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आंख से कम दिखता है और घर मे बिजली नहीं , फिर भी परीक्षा में टॉप कर गईं कीर्ति

सफलता यह मायने नहीं रखती कि आप कैसे हैं, कहां से हैं, अमीर है या गरीब हैं। सफलता आपकी कोशिशों पर निर्भर करती है। सफल होने के लिए आप में परिश्रम के साथ-साथ जुनून भी होना चाहिए, ताकि जब आप सफलता को हासिल करें तो सबके लिए प्रेरणा बनें। आज की कहानी उस दिव्यांग छात्रा की है जिसने 12वीं में 472 अंक लाकर सबका हौसला बढ़ाया है।

कृति टॉप 10 में अपनी जगह बनाई

कृति मध्य प्रदेश की निवासी हैं। कृति प्रियंवदा मध्य प्रदेश के सतना में स्थित ‘विमला उमा विद्यालय’ में पढ़ती है। दिव्यांग होने के बावजूद भी इन्होंने 12वीं की परीक्षा में टॉप 10 विद्यार्थियों में ख़ुद को शामिल किया है। 10वीं के बाद इन्होंने 12वीं में आर्ट्स स्ट्रिम से पढ़ाई की और कड़ी मेहनत कर टॉप 10 के लिस्ट में 8वें नंबर पर जगह बनाकर स्कूल का नाम भी रौशन कर दिखाया है।

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कृति जन्म से ही दिव्यांग हैं

कृति का जब जन्म हुआ तब घर मे खुशी का माहौल था। लेकिन जैसे-जैसे कृति बड़ी हुई तो पता चला कि उनके एक आंख से बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है और दूसरे आंख से मात्र 25% ही दिखाई देता है। उस समय से कृति की मां को उनके लिए हमेशा चिंता लगी रहती थी। लेकिन कृति ने ये साबित कर दिया कि वह दिव्यांग होते हुए भी सफलता को प्राप्त कर सकती हैं।

कृति की मां रश्मि कुशवाहा सिलाई के सहारे घर का खर्चा चलाती है

कृति के पिता का टेंट का कारोबार था, जिससे वह अपने परिवार का खर्चा संभाल रहे थे। लेकिन 2018 में हुई एक दुर्घटना में उन्हें गंभीर रूप से चोट पहुंची और उनका कारोबार बंद हो गया। तब घर का सारा जिम्मा उनकी पत्नी रश्मि कुशवाहा के ऊपर आ गया। कृति ने अपनी मां की मदद के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया और उनकी मां रश्मि घर में सिलाई बुनाई का काम शुरू किया और दोनो मां बेटी मिलकर घर का खर्चा चलाने लगी।

बिजली की व्यवस्था नही होने पर भी की पढ़ाई

कृति के घर पर बिजली की व्यवस्था नहीं है। उनके पास आर्थिक तंगी होने के कारण बिजली का भुगतान नहीं हो रहा था, जिस कारण बिजली विभाग ने उनका कनेक्शन काट दिया। कृति को आस-पास वालों के घर पर जाकर पढ़ाई करना पड़ता था, जब उन्हें यह एहसास हुआ कि उनका पढ़ना उनके पड़ोसियों को बुरा लग रहा है तो उन्होंने दिन में पढ़ाई करना शुरू कर दिया।

इतनी बड़ी सफलता हासिल हुई लेकिन घर में मिठाई खाने के लिए पैसे नहीं थे

कृति को जब पता चला कि उन्होंने टॉप 10 लिस्ट में जगह बनाई है, तो उन्होंने यह खुशी अपनी मां से जाहिर की। उनकी मां खुशी से झूम उठी लेकिन उस समय उनके पास आर्थिक तंगी होने के कारण मिठाई खरीदने के लिए फूटी कौड़ी भी नहीं थी। तब उनकी मां ने अपनी बेटी का मुंह मीठे बिस्किट से कराया। The logically कृति के इस जज्बे को सलाम करते हुए उन्हें बधाई देता है।

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Khushboo loves to read and write on different issues. She hails from rural Bihar and interacting with different girls on their basic problems. In pursuit of learning stories of mankind , she talks to different people and bring their stories to mainstream.

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