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महिला डॉक्टर की दरियादिली, मात्र 10 रुपये फीस लेकर गरीब लोगों का इलाज़ करती हैं

किसी भी डॉक्टर का सबसे बड़ा धर्म होता है मरीज की जाति व धर्म न पूछकर उसका इलाज करना और इस सेवा में किसी तरह की कोई कमी नही रहने देना। साथ ही, अपने प्रयत्नों से मरीजों को नया जीवनदान देकर चिकित्सकीय सेवा द्वारा उनको संतुष्ट करना।

लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि इलाज करवाने के बदले डॉक्टरों द्वारा बड़ी-बड़ी रकम मांगे जाने की वजह से लोग ज़्यादातर चिकित्सीय सेवा लेने से कतराते हैं। ऐसे में आर्थिक रुप से अक्षम लोग किसी झोलाछाप या पीर-मौलवी के चक्कर काटने लगते हैं।

इन तमाम बातों व शंकाओं के बीच आंध्र प्रदेश के कड़प्पा जिले (Kaddappa District- Andhra Pradesh) की एक युवा डॉक्टर नूरी परवीन (Noore Parveen) ने इंसानियत की अद्भूत मिलास पेश की है जो केवल 10 रुपये कंस्लटेशन फीस लेकर आर्थिक रुप से कमज़ोर लोगों का इलाज कर रही हैं।

Noore Parveen

महज़ 10 रुपये में मरीज़ों का इलाज करती हैं डॉ नूरी परवीन

आंध्र प्रदेश के कड़प्पा जिला निवासी डॉ. नूरी परवीन अपने पास आने वाले बेसहारा और गरीब मरीज़ों से केवल 10 रुपये कंस्लटेशन फीस लेती हैं। वहीं क्लीनिक में भर्ती होने वाले मरीज़ों से एक दिन की फीस 50 रुपये ली जाती है। आर्थिक रुप से कमज़ोर मरीज़ों के लिए आशा की एक किरण बन चुकी नूरी हर रोज़ 40 मरीज़ो का इलाज करती हैं। वर्तमान में नूरी ऐसे हज़ारों परिवारों के लिए एक आर्दश डॉक्टर व मसीहा बन गई हैं जो दवाईयों व इलाज के मंहगे खर्च उठाने में असमर्थ हैं।

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मैं इस पेशे में समाजसेवा के लिए हूं, पैसा कमाने के लिए नहीः डॉ. नूरी

डॉक्टर नूरी कहती हैं – “बच्चे मेरे पास 10 रुपये का नोट लेकर आते हैं और कहते हैं मैडम मेरी बहन का इलाज कर दीजिये, ये बात सुनकर और उनके लिए काम करके मुझे बेहद खुशी मिलती है, अधिकतर लोग सरकारी अस्पतालों में अपेक्षाकृत कम सुविधायें होने की वजह से नही जाते और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना उनके लिए मुमकिन नही, इन परिस्थितियों में वे ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के पास चले जाते हैं जो उनकी बीमारी का इलाज स्टेरॉइड्स देकर करते हैं जोकि सेहत के लिए बिल्कुल सही नही, मैं एक MBBS डॉक्टर हूं, और उनसे केवल 10 रुपये चार्ज करते हुए मैं उनका इलाज करती हूं। इस फील्ड में काम कर रहे बाकी लोगों के विपरीत मैं अभी भी अपनी ज़रुरतों के लिए अपने पिता से आर्थिक सहयोग लेती हूं। मैं इस पेशे में केवल समाजसेवा के उद्देश्य से आई हूं, पैसा कमाने के लिए नही”

नूरी के इस सद्कार्य से उनके पेरेंट्स बेहद गर्व महसूस करते हैं

मीडिया से हुई बात में कडप्पा के फातिमा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज(Fatima Institute of Medical College- FIMS) से MBBS करने वाली डॉ नूरी कहती हैं कि – “ मैंने अपना क्लीनिक जानबूझ कर कड़प्पा के एक गरीब क्षेत्र में खोला, जिससे मैं गरीब मरीज़ों को बेहतर ट्रीटमेंट दे सकूं, मैंने अपने माता-पिता को बिना बताये ही इस क्लीनिक की शुरुआत की थी, लेकिन जब उन्हे मेरे इस फैसले व क्लीनिक के बारे में पता चला तो वे बेहद खुश हुये”

मध्यमवर्गीय परिवार से तालुक्क रखती हैं नूरी

कड़प्पा जिले की युवा डॉक्टर नूरी परवीन एक मिडिल क्लास फैमिली से संबंध रखती हैं। बेहद परिश्रम व दृढ़ संकल्प के साथ मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर उन्होंने MBBS की शिक्षा पूर्ण की है, जिसपर उनके परिवार ने काफी पैसा भी खर्च किया है। ऐसे में ज़रुरतमंदों व गरीब मरीज़ों के इलाज के लिए केवल 10 रुपये फीस लेना बेशक ही नूरी द्वारा लिया गया एक सराहनीय व प्रेरणादायी कदम है।

भविष्य में मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल खोलना चाहती हैं नूरी

आने वाले समय में डॉ नूरी मनोविज्ञान(Psychology) में पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहती हैं। साथ ही देश के गरीब व वंचित लोगों क लिए एक मल्टी-स्पेशियलिटी हॉस्पिटल भी खोलना चाहती हैं उसमें भी उनकी फीस मात्र 10 रुपये ही होगी। नूरी के मुताबिक उनको समाज-सेवा करने की प्रेरणा उनके माता-पिता से ही मिल है।

बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं नूरी

The Hindu अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक ‘इंटरनेशनल वीमेनस् डे’ की पहली रात पर अपने एक इंटरव्यू में परवीन ने कहा कि वे न केवल बचपन से ही एक डॉक्टर बनना चाहती थीं बल्कि अपने दादा नूर मोहम्मद और पिता मोहम्मद मकबूल जोकि 1980 के दशक में एक कम्यूनिस्ट नेता थे उनके ही तरह समाज के लिये कुछ करना चाहती थीं।

कॉलेज के समय से ही समाज सेवा करने लगी थीं डॉ, नूरी

मरीज़ों के बीच ’10 रुपये डॉक्टर’ के रुप में पहचाने जाने वाली नूरी अपने कॉलेज के दिनों से ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्थानीय अनाथालयों व वृद्धाश्रमों में जाकर लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल व सेवा किया करती थीं।

वर्तमान में डॉ, नूरी ने महिला स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं भी शुरु की हैं

हाल ही में डॉ, नूरी ने महिलाओं के लिए 10 रुपये में ही गायन्कॉलोजी सर्विस (Gynaecology Service) भी शुरु की है। वे कहती हैं कि – “बहुत से ऐसे लोग जो मेडिकल कॉम्पलिकेशन्स से जूझ रहे होते हैं और ये नही जानते कि इन हालातों में किन डॉक्टर्स को दिखाया जाये मैं उन्हे ऑर्थोपेडिक, न्यूरोलॉजी और गायन्कॉलोजी के डाक्टरों के पास केवल 10 रुपये में भेज देती हूं”

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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