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Amazing Tricks: बिहार के शख्स ने किया गजब का खोज, 8 सालों में राख से कोयला बनाने की तकनीक ढूंढ डाली

कोयला विश्व में सवसे अधिक मात्रा में पाया जानेवाला ऊर्जा स्त्रोत है जिसे अधिकांशत: स्टील और विद्युत के उत्पादन के लिए जलाया जाता है। देशभर में कोयला खदानों से बड़े पैमाने पर कोयला निकाला जाता हूँ जिसका इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जाता है। कोयला का अंधाधुंध इस्तेमाल होने के कारण यह खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। ऐसे में बिहार के एक शख्स ने राख से कोयला निमार्ण करने का कारनामा कर दिखाया है।

कौन है वह शख्स?

रामेश्वर कुशवाहा (Rameshwar Kuswaha) बिहार (Bihar) के पश्चिमी चम्पारण में स्थित मंझरिया गांव से ताल्लुक रखते हैं। राख को कोयला में तब्दील करके वे देश भर मे काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं और साथ ही सरकार की ओर से भी उनके काम को प्रोत्साहित किया गया है। बता दें कि वे कुंडलपुर के पैक्स के अध्यक्ष रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने गांव वालों की समस्याओं को बेहद नजदीक से देखा और समझा कि ग्रामीणों के पास बिजली और इंधन से सम्बंधित आवश्कताओं की पूर्ति हेतु कोई उपयुक्त साधन नहीं है। ऐसे में उन्होंने राख को कोयला में तब्दील करने का निर्णय लिया। technique of making coal from ash.

Bihar man invented technique of turning ash to coal

आठ वर्षों तक इस तकनीक पर किया काम

रामेश्वर की ख्वाइश थी कि वे गांव वालों को खाना पकाने के लिए कम खर्च में ही उपयुक्त साधन मिल सकें। इसके लिए उन्होंने कोयला बनाने का कार्य वर्ष 2012 में शुरु की थी और आठ वर्षों तक राख से कोयला बनाने की तकनीक पर काम किए। आखिरकार उन्हें इस काम में सफलता मिल ही गई। सरकार द्वारा उनकी कोशिश की काफी प्रशंशा की गई है और हर सम्भव सहायता देने का वादा भी किया गया है।

लेकिन रामेश्वर कुशवाहा ने सरकार द्वारा दिए गए ऑफ़र को ठुकरा दिया और कोयला बनाने की तकनीक को स्वयं को पेटेंट करवा लिया, जिससे वे बिहार के अलग-अलग गांवो और कस्बों तक सस्ती बिजली और इंधन पहुंचा सके।

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राख से कोयला बनाने की विधि (Technique of making coal from ash) –

राख से कोयला बनाने के लिए रामेश्वर कुशवाहा ने धान के भूसे, पराली और गन्ने के सूखे पत्तें को इकट्ठा करके उसमें चारकोल को मिश्रित किया था। उसके बाद तैयार मिश्रण को कुछ वर्षों के लिए जमीन के अंदर दबाकर छोड़ दिया जाता है। कुछ वर्षों बाद ये मिश्रण कोयले में तब्दील हो जाता है, जिसका प्रयोग बिजली या इंधन के रुप में किया जा सकता है।

राख से बने कोयले को जलाने पर नहीं होता है प्रदूषण

रामेश्वर कुशवाहा के अनुसार प्राकृतिक चीजों से बने इस कोयले को जलाने से ना तो प्रदूषण फैलता है और ना ही इससे किसी प्रकार की गंध आती है। इसके अलावा कोयले को जलाने के बाद जो राख बचता है उस्का प्रयोग खेतों में खाद के तौर पर किया जा सकता है। इससे पैदावार भी अच्छी होगी।

रामेश्वर कुशवाहा द्वारा कोयले राख से कोयला बनाने की तकनीक से देशभर में औद्योगिक क्रांति लाने की उम्मीद जताई जा रही है।

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