है। इतना सोंचने के बाद हमने पेड बैचेज, वर्कशॉप और क्लासेज की। जिससे मुझे पता चला कि ऐसे काफी लोग हैं जिन्हें क्लास टाइमिंग फीस और पढ़ाई के लिए पर्याप्त समय का अभाव है जिसके कारण वे लोग अच्छे से पढ़ नहीं पाते।

एक्टिव लर्निंग के लिए बनाई कम्युनिटी

अनुपमा बताती हैं कि मैंने अंग्रेजी भाषा को अच्छे से समझने और बोलकर सुन कर समझने के लिए हमने एक कम्युनिटी बनाया। मैंने एक ऐसा कम्युनिटी तैयार किया कि इसमें कोई भी किसी को जज नहीं कर सकता है और कोई किसी भी भाषा को लेकर के मजाक नहीं बना सकता है। अंग्रेजी भाषा को अच्छे से सिखाने के लिए टेलीग्राम पर एक ग्रुप बनाया। इस ग्रुप में हम हिंदी से अंग्रेजी सिखाती हूं, जिससे छात्रों को गहरी जानकारी मिलती है। इसके बाद छात्र हमें अपना फीडबैक देते हैं और फिर उस पर हम लोग काफी चर्चा करते हैं जिससे छात्रों को काफी अच्छा अनुभव मिल पाता है।

ई-मेल के जरिए सिखाती हैं अंग्रेजी (Anupama Garg teaching English online)

अनुपमा बताती है कि जो कर्मचारी काम करते हैं उनके लिए ईमेल या फिर प्रपोजल ड्राइंग के जरिए अंग्रेजी सिखाती हूं। हमारी इस कोशिश से उन लोगों को इस तरह से अंग्रेजी सीखना काफी आसान हो जाता है क्योंकि उन लोगों को हर दिन बोलचाल वाली अंग्रेजी भाषा की जरुरत होती है। मैं लोगों को ज्यादा कंटेंट सीखने को नहीं देती हूं बल्कि मैं उन्हें उतना ही कंटेंट देती हूं जितना कि वे आराम से सीख पाएं और जिससे उन्हें ना तो सीखने में कोई परेशानी हो और ना ही उन्हें बोझ जैसा महसूस हो। वह खेल-खेल में हमारे दिए हुए कंटेंट को सीख लेते हैं।

अनुपमा बताती हैं कि अगर आप अंग्रेजी भाषा या फिर कोई भी भाषा सीखना चाहते हैं तो आपको उसके लिए प्रतिदिन प्रैक्टिस करना होगा। अगर आप किसी भी भाषा को अच्छे से सीखना चाहते हैं या फिर उसकी ज्ञान की गहराइयों तक पहुंचना चाहते हैं तो आप प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा करके सीखें, जिससे आपको बहुत आसानी से भाषा समझ में आएगी और आप इसे अच्छे तरीके से सीख पाएंगे। जिस तरह से आज हमने अंग्रेजी भाषा अपने कंटेंट कम्युनिकेशन में काफी कुछ ज्ञान अर्जित कर पाई हूं जिसकी वजह से आज हम किताबें लिख लेती हूं। मेरा सपना है कि हम चाहते हैं जैसे हम लिख लेते हैं वैसे ही और लोग भी इस मुकाम को हासिल कर पाएं।

प्रेरणा

अनुपमा गर्ग से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि अगर हम किसी भी चीज को मेहनत और लगन के साथ करें तो हम उस मुकाम को जरूर हासिल कर पाएंगे। सफलता पाने के लिए मेहनत की अत्यंत आवश्यकता होती है और जो मेहनत करता है उसे अंततः सफलता जरुर हासिल होती है।

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