Home Inspiration

75% दृष्टि खोने के बाद भी हार नहीं मानी, UPSC परीक्षा में हासिल की 143वीं रैंक: Jayant Mankale

4 अगस्त को यूपीएससी का परिणाम आने के बाद प्रतिभागियों के सफ़लता की कहानियों का अंबार लग गया है… और लगे भी क्यों न… कहानी के मुख्य भूमिका में आने के लिए सबने मेहनत भी तो उतनी ही की है… आज की हमारी कहानी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से पीड़ित जयंत मांकले की है जिन्होंने अपनी दृष्टि का 75 प्रतिशत खोने के बाद भी हार नहीं मानी और अपने लिए सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इण्डिया रैंक (एआईआर) 143 सुरक्षित किया।

रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा (retinitis pigmentosa) दुर्लभ आनुवंशिक विकारों का एक समूह है जिसमें रेटिना में कोशिकाओं का टूटना और नुकसान शामिल है। 2015 में रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा से पीड़ित होने के बाद जयंत मांकले (Jayant Mankale) ने अपनी दृष्टि का 75 प्रतिशत खो दिया।

पिता के निधन के बाद घर चलाने के लिए मां अचार बनाकर बेचती थी

27 वर्षीय जयंत मांकले बीड के निवासी हैं। 10 साल की उम्र में इन्होंने अपने पिता को खो दिया था जिसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब हो गई थी। पिता की पर्याप्त पेंशन भी नहीं थी। घर चलाने के लिए मां ने अचार बनाकर बेचना शुरू किया। मां और दो बड़ी बहनों ने मिलकर जयंत की शिक्षा की जिम्मेदारी संभाली। जयंत ने संगमनेर के अमृतवाहिनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। फिर एक निजी फर्म में एक इंजीनियर के रूप में काम किया। उसके बाद इन्होंने यूपीएससी की पढ़ाई शुरू की।

जयंत ने यूपीएससी की पढ़ाई मराठी में तैयार की। जयंत बताते हैं, वित्तीय स्थिति के ख़राब होने के कारण मैं ऑडियोबुक और स्क्रीन रीडर का खर्च नहीं उठा सकता था। मैंने ऑल इंडिया रेडियो पर समाचार और व्याख्यान सुने। लोकसभा और राज्यसभा टीवी पर वाद-विवाद कार्यक्रम मेरे लिए बहुत उपयोगी होता था। इसके अलावा, मैंने Youtube पर प्रख्यात मराठी लेखकों के भाषणों को सुना। अपने शिक्षकों और दोस्तों की मदद से अपने सपने को साकार करने के लिए जयंत ने कड़ी मेहनत जारी रखी।

आंखों की दृष्टि खोई है, ज़िंदगी की नहीं

जयंत कहते हैं, मैंने अपनी आंखों की दृष्टि खो दी है, ज़िंदगी की नहीं। 2015 में एक निजी फर्म के लिए काम करते हुए 75 प्रतिशत अंधा हो गया था। उसके बाद मेरा जीवन पूरी तरह से अंधेरे में था। मेरे पिता पहले ही गुजर चुके थे और आजीविका कमाना एक बड़ा काम था। लेकिन यूपीएससी के परिणाम ने मुझे आशा और एक नया जीवन दिया है। मुझे ख़ुशी है कि मैंने सफलता प्राप्त करने के लिए जीवन में सभी भौतिक और वित्तीय बाधाओं के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी
है।

2018 की परीक्षा में 923वीं रैंक हासिल की थी

जयंत मनकले ने 2018 की परीक्षा में AIR 923 हासिल किया था, लेकिन कुछ तकनीकी मुद्दों के कारण सिविल सेवक बनने से चूक गए। फिर 2019 में जयंत ने दुबारा से यूपीएससी की परीक्षा दी और 143वीं रैंक हासिल कर ख़ुद को साबित किया।

जयंत मांकले (Jayant Mankale) के ज़िंदगी की कहानी से हमें यही पता चलता है कि यदि हम सफलता पाने के लिए दृढ़ हैं तो हम राह में आने वाली सभी मुश्किलों को पार कर सकते हैं। The Logically जयंत को यूपीएससी परीक्षा में सफ़ल होने पर बधाई देता है।

Archana is a post graduate. She loves to paint and write. She believes, good stories have brighter impact on human kind. Thus, she pens down stories of social change by talking to different super heroes who are struggling to make our planet better.

Exit mobile version