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खुद के पैसों से करते हैं बेसहारा वृद्धों की मदद, वृद्धाश्रम भी चलाते हैं : जानिए 25 बुजुर्गों वाले वृद्धाश्रम की कहानी

आज के जमाने में बुजुर्ग अपने ही बच्चों पर बोझ बन जा रहे हैं, कई घरों में बुजुर्गों का सुध लेने वाला कोई नहीं है। वहीं कई लोग बुजुर्गों की सेवा में ही अपना जीवन यापन करने को लेकर दृढ़ संकल्पित हो जा रहे हैं और उनके साथ हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उन्हीं में से एक हैं ओडिशा (Odisha) रहनेवाले किसान जलंधर पटेल (Jalandhar Patel), जो अपने परिवार के साथ-साथ 25 बुजुर्गों का एक अलग परिवार बना रखे हैं और उनकी सेवा को ही अपना धर्म मानते हैं।

स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरी के कार्यों से हैं प्रभावित

ओड़िशा (Odisha) के एक छोटे से गांव समलेईपदर (Samleipadar) के रहने वाले जलंधर पटेल (Jalandhar Patel) का बचपन स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरी की कहानियां सुनकर ही बीता। पार्वती गिरी की समाज सेवा से प्रेरित होकर वे हमेशा से दूसरे जरुरतमंदों के लिए कुछ करना चाहते थे। उन्होंने अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए अपने गांव और अपने पास आनेवाले हर बेसहारा बुजुर्गों की देखभाल करते हैं। इस कार्य के लिए उन्होंने एक छोटा सा वृद्धाश्रम भी बनवाया है।

Farmer Jalandhar Patel runs old age home inspired by Parvati Giri, Odisha

खेती से करते हैं परिवार और वृद्धाश्रम की देखभाल

जलंधर के पास 4 एकड़ खेत जिसमें वे गेंदे के फूल और चावल की खेती करते हैं और इसी की आमदनी से अपने परिवार के सात सदस्यों और वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों की देखरेख करते हैं।

वह कहते हैं कि उनके पास पैसों की बचत नहीं हो पाती है। वे जितना कमाते हैं वे सभी पैसे खर्च हो जाते हैं और कभी-कभी तो लोन भी लेना पड़ता है। इसके बावजूद भी उन्होंने कभी भी वृद्धाश्रम को बंद करने के बारे में नहीं सोचा है।

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इस तरह आया वृद्धाश्रम खोलने का ख्याल

ओड़िसा की स्वतंत्रता सेनानी पार्वती गिरी के समाज सेवा से जलंधर शुरू से ही बेहद प्रभावित रहे हैं। वे पार्वती गिरी के हर जन्मदिन पर गरीब और बेसहारों को राशन और जरूरी सामान देते थे। ऐसे में एक दिन उनके मन में यह ख्याल आया कि सिर्फ 1 दिन करने के बाद ये बेसहारा बुजुर्गो का जीवन पूरे साल सड़कों पर ही व्यतीत होगा, ऐसे में क्यों न इनके रहने की व्यव्स्था की जाएं।

रहने के साथ-साथ खाने-पीने और दवाइयों का खर्च भी उठाते हैं

जलंधर ने लगभग एक साल तक पैसे इकट्ठा करने के बाद वर्ष 2017 में पार्वती गिरी के नाम से ही एक वृद्धाश्रम खोला। उस वक्त उन्होंने 10-15 लोगों के रहने के लिए कमरा बनवाया और छह लोगों से उस वृद्धाश्रम की शुरुआत की, लेकिन वर्तमान में उस वृद्ध आश्रम में 25 लोग रह रहे हैं। जलंधर बेसहारा लोगों के रहने के साथ-साथ उनके खाने-पीने और दवाइयों का ख्याल भी रखते हैं। इस काम में जलंधर का पूरा परिवार उनकी मदद करता है।

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आश्रम में 13 महिलाएं और 12 पुरूष रहते हैं

जलंधर बताते हैं कि उनके वृद्धाश्रम में ज्यादातर लोग वैसे हैं जिनका अपना कोई परिवार नहीं है। वह आगे कहते हैं कि कभी-कभी कुछ बुजुर्ग अपने परिवारजनों से झगड़ा करके उनके पास आ जाते हैं। ऐसे में वे उन्हें समझा-बुझाकर उनके परिवार के पास वापस भेज देते हैं। वर्तमान में इस आश्रम में 13 महिलाएं और 12 पुरुष रहते हैं।

परिवार की तरह करते हैं देखभाल

जलंधर द्वारा बनाए गए पार्वती गिरी आश्रम में 70 से 90 वर्ष की उम्र के बुजुर्ग रहते हैं इसलिए उनकी देखभाल की जरुरत अधिक पड़ती है। आश्रम में जब कोई बुजुर्ग बीमार हो जाता है तो जलंधर उन्हें बरगढ़ के बड़े अस्पताल में लेकर दिखाने जाते हैं। इसके अलावा आश्रम में किसी बुजुर्ग की यदि मृत्यु हो जाती है तो जलंधर अपने परिवार के सदस्यों की तरह उनका अंतिम संस्कार भी करते हैं।

पत्नी और बेटा देते हैं साथ

जलंधर जब किसी काम में व्यस्त रहते हैं तब उनकी पत्नी और उनका बेटा विकाश आश्रम में रह रहे बुजुर्गों की देखभाल करते हैं। विकास जो बैचलर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई कर रहे हैं, आगे चलकर अपने पिता के इस नेक काम में साथ देना चाहते हैं।

प्रतिमाह 40 हजार रुपये का आता है खर्च

जलंधर ने बताया कि आश्रम को चलाने के लिए एक महीने में ₹40 हजार का खर्च आता है। हालांकि कभी-कभी गांव के कुछ लोग राशन और सब्जी देकर सहायता करते हैं।

अपने नेक कार्यों की वजह से जलंधर अपने गांव के दूसरें लोगों के साथ ही हम सभी के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गए हैं। यदि आप भी उनके इस नेक कार्य में मदद करना चाहते हैं तो दिए गए नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं।- 9937121317

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