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नई कार नहीं खरीद सकें तो खुद से ही 6 महीनों में तैयार कर ली Volkswagen beetle जैसी कार

टैलेंट और सोच का दायरा जब बढ़ता है तो कमाल का रिजल्ट सामने आता है। इसका एक उदाहरण केरल के रकेशबाबू हैं। तस्वीर में इस पीले रंग की कार को देखिए जो वोक्सवैगन बीटल (volkswagen beetle) की मिनिएचर कॉपी की तरह लग रही है। लेकिन इस कार को कंपनी ने नहीं बल्कि एक युवक ने बनाया है। ये कार कई पार्ट्स असेंबल कर के बनाई गई है।

बचपन से ही मैकेनिकल कामों में था जुनून

केरल के चेरथला, अलाप्पुझा जिले में रहने वाले 29 साल के राकेशबाबू बचपन से ही अपने पिता के मैकेनिक वर्कशॉप में जाते रहे हैं। जहां कई तरह की कारों के बीच उन्हें मैकेनिकल जानकारी मिलती रही। इस कड़ी में वो बाइक जीप और अब कार बनाने की ओर प्रेरित हुए।

Kerala guy

पहले भी बना चुके हैं जीप और बाइक

2009 में राकेश बाबू ने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग में डिप्लोमा पूरा किया। कार से पहले वह बाइक और जीप बनाने का प्रयास भी कर चुके हैं। लेकिन उस समय पैसे अधिक न होने के कारण उन्हें काफी कंप्रोमाइज करना पड़ा था। जीप और बाइक उन्हें स्क्रैप मटेरियल से बनाई थी जिसमें उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली थी। इन सब के बावजूद वो कई प्रोजेक्ट्स पर काम करते रहें।

40 हजार में तैयार हो गई नई कार

रकेशबाबू के पास कार खरीदने के लिए उतने पैसे नहीं इकट्ठा हो पा रहे थे तो उन्होंने खुद से कार बनाने का फैसला कर लिया जिसका रिजल्ट सामने है। बता दें कि 6 महीने पहले उन्होंने इस कार को बनाने का काम शुरू किया था। पीले रंग की इस कार को बनाने में कुल लागत 40 हजार आई है। ज्यादातर कार के पार्ट्स उन्होंने अपने पिता की वर्कशॉप से ही लिया है।

जानिए कैसे रकेश बाबू ने 6 महीनों में बनाई कार

कार इंजन (Suzuki Samurai motorbike) से ली गई है। ऑटो रिक्शा से टायर , बंपर बाइक क्रैश गार्ड से और डोर हैंडल (Ambassador), शीशे (TVS Fiero FX motorcycle) से लिए गए हैं। रिवर्स गेयर न मिलने पर उन्होंने खुद से बना लिया। रकेशबबू ने मीडिया से बताया की कार का पहला मॉडल पैडल मारकर शुरू होता था जबकि दूसरे मॉडल में, उन्होंने एक सेल्फ स्टार्ट सिस्टम डिजाइन किया। ऐसा पहली बार होगा जब सेल्फ स्टार्ट सिस्टम टू-स्ट्रोक मॉडल के साथ दिया गया हो।

40Km/hr स्पीड और 30 Km/L की एवरेज

इस कार की अधिकतम स्पीड 40 किमी / घंटा है। साथ ही ये 30 किमी / लीटर का एवरेज देती है। पेट्रोल टैंक की कैपेसिटी 4 लीटर है। राकेश बाबू प्राइवेट कंपनी में एक मैकेनिक के तौर पर काम करते हैं, जिस कारण उन्हें कार बनाने में 6 महीने का समय लगा वरना ये तीन महीनों में भी बनाई जा सकती है ऐसा रकेश बाबू का मानना है।

फिलहाल नियमों के कारण वो इस कार को सड़क पर नहीं चला सकते है इसलिए उन्हें बेहतर प्लेटफॉर्म का इंतजार है।

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