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विदेश में मिली नौकरी को ना बोलकर लौटें स्वदेश, अब बकरी पालन से सालाना 10 लाख की कमाई कर रहे हैं

दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो खुद के लिए नहीं बल्कि समाज की बेहतरी के लिए, परेशानहाल लोगों के चेहरे पर खुशी लाने के लिए जीते हैं। आज की हमारी कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपने गाँव में रहकर किसी परंपरागत कारोबार को चुना खासकर तब जब उन्हें विदेश में 10 लाख रुपए सैलरी मिली थी।

पिता ने बचपन से खूब मनोबल बढ़ाया

डॉ. अभिषेक भराड महाराष्ट्र (Dr. Abhishek Bharad Maharastra) के चिखली तहसील के साखरखेर्दा गाँव के रहने वाले हैं।उनके पिता भागवत भराड (Bhagat Bharad) सिंचाई विभाग में इंजीनियर का काम करते हैं। अभिषेक के पिता अभिषेक को खूब पढ़ा-लिखा कर कामयाब इंसान बनाना चाहते थे। अभिषेक भी शुरू से पढाई में बहुत अच्छे थे।

goat farming Doctor Abhishek Bharad

जब गांव का साधारण लड़का विदेश में बन गया साइंटिस्ट

साल 2008 में अभिषेक ने बीएससी पूरी कर विदेश जाने का फैसला foreign education किया। अमेरिका के लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर्स (M.S) के बाद वहीं से अपनी पीएचडी की पढ़ाई भी पूरी की। साल 2013 में अभिषेक को लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी में ही साइंटिस्ट के तौर पर नौकरी मिल गई। अभिषेक ने 2 साल तक वहाँ काम किया और साथ हीं साइंस में बहुत सारे रिसर्च भी किए।

10 लाख की सैलरी को न बोलकर लौटे स्वदेश

यूनिवर्सिटी से अभिषेक को 10 लाख की तनख्वाह मिलती थी। इतना अच्छा जॉब होने के बावजूद अभिषेक का मन वहाँ नहीं लगता था। उन्हें हमेशा अपने घर की तथा अपने देश की याद आती थी। वह अपने देश में रहकर हीं कुछ करना चाहते थे जिससे उनके साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार मुहैया करवा सकें। उसके बाद अभिषेक ने नौकरी से रिजाइन देकर अपने देश, अपने गाँव लौट आए।

नौकरी रिजाइन करने की वजह

यूनिवर्सिटी से अभिषेक को 10 लाख की तनख्वाह मिलती थी। इतना अच्छा जॉब होने के बावजूद अभिषेक का मन वहाँ नहीं लगता था। उन्हें हमेशा अपने घर की ओर देश की याद आती थी। वह अपने देश में रहकर हीं कुछ करना चाहते थे जिससे उनके साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार मुहैया करवा सकें। उसके बाद अभिषेक ने नौकरी से रिजाइन देकर अपने देश, अपने गाँव लौट आए।

गांव लौटकर इस काम से जुड़ गए

अभिषेक बताते हैं कि बहुत सोंचने के बाद उन्होंने गोट फार्मिंग करने का फैसला किया। उन्होंने पूरा प्लान तैयार किया और 20 एकड़ की जमीन लीज पर ली। फिर बकरियों को रखने के लिए गोट शेड भी किराये पर लिया और गोट फार्मिंग goat farming की शुरूआत कर दी।

गोट फार्मिंग की नींव रखी गई

12 लाख की लागत से अभिषेक ने 120 बकरियाँ खरीदी और गोट फार्मिंग की शुरूआत की। अभिषेक ने बकरियों को बाजार का खाना ना खिला कर खुद से पौष्टिक खाना उगाने का फैसला किया। उन्होंने 6 एकड़ की जमीन पर मक्का, बाजरा आदि जैसी फसलों की बुआई शुरू कर दी और इन फसलों का प्रयोग वह बकरियों के चारे के रूप में करने लगे। इससे बकरियों को ज्यादा पौष्टिक खाना मिलने लगा।

हर साल 10 लाख की कमाई

एक हीं साल में अभिषेक के फार्म में बकरियों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई। आज उनके पास 8 अलग-अलग नस्लों के करीब 350 बकरियाँ हैं, जिसमें अफ़्रीकी बोर, बेतट, सिरोह, जमुनापरी इत्यादि नस्ल शामिल हैं। उन्हें एक बकरी बेच कर 10 हजार रूपए का मुनाफा होता है।अभिषेक को पिछले साल 10 लाख से अधिक की कमाई हुई थी।

बेरोजगारों को नौकरी और ट्रेनिंग भी

अभिषेक द्वारा बहुत से बेरोजगारों को रोजगार भी मिला है। अभिषेक ने परम्परागत व्यापार को आधुनिक तरीके से करके दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। वह दूसरों को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं और साथ हीं उन्हें इसका तरीका भी बता रहे हैं। उन्होंने किसानों का एक ग्रुप बनाया है और अपने ग्रुप के माध्यम से वे किसानों के लिए मुफ्त वर्कशॉप goat farming skill training का आयोजन भी करते हैं, जिससे किसानों को कुछ सीखने को मिल सके।

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