तस्वीर में लाल जोड़े में दिख रही ये लड़की तब सुर्खियों में आईं थी जब इसे हरियाणा के रोडवेज बसों में महिला परिचालक (Female bus conductor) के तौर पर देखा गया था। याद दिला दें ये हरियाणा की वही शैफाली है जो कुछ दिनों पहले बसों में टिकट काटती नजर आईं थी। तब लोगों ने शेफाली कि काफी सराहना भी की थी। फिलहाल वो एक एक बार और सुर्खियों में है लेकिन इस बार वजह कुछ और है।
बस चालक के साधारण वेशभूषा से लाल जोड़े में
हरियाणा रोडवेज (Haryana Roadways) की बसों में टिकट काटने वाली शैफाली को पहले हमने हाथ में थैला लिए साधारण वेशभूषा में देखा था। लेकिन इन तस्वीरों में वह दुल्हन के जोड़े में सजी नजर आ रही है। इतना ही नहीं वह हेलीकाप्टर में अपने सपनों के राजकुमार के साथ विदा होती भी दिख रही है।
बीते चार पीढ़ियों से नहीं थी कोई बेटी, लाड प्यार में पली शैफाली
सिरसा के HSVP सेक्टर में रहने वाले पवन मांडा की बेटी शैफाली की शादी बीते सोमवार को कैरांवाली गांव के निवासी सचिन सहारण के साथ हुई। शैफाली के पिता पवन मांडा SDM कार्यालय में कार्यरत हैं और मां शिक्षा विभाग में काम करती है। चाचा प्रवीण मांडा पुलिस विभाग में हैं और राजवीर मांडा को- ऑपरेटिव बैंक कागदाना में चेयरमैन हैं। जबकि खुद शैफाली के पति सचिन सहारण PNB में फील्ड ऑफिसर हैं। शैफाली के परिवार में चार पीढ़ियों से कोई बेटी नहीं जन्मी थी। इसलिए परिवार ने उन्हें खूब लाड-प्यार से पाला। बचपन से ही हर छोटी बड़ी खुशी का ध्यान रखा गया।
15 मिनट में हेलीकॉप्टर से पहुंची ससुराल
बेटी के शादी धूमधाम से करने का सपना संजोए माता पिता ने हर मुमकिन कोशिश की शादी में कोई कमी न रहे। शैफाली का ससुराल गांव कैरांवाली सिरसा से करीब 25 किलोमीटर दूर है। परिवार वालों ने बेटी की विदाई थोड़े अलग तरीके से करने की सोच और शादी के दूसरे दिन उसकी विदाई हेलीकॉप्टर से हुई। गांव वालों के सामने ये काफी यूनिक विदाई थी। इस तरह 15 मिनट में वह अपनी ससुराल पहुंच गई। हालांकि विदाई परिवार के लिए काफी भावुक पल होता है लेकिन शैफाली के परिवावालों ने अपनी बेटी को हंसते हंसते विदा किया। इस विदाई को देखने के लिए गांव वालों का तांता लगा था।
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रोडवेज बसों में टिकट काटना नहीं होता आसान
हरियाणा रोडवेज की बसें देशभर में सर्विस के लिए जानी जाती हैं। स्पीड और अच्छी व्यवस्था के लिए हरियाणा में रोडवेज बसों को हरियाणा शक्ति के नाम से भी जाना जाता है। मगर इन बसों में सवारियों की भारी भरमार रहती है। कई बार तो ये भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि कंडक्टर के लिए टिकट काटना तक मुश्किल हो जाता है। बावजूद इसके शैफाली ने बेहतर तरीके से अपने ड्यूटी को निभाया।
फिलहाल वह एमए पीएचडी कर रही हैं। करीब दो साल पहले रोडवेज कर्मचारियों की 2018 में हड़ताल के दौरान रोडवेज में महिला परिचालक के तौर पर उन्होंने ज्वाइन किया था फिर कुछ दिनों बाद हड़ताल खत्म होने के बाद वो दोबारा पढ़ाई करने लगी।
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