Home Inspiring Women

मजदूर की 16 वर्षीय बेटी एक दिन के लिए कलक्टर बनी, अनेकों लोगों के पेंडिंग काम को निपटा दिया: पूरा पढ़े

2001 में अाई अनिल कपूर की फिल्म “नायक, द रियल हीरो” हम सबने देखी है। इस फिल्म में एक आम आदमी को संयोग से एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने का मौक़ा मिला था। फिल्म में अनिल कपूर ने सभी घुसपैठ और भ्रष्टाचारियों को उनके ग़लत कार्यों के लिए सजा दी। ये तो हुई फिल्म की बात। अब आज के कहानी की शुरुआत करते हैं। रियल लाइफ की यह कहानी नायक फिल्म के पर्दे की कहानी से मिलती जुलती है। यह एक लड़की की कहानी है जिसका नाम एम.सरवाणी है। इसे मात्र 16 वर्ष की उम्र में कलेक्टर के पद के लिए नियुक्ति मिली, वो भी 1 दिन के लिए तो इन्होंने क्या किया चलिए पढ़तें हैं इस बच्ची की कहानी।

मजदूरी करतें हैं एम.सरवाणी के पिता

एम. सरवाणी मात्र 16 साल की थी। तब इन्हें 1 के लिए कलेक्टर का पद मिला। इन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई आंध्रप्रदेश (Aandhra Pradesh) के  KGBV से सम्पन्न करीं है। इनके पिता खेतों में मजदूरी कर जीवन व्यतीत करतें।

M. Sharvani

बालिका भविष्यतु

लॉटरी सिस्टम के माध्यम से यह कार्य शुरू हुआ। जिसमें यह बात शामिल थी कि अगर कोई लॉटरी जीत जाएगा तो उसे कलेक्टर के पद और कार्य को संभालने का मौका मिलेगा। वहाँ के कलेक्टर के द्वारा एक प्रोग्राम को लॉन्च किया गया। जो “बालिका भविष्यतु” है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों में जागरूकता और लड़कियों के प्रति सम्मान लाने का था। ये सारा कार्य मीडिया से रिलेटेड लोगों के शामिल होने के दौरान हुआ।

यह भी पढ़े :- 28 कैंसर पीड़ित बच्चों को गोद लेकर गीता उन्हें एक माँ की तरह रखती हैं और उनका इलाज़ करवा रही हैं: Geeta Shreedhar

सौपा गया कार्य पूरा किया

मात्र 1 दिन के लिए जब एम. सरवाणी ने अपना पदभार सम्भाला तो इन्होंने कहा कि “हमारे आस-पास के क्षेत्रों की स्वच्छता और पशुओं की देखभाल पर ध्यान नहीं दिया गया है। इनका सपना शिक्षक बनने का है। इन्हें अपने कार्यकाल के वक्त एक कार्य सौंपा गया जिसमें 25 हज़ार रुपये एक महिला को मुआवजे के तौर पर देना था। यह महिला SC/ST से थी। सरवाणी ने पहले पूरी एकाग्रता के साथ इसे पढ़ा फिर उचित स्थान पर साइन कियें। इनके इस बुद्धिमान से किये गये कार्य को देख सब इनसे बहुत ही आकर्षित हुये।

महिलाओं के लिए किया आदेश जारी

यह इस कार्य में अकेली नहीं थी इनकी मदद के लिए 2 अन्य व्यक्ति मौजूद थे। आगे इन्होंने एक और फाइल पर साइन किया और यह आदेश दिया कि अगर कोई महिला अपने गृहस्थ जीवन के अतिरिक्त कोई अन्य कार्य से जुड़ी है तो वह सिर्फ दिन का ड्यूटी ही करेंगी। वह महिलाएं रात के 8 बजे से लेकर सुबह के 8 बजे के बीच कोई भी दफ्तर का कार्य नहीं करेगी।

सरवाणी ने यह सिद्ध किया कि किसी भी कार्य को करने के लिए अच्छे घर से होना मायने नहीं रखता। बस ज्ञान और साहस की जरूरत है। सरवाणी के द्वारा किये गए कार्यों की The Logically सराहना करता है।

Exit mobile version