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Covid-19 में PPE किट्स की रद्दी से बना डाले गद्दे, अब दूसरी महिलाओं को दे रही रोज़गार

मनुष्य अपनी सुख-सुविधा को समय के साथ और बेहतर करने की कोशिश करते रहता है। हमें रोज की जिंदगी में जो चीज की आवश्यकता पड़ती है, हम तुरंत ही उसका आविष्कार कर लेते हैं। इससे हमारी जिंदगी बहुत आसान हो जाती है, जबकि इसमें से बहुत से ऐसे चीज़ है, जो पर्यावरण और धरती के लिए खतरनाक साबित होती है। जैसे ग्लेशियर का पिघलना, धरती और सागर में प्लास्टिक कचरे की तादाद का रोज़ बढ़ना।

वेस्ट पेपर (Waste paper) से बना दिया कलम

हमारे समाज में कुछ ऐसे भी व्यक्ति हैं, जो अपने लाभ के लिए पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो पर्यावरण को दूषित होने से बचाने में जुटे हैं। उनमें से एक हैं केरल (Kerala) के एर्णाकुलम की रहने वाली लक्ष्मी मेनन (Lakshmi Menon). वह एक प्रसिद्ध इनोवेटर(Innovator) हैं। लक्ष्मी अपनी अकलमंदी से वेस्ट पेपर (Waste Paper) से कलम बनाई थी। प्लास्टिक के कलम का प्रयोग करने से पर्यावरण दूषित होती है।

Lakshmi Menon invents living mattress from PPE kits during Covid-19

लक्ष्मी कटा-फटा कपड़ा से बना देती हैं गद्दे

आमतौर पर हम जब भी दर्ज़ी के पास जाते हैं, तो फ़र्श पर इधर-उधर काफ़ी सारा कटा-फटा कपड़ा पड़ा दिखता है, जो हमें किसी काम का नहीं लगता परंतु उन्हीं कपड़ों को इकट्ठा कर और उनका सिलाई करके लक्ष्मी ने गद्दा बनाया है। उस गद्दे को लक्ष्मी (Pure Living) के ज़रिए ज़रूरतमंदों तक पहुंचाती थी। पर्यावरण को साफ रखने की लक्ष्मी का इच्छा कोविड-19 (Covid-19) के दौरान भी दिखा। वह Mask, PPE Kits आदि के पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव को बहुत अच्छे से जानती हैं।

लक्ष्मी ने PPE किट्स से बनाऐ गद्दे

Covid केयर सेंटर्स द्वारा बढ़ते गद्दों की मांग को और पर्यावरण पर Covid-19 कचरे के बड़ते प्रभाव दोनों को समझते हुए लक्ष्मी मेनन (Lakshmi Menon) ने भी एक बार एक नया इनोवेशन (Innovation) कर डाला। इस बार लक्ष्मी ने इस्तेमाल किए हुए PPE किट्स से गद्दे बना डाले। एक इंटरव्यू के दौरान लक्ष्मी बताती है कि केरल में 900 से ज़्यादाा ग्राम पंचायत थे और हर ग्राम पंचायत में Covid केयर फैसिलिटी थी। इस दौरान हर सेंटर पर कम से कम 50 बिस्तर मौजुद थे।

Covid-19 के दौरान गद्दे की थी बहुत जरूरत

लक्ष्मी मेनन (Lakshmi Menon) कहती हैं कि कोविड-19 पैंडमिक के दौरान गद्दे बहुत ही ज़रूरी थे। एक गद्दा की किमत 500-700 तक है। इसकी मांग इसलिए ज्यादा बढ़ जाती थी क्योंकि मरीज़ बदलने के साथ ही गद्दे को भी बदलना या फिर उसे अच्छे से धोना पड़ता था। Covid-19 के दौरान पैंडमिक में PPE किट्स की मांग तेजी से बढ़ी इस दौरान बहुत सी कंपनियां लोकल दर्ज़ी से PPE किट्स बनवाने लगी थी। लक्ष्मी बताती है कि केरल के एक दर्ज़ी को 20 हज़ार PPE किट्स बनाने का ऑर्डर मिला था।

लक्ष्मी कई महिलाओं को दे चुकी हैं रोजगार

लक्ष्मी ऐसे प्रोडक्शन हाउसेज़, दर्जियों से PPE किट्स बनाने के बाद उनमें से बची कपड़े की रद्दी लाती हैं और उसी से गद्दे बनाती हैं। लक्ष्मी बचें कपड़ों का रिसाइकल कर उसे दुबारा प्रयोग में लाती है। लक्ष्मी बताती है कि एक छोटे प्रोडक्शन यूनिट से 6 टन रद्दी निकलती है, जिससे 2400 शैया बनाए जा सकता है। लक्ष्मी कहती है कि नॉर्मल गद्दे ख़रीदने में 12 लाख तक का खर्च होता है। Covid-19 के दौरान बहुत सी महिलाओं की नौकरी चली गई थी, ऐसे में लक्ष्मी ने ऐसी महिलाओं को रोजगार दिया।

लक्ष्मी Covid सेन्टर्स में मुफ़्त में देती है गद्दे

लक्ष्मी का गद्दे बनाने का वर्कशॉप कोच्चि (Kochi) के पास है। एक गद्दा बनाने में लगभग 35 मीटर Braid का प्रयोग होता है। जब लक्ष्मी के द्वारा बनए गए गद्दे की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो बहुत से बड़े कंपनियों ने उन्हें गद्दे का ऑर्डर दिया। लक्ष्मी उन कंपनियों से 300 रुपये प्रति गद्दे चार्ज करती है। जबकि Covid सेन्टर्स में लक्ष्मी मुफ़्त में गद्दे देती है। रिपोर्ट के अनुसार लक्ष्मी मेनन (Lakshmi Menon) और उनकी टीम ने मिलकर अब तक 1000 से ज़्यादा गद्दे कोविड सेन्टर्स में बांटे है। कुछ ही दिन पहले लक्ष्मी को वनिथा वुमन ऑफ़ द ईयर (Vanitha woman of the year) का अवॉर्ड मिला है।

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

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