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छतरपुर में पानी के लिए महिलाओं ने चीर दिया 107 मीटर लंबे पहाड़ का सीना, पीएम मोदी ने की तारीफ

बीते कुछ सालों से बरसात ना होने के कारण देश के कई राज्यों की हालत बहुत बुरी हो गई है। लोग एक-एक बूंद पानी को तरस गए हैं। लोग पानी को बचाने के लिए अपनी स्तर पर प्रयस कर रहे हैं। उनमें से एक है, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बुंदेलखंड क्षेत्र की एक 19 साल की लड़की। जिसने अपने अनोखे कार्य से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां तक की पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी उस लड़की की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए। उन्होंने रविवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में उस लड़की के कामों का ज़िक्र किया और उसकी तारीफ की।

107 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर बनाया रास्ता

उस लड़की का नाम बबीता राजपूत (Babita Rajput) है। उसने बुंदेलखंड क्षेत्र में छतरपुर के भेल्दा गांव की महिलाओं को पहाड़ काटकर नहर से तालाब को जोड़ने की प्रेरणा दी। इससे अब उनके गांव के तालाब में पानी भरने लगा है, जिससे वहां रहने वाला हर व्यक्ति खुश है। उन महिलाओं ने परमार्थ समाज सेवी संस्थान के सहयोग से नामुमकिन को मुमकिन कर दिया है। उन्होंने लगभग 107 मीटर लंबे पहाड़ को काटकर एक ऐसा रास्ता तैयार किया है, जिससे उनके गांव के तालाब में अब पानी भरने लगा है।

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एक बार फिर बहेगा बछेड़ी नदी में पानी

उन महिलाओं के प्रयास से अब सूखे हुए कुएं में पानी आ गया है। साथ ही जो हैंडपंप सालों से सुख गए थे, वह भी अब पानी देने लगे हैं। इसके अलावा 11 तालाबों का पुनरुद्धार हो चुका है। इस तालाब के भरने से अब सुखी हुई बछेड़ी नदी में एक बार फिर से पानी बहने की उम्मीद है। बछेड़ी नदी का उद्गम स्थल अंगरोठा है। इससे पहले बछेड़ी में केवल बरसात में ही पानी आता था परंतु अब आशा कि जा रही है कि बछेड़ी नदी पूरे साल बहने लगेगी।

जल संरक्षण देश के हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को मन की बात में कहते हैं कि बबीता राजपूत का गांव बुंदेलखंड में हैं। उसके गांव के पास एक बहुत बड़ी झील थी, जो कुछ साल पहले सुख गई थी। बबीता अपनी गांव की कुछ महिलाओं के साथ मिलकर झील तक पानी ले जाने के लिए एक नहर बनाया है। इस नहर से बारिश का पानी सीधे झील में जाने लगा। अब यह झील पानी से भरी रहती है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि जल संरक्षण देश के हर नागरिक की ज़िम्मेदारी है और इस ज़िम्मेदारी को हर व्यक्ति को समझना भी होगा।

100 महिलाओं ने मिलकर किया नामुमकिन को मुमकिन

बबीता के गांव में पहले बारिश का पानी पहाड़ों के जरिए बहकर निकल जाता था। जिसके चलते उनके गांव में 40 एकड़ में बने तालाब में बरसात का पानी नहीं पहुंच पाता था। बबीता ने गांव में पानी लाने के लिए एक अभयन की शुरूआत की। इसके लिए उन्होंने गांव की महिलाओं को जोड़ा और वन विभाग की मदद से 107 मीटर के पहाड़ को काट कर रास्ता बना डाला। इसके जरिए अब उस तालाब में हमेशा पानी भरा रहता है। इस अभयन में बबीता के साथ 100 से ज़्यादा महिलाओं ने काम किया है। उनके इस प्रयास से गांव में खुशी का माहौल है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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