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दुल्हन की रीढ़ की हड्डी टूट गई, लड़के ने शादी कर पेश किया प्रेम का मिशाल: लोग बोले ऐसा ‘विवाह’ पिक्चर में देखे थे

बेटी की शादी किसी भी माता – पिता के लिए अहम जिम्मेदारी होती है। आखिर एक अच्छा लड़का मिलना इतना भी आसन नहीं होता। 2006 में आई विवाह फिल्म अगर आपने देखी होगी तो याद ही होगा कि किस तरह चचेरी बहन को बचाते हुए पूनम (अमृता राव) आग में झुलस गई थी। बावजूद प्रेम ( शाहिद कपूर) ने उनको पूरे मन से सम्मान के साथ अपनाया था। यह तो फिल्मी बात हो गई। असल जिंदगी में अगर हर लड़का प्रेम जैसा हो जाए तो किसी भी पिता को बेटी बोझ नहीं लगेगी।

8 दिसंबर को तय थी शादी पर हो गई यह घटना

प्रयागराज से एक ऐसी घटना सामने आई है जिसकी कहानी विवाह फिल्म से मिलती जुलती है। प्रतापगढ़ के कुंडा इलाके में रहने वाली आरती की शादी 8 दिसंबर को तय थी। परिवार के सभी लोग तैयारियों में जुटे थे। किसी आम लड़की की तरह आरती भी शादी की तैयारियां कर रही थी। नए जीवन की शुरुआत को लेकर उसने कई सपने मन में संजोए थे। लेकिन नियति ने आरती और उसके होने वाले पति अवधेश के लिए कुछ और ही सोच रखा था।

Awdesh married Aarti inspite she got disabled

बच्चे को बचाने के चक्कर में छत से गिरी दुल्हन

शादी के दिन ही दोपहर में छत पर खेल रहे अपने तीन साल के भतीजे को बचाने के चक्कर में आरती छत से नीचे आ गिरी. इस हादसे में उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और दोनों पैरों की ताकत भी चली गई. घर वालों ने उसे आनन फानन में प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। दूल्हे अवधेश के घर वालों को जब यह बात पता चली तो दो लोग देखने आए। इसकी जानकारी अवधेश को भी दी गई।

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घरवालों ने बारातियों के सामने रखा यह प्रस्ताव

आरती के घरवालों को अनुमान हो गया था कि अब यह शादी मुमकिन नहीं इसलिए उन्होंने आरती की छोटी बहन का हाथ अवधेश को सौंपने का प्रस्ताव रखा। लेकिन सच्चे प्यार का कोई मोल नहीं होता। अवधेश ने ठान लिया था कि आरती ही उसकी जीवनसंगिनी बनेगी। वह आरती से शादी करने के फैसले पर अडिग रहा। इस पर रिश्तेदार समेत घर वाले भी आश्चर्यचित रह गए।

फिर कुछ ऐसे हुई आरती की शादी

आरती के घरवालों ने डॉक्टर से बातचीत कर के एक दिन के लिए उसे एम्बुलेंस से वापस कुंडा ले आए। जहां अवधेश और बेड पर लेटे हुए आरती के सात फेरे हुए और उसने आरती की मांग में सिंदूर भरा। हर लड़की की तरह आरती की भी विदाई हुई। जिसके बाद वापस आरती को प्रयागराज के उसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस बार अवधेश आरती के पति के रूप में अस्पताल में उसकी देखरेख कर रहा था।

अवधेश और आरती अपने आपको बहुत खुशकिस्मत मानते हैं कि जहां परेशानी में परछाई भी साथ छोड़ देती है, ऐसे में एक-दूसरे का साथ देकर लोगों के लिए मिसाल बन बैठे हैं. और रियल लाइफ के हीरो बन गए हैं. इन दोनों के यह फैसला तमाम परिवारों के लिए मिसाल है। The logicallyइनके कुशल भविष्य की कामना करता है।

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  1. It’s truely heart touching stories of people. I love to read stories. Because it’s inspiring and same time learning with that how people get over it. And set a remarkable example to society…. So, keep writing and posting to us…

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