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गरीबी से बेबस होकर मां ने अपने ही बेटे को अनाथालय में डाला, बेटे ने पढ़ना शुरू किया और बन गया आईएएस अफसर: प्रेरणा

ज्यादातर लोग अपनी असफलता के लिए किस्मत को जिम्मेदार मान लेते हैं, तो वही कुछ लोग अपनी मेहनत और लगन से अपनी किस्मत को बदल लेते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी मोहम्मद अली शिहाब (Muhammad Ali Shihab) की है, जिन्होंने अपनी मेहनत से अपनी किस्मत लिखी।‌ उनका बचपन अनाथालय में बिता, गरीबी में बड़े हुए लेकिन वर्तमान में आईएएस (IAS) अधिकारी के पद पर देश की सेवा कर रहे हैं।

पिता की मृत्यु पर घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ी

मोहम्मद अली शिहाब (Muhammad Ali Shihab) केरल (Kerala) के मलप्पुरम जिले के एडवान्नाप्पारा के रहने वाले हैं। शिहाब की घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह छोटी सी उम्र में ही अपने पिता के साथ पान और बांस की टोकरियां बेचने लगे। स्थिति तब और बिगर गई जब साल 1991 में एक लंबी बीमारी के कारण शिहाब के पिता की मौत हो गई। उस समय शिहाब घर की जिम्मेदारी उठाने लायक भी नहीं हुए थे।

Due to poor conditions mother leaves her son in orphanage and son becomes an IAS officer Muhammad Ali Shihab

मां ने गरीबी से परेशान होकर डाला अनाथालय में

शिहाब के पिता की मृत्यु के बाद पांच बच्चों की जिम्मेदारी उनकी मां पर आ गई। उनकी मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं और ना ही उन्हें ऐसा कोई काम आता था, जिससे वह अपने बच्चों का पालन पोषण कर सकें। मां अपने बच्चों को कभी खुद से अलग नहीं करती लेकिन शिहाब की मां गरीबी से मजबूर हो गईं और शिहाब को अनाथालय में डाल दिया कि कम से कम वहां पेट भर खाना तो मिलेगा।

अनाथालय के जरिए मिला नया रास्ता

अनाथालय में शिहाब को ना केवल पेट भरने को खाना मिला बल्कि वह रास्ता भी मिला, जिससे उनकी ज़िंदगी बदल गई। यहां उन्हें पढ़ने का मौका मिला। शिहाब पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। शिहाब उस अनाथालय में 10 साल रहे। इस दौरान वह अपनी पढ़ाई से सबके चहिते बन गए। शिहाब के लिए अनाथालय किसी जन्नत से कम नहीं था। मोहम्मद अली शिहाब (Muhammad Ali Shihab) ने यहां रहते हुए यूपीएससी (UPSC) के अलावा विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा आयोजित 21 परीक्षाओं को पास करने में सफल रहे।

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यूपीएससी से पहले 21 परीक्षा पास किया

25 साल की उम्र में शिहाब यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा देने का फैसला किया परंतु उससे पहले उन्होंने एसएसएलसी (SSLC) की परीक्षा दिया और अच्छे अंकों से पास करते हुए टीचर ट्रेनिंग कोर्स किया, जिसके बाद उन्हें शिक्षक की नौकरी मिल गई। शिहाब कहते हैं कि जब वह अनाथालय में थे, तब देर रात तक पढ़ाई करते थे। सबकी नींद खराब न हो इसलिए शिहाब सिर पर चादर ओढ़कर उसके भीतर लैंप की रोशनी में पढ़ाई किया करते थे। इस दौरान वह चपरासी से लेकर होटल में हेल्पर, क्लर्क और मोटर ऑपरेटर तक सभी तरह का काम किए।

यूपीएससी का सफर

मोहम्मद अली शिहाब (Muhammad Ali Shihab) सिविल सर्विस की परीक्षा के पहले दो प्रयासों में असफल रहे थे लेकिन उनका इरादा पक्का था। साल 2011 में शिहाब अपने तीसरे प्रयास में 226वां रैंक के साथ यूपीएससी (UPSC) परीक्षा पास कर लिए। इंग्लिश में कमजोर होने के कारण शिहाब को इंटरव्यू के दौरान ट्रांसलेटर की ज़रूरत पड़ी थी, जिसमें उन्होंने 300 में से 201अंक प्राप्त किए। उसके बाद शिहाब नागालैंड के कोहिमा में नियुक्त हुए। एक गरीब पान बेचने वाला पिता और लाचार मां के बेटे ने अपने सपने को पूरा किया।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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