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एक ऐसा Water Purifier जो बिना बिजली के काम करता है, किसान के बेटे ने किया यह अद्भुत अविष्कार: Shuddham

भले ही वर्तमान समय में दुनिया प्रगति की ओर अग्रसर हो लेकिन आज भी अधिकांश देश ऐसे हैं जहां जल संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है। वर्ष 1995 में विश्व बैंक (World Bank) के उपाध्यक्ष इस्माइल सेराग्लेडिन (Ismail Serageldin) ने जल संकट के संबंध में चेतावनी देते हुए कहा था कि – “भले ही इस शताब्दी की लड़ाई तेल के लिए लड़ी गई है, लेकिन अगली शताब्दी की लड़ाई जल आपूर्ति के लिए लड़ी जाएगी”

वहीं, भारत जैसे विकासशील देश में तो यह समस्या अपने विकराल रुप में है और जहां तक साफ पानी की व्यवस्था का प्रश्न है वो तो एक कल्पना मात्र बन कर रह गया है। साल 2018 में नीति आयोग(Niti Aayog) द्वारा किये गये एक अध्ययन के मुताबिक 122 देशों के जल संकट की सूची में भारत 120 वें स्थान पर है और साल 2020-21 तक भारत के 21 बड़े शहर जल संकट के चलते डे-ज़ीरो(Day-Zero) का सामना कर सकते हैं, जिसका मतलब होता है एक दिन के लिये पूरे शहर के नलों को बंद कर देना।

water purifier works without electricity

भारत में कई राज्य सरकारें, संगठन और व्यक्ति पानी की कमी के मुद्दे का समाधान करने की दिशा में इनोवेटिव तरीके लेकर आ रहे हैं। इन तमाम हालातों के मद्देनज़र मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के डेंगामल गांव (Dengamal Village at Ratlam District in Madhya Pradesh) निवासी 27 वर्षीय जितेंद्र चौधरी (Jitendra Chaudhary)ने एक ऐसे वॉटर फिल्टर (Water Fillter)का अविष्कार किया है जो बिना बिजली के ही इस्तेमाल किये गये पानी को फिर से पीने लायक बना देता है। इस फिल्टर को जितेंद्र ने ‘शुद्धम’(Shuddham) नाम दिया है।

क्या है ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर की खासयितें

अपने अविष्कार ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर के बारे में किसान परिवार में जन्में जितेंद्र का कहना है कि – “हम रोज़ तकरीबन 20 फीसदी पानी को पीने व खाना पकाने में यूज़ करते हैं, जबकि 80 प्रतिशत पानी सफाई, नहाने या फ्लशिंग के काम में प्रयोग होता है। ऐसे में ‘शुद्धम’ अपनी तरह का ऐसा पहला वॉटर फिल्टर है जो बिना बिजली का उपयोग किये प्रतिदिन 500 लीटर तक गंदे पानी को फिल्टर करके इसे पुनः पीने या खाना बनाने योग्य कर सकता है”

आपके बजट में है ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर

इस्तेमाल किये पानी को दोबारा पीने लायक बनाने वाले ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर की कीमत केवल 7000 रुपये है और हर साल इसकी मेंनटेनेंस में केवल आपको 500 से 700 रुपये तक खर्च करने पडेंगे।

गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत पर काम करता है ‘शुद्धम’

लॉ आफ ग्रेविटी(Law of Gravity) के आधार पर काम करने वाले ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर अपने कई सारे फिल्टर प्रोसीज़र के द्वारा घरेलू कार्यों में इस्तेमाल किये गये पानी को फिर से इस्तेमाल करने लायक बना देता है।

गेन्यूअल्स सिस्टम पर बेस्ड है ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर

‘शुद्धम’ अविष्कारक जितेंद्र चौधरी का कहना है – “यह फिल्टर गेन्यूअल्स सिस्टम(Granules System) पर आधारित है। इसमें ऊपर से गंदा पानी डालने पर फिल्टर के निचले भाग से शुद्ध पानी मिलता है। इसमें एक्टिव कार्बन पार्टिकल का उपयोग हुआ है जो पानी में निहित सोडा अथवा अन्य केमिकल्स को आब्जर्व करके साफ पानी देता है और रिसाइकल्ड वॉटर को फिल्टर के सबसे निचले पार्ट के माध्यम से बाहर छोड़ा जाता है”

MIT कॉलेज हॉस्टल में इन्स्टॉल किया गया है ‘शुद्धम’ को

वर्तमान में ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर को MIT कॉलेज हॉस्टल में स्थापित किया गया है जहां यह रोज़ तकरीबन 500 लीटर पानी को रिसाइकल करता है। 90 हज़ार लीटर पानी फिल्टर कर लेने के बाद ‘शुद्धम’ के गेन्यूअल्स चेंज कर दिये जाते हैं।

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MIT ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट के साथ सहायक शोधकर्ता के रुप में काम कर चुके हैं जितेंद्र

2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद जितेंद्र ने महाकाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Mahakaal Institute of Technology) में रिसर्च स्कॉलर के रुप में काम किया है। तदुपरांत, MIT ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट में एक सहायक शोधकर्ता के रुप में काम किया है।

सबसे कम आयु के वैज्ञानिक पुरुस्कार से सम्मानित हैं जितेंद्र

नेशनल और इंटरनेशनल कॉफ्रेंस में अपने चार पेपर्स पब्लिश कर चुके जितेंद्र मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौधोगिकी परिषद से सबसे कम उम्र के साइंटिस्ट के अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।

भारत के सूखाग्रस्त इलाकों में इस्तेमाल के लिये ‘शुद्धम’ में लाये जायेंगे बदलाव

वर्तमान में जितेंद्र ‘शुद्धम’ वॉटर फिल्टर के डिजायन और तकनीक पर कुछ बदलाव करने की दिशा में काम कर रहे हैं जिससे लागत कम करते हुए इस भारत के सूखा-ग्रस्त गांवों में अधिक किफायती तौर पर इस्तेमाल किया जा सके। ‘शुद्धम’ की उपयोगिता को देखते हुए जितेंद्र ने अपने इस अविष्कार को पेटेंट (patent )करवा लिया है और अब इसको व्यवसायिक रुप से बाज़ार में लाने के लिए प्रयत्नशील हैं। जिसके चलते उन्हें कई बड़ी कंपनियों से भी आर्डर मिलने शुरु हो गये हैं। इतना ही नही राजस्थान और उत्तराखंड राज्यों से वॉटर प्यूरीफिकेशन प्लांट लगाने संबंधी आर्डर भी मिल रहे हैं।

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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