हमारे देश में बहुत से राज्य हैं और वे अपने विशेष कार्य के लिए जाने जाते हैं। छत्तीसगढ़ में स्थित बस्तर माओवादी गतिविधियों के लिए पहचाना जाता है। परन्तु इस मॉर्डन जेनरेशन में हर चीजों में परिवर्तन निश्चित है। यहां भी अब लोगों को कई चीजों में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इसका एक उदाहरण है बंबूका। जगदलपुर के लोगों ने आविष्कार कर बांस, लोहे, बेल मेटल और जुट का इस्तेमाल कर इसका निर्माण किया।
पर्यावरण के है अनुकूल
अब आपके मन में यह ख्याल आ रहा होगा कि ये बंबूका क्या जिसका आविष्कार किया गया। तो हम आपको बता दें कि ये बांस की बनी साइकिल है जो पर्यावरण के अनुकुल एवं सामान्य साइकिल के अपेक्षा 60 फीसदी हल्की भी है।
आजीविका के लिए इसका निर्माण
जहां तक हमें जानकारी है ये साइकिल इको फ्रेंडली होने के साथ, हल्की, सुंदर और सरल होगी। बांस से साइकिल का निर्माण कर उसे अंतराष्ट्रीय मार्ग में लाने के लिए तैयार किया जा चुका है। आशिफ खान जो कि इस प्रोजेक्ट के को-फाउंडर हैं उन्होंने बताया कि यहां जीविकोपार्जन के लिए इस तरकीब को अपनाया गया है ताकि लोग इससे खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकें।
अपनाते है वही कार्य जो जुड़ा हो पूर्वजों से
उन्होंने बताया कि हमने यहां के ट्राइबल कम्युनिटीज के हैंडीक्राफ्ट को प्रमोट किया ताकि उन्हें पहचान मिल सके। सामान्य तौर पर ट्राइबल्स उस कार्य को करते हैं जो उनके पूर्वजों से जुड़ा हो। हैंडीक्राफ्ट भी इसी क्षेत्र से जुड़ा है।
यह भी पढ़ें :- IIT हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने किया कमाल, पराली और भूसे से बना डाली बायो बिल्डिंग
साइकिल का वजन
अगर हम बंबूका के वेट की बात करें तो यह लगभग 18 किलोग्राम है। यह सामान्य साइकिल के अपेक्षा बहुत ही हल्की है। इससे पूर्व लोगों ने अफ्रीका में बांस की साईकिल का एक बेहतर नमूना देखा है। इस बार आप सबको बस्तर की साइकिल को देखने की बारी है।
इसकी कीमत
वैसे तो हम सब देख बहुत से साइकिल ओरिएंटेड डिजाइन पर फोकस किया होगा परंतु यह मेटल की तुलना में अत्यधिक फ्लैक्सिबल है। उन्होंने बताया कि उनका अगला टारगेट महिलाओं को फोकस करके साइकिल का निर्माण करना है। वहीं अगर इसकी कीमत की बात की जाए तो वह लगभग 45000 रुपए है।