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गोपिका बनी केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेज, 8वीं कक्षा में देखा था एयर होस्टेन बनने का सपना

Gopika First Tribal Air Hostage Of Kerala

डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा कही गई बहुत ही खुबसूरत एक पंक्ति है, “सपने वो नहीं होते जिसे आप नींद में देखते हैं, सपने आपको होते हैं जो आपको सोने नहीं देते”

उपयुक्त कथन बिल्कुल सही है क्योंकि सपने तो सभी देखते लेकिन सपना उन्हीं का पूरा होता है जो इसके लिए जी जान लगा देते हैं। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सपना तो देखते हैं लेकिन उसे पाने की कोशिश नहीं करते हैं लेकिन इसके विपरीत अनेकों लोग अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं और अन्ततः मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं।

कुछ ऐसी ही कहानी है एक आदिवासी लड़की (Tribal Girl) की, जिसने 8 वीं कक्षा में देखे हुए सपने को आज हकीकत में तब्दील कर दिया है और साथ केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेज (First Tribal Air Hostage Of Kerala) बनी है। उस आदिवासी लड़की की सफलता के चर्चे पूरे देश है। इसी क्रम में आइए जानते हैं उस प्रेरणादायी लड़की के बारें में विस्तार से-

कौन है वह केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेज?

हम बात कर रहे हैं गोपिका (Gopika) की जो केरल की अनुसूचित जनजाति करीमबाला (Karimbala Tribal Community) से सम्बंध रखती हैं और अलाकोडे के ST कॉलोनी कावुनुकुडी की रहनेवाली हैं। उनके माता-पिता का नाम पी गोविंदन और वीजी है। वर्तमान में गोपिका अब केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेज बनकर मिसाल पेश की है।

सपने को पूरा करके खुशी मिलती है

सामान्य जनजाति की तरह ही गोपिका का बचपन भी काफी गरीबी में बीता, लेकिन अभाव में जीवन व्यतीत करने के बाद भी उन्होंने सपने देखना नहीं छोड़ा। वह बताती हैं कि, एक बार उन्होंने अपने घर की छत के उपर से हवाईजहाज को उड़ते हुए देखा था। उसी समय उन्होंने तय किया कि उन्हें भी हवाईजहाज के अंदर जाना है। आज वह एयर होस्टेज बनने के बाद जब वह एयरप्लेन के पास जाकर खुशी मह्सूस होती है।

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8 वीं कक्षा में देखा था एयर होस्टेज बनने का सपना

गोपिका (Gopika) ने जब एयर होस्टेज (Air Hostage) बनने का ख्वाब संजोया था उस समय वे 8 वीं कक्षा की छात्रा थीं और उनकी उम्र महज 8 वर्ष की थी। उन्हें अपने इस सपने को पूरा करना था इसलिए उन्होंने इसे हमेशा संजो कर रखा और इसके बारें में किसी को भी जानकारी नहीं दी।

उसके बाद एयर होस्टेज के ख्वाब को पूरा करने के लिए उन्होंने इसके बारें में जानकारी जुटाना शुरु कर दिया। जांच-पड़ताल करने पर उन्हें मालूम हुआ कि, इसके कोर्स को पूरा करने में काफी अधिक खर्चा आएगा। उन्होंने देखा कि उनका परिवार इसका खर्च उठाने में सक्षम नहीं है ऐसे में वे इस सपने को छोड़ने का मन बनाई।

अनुदान राशि से मिली मदद

कहते हैं कि, यदि मन में कुछ करने का दृढ़ निश्चय हो तो उसे पूरा करने में यदि एक दरवाजा बन्द होता है तो दूसरा खुल जाता है। गोपिका के साथ भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने जब अपने सपने को छोड़ना चाहा उसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि ST लड़कियों के शिक्षा के लिए सरकार की तरफ से अनुदान दिया जाता है। उसके बाद गोपिका ने IATA कस्टमर सर्विस केयर से डिप्लोमा का कोर्स पूरा किया और फिर वायानाड स्थित ड्रीम स्काई एवियेशन ट्रेनिंग अकेडमी में पढ़ाई की शुरूआत कर दिया।

चूंकि, सरकार की तरफ से ST लड़कियों को शिक्षा के लिए अनुदान दिया जाता है इसलिए गोपिका को भी सरकार की ओर से 1 लाख रुपये की सहायता राशि मुहैया कराई गई जिससे उनकी पढ़ाई में काफी मदद हुई। अब वह शीघ्र ही Air India Express से जुड़ेंगी।

अभाव में बचपन गुजारने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा ही नहीं किया बल्कि केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेज (Gopika First Tribal Air Hostage Of Kerala) बनकर प्रेरणा की मिसाल पेश की है। The Logically उनकी सफलता के लिए ढेर सारी बधाई देता है।

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