पिछले एक दशक के भीतर ही अमेरिका की स्पेस एंजेसी नासा(National Aeronautics and Space Administration- NASA) मंगल ग्रह पर अपने कई यान भेज चुकी है। कई बार ये यान सफलता पूर्वक लैंड भी कर चके हैं लेकिन बहुत से मौके ऐसे भी आये जब नासा को असफलताओं का मुंह देखना पड़ा। ऐसे में एक बार फिर NASA अपने 1000 किलो वज़न वाले प्रर्ज़र्वेंस रोवर(Perseverance Rover) के साथ मंगल ग्रह स्थित ज़ेज़ेरो क्रेटर (Jazero Crator) पर सफल लैंडिंग करने के लिए तैयार है। ये रोवर मंगल की सतह पर संभावित पुराने मानव जीवन की जानकारी प्राप्त करेगा। नासा ने अपने इस मिशन को ‘MARS-2020’ नाम दिया है जो मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करने वाला है।
NASA यान 18 फरवरी को ज़ेज़ेरा क्रेटर पर कर सकता है लैंडिंग
इस अभियान में पूरी तरह सफलता हासिल करने के अपने उद्देश्य के साथ NASA अपने Perseverance Rover को 18 फरवरी को ज़ेज़ेरो क्रेटर (Jazero Crator) पर स्मूथ और परफेक्ट लैंडिंग कराने के लए पूरी तरह से तैयार है।
Perseverance Rover की परफेक्ट लैंडिंग के लिए ज़ेज़ेरो क्रेटर है सही जगह
स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक – “क्योंकि ज़ेज़ेरो क्रेटर लैंडिंग के लिए एकदम उपयुक्त जगह है और वहां हम कई एक्सपेरिमेंट्स (experiments) भी कर सकते हैं इसलिए Perseverance Rover को ज़ेज़ेरो क्रेटर पर ही लैंड करवाया जाएगा”
NASA के Perseverance Rover को भेजने के पीछे का मकसद क्या है
दरअसल, NASA के इस मिशन के पीछे का मकसद मंगल ग्रह पर कभी रहे जीवन के निशानों को खोजना है। तत्पश्चात मंगल ग्रह से मिट्टी व पत्थर के कुछ सैंपल्स धरती पर भी लाये जाएंगे जिससे की आने वाले समय में NASA अपने एक्सपेरिमेंट्स को और विस्तृत व सही रुप दे सके।
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रोवर के साथ एक छोटा इनज्योनिटी हेलीकॉप्टर भी भेजा जा रहा है
NASA के मिशन MARS-2020 की सबसे खास बात यह भी है कि मंगल स्थित ज़ेज़ेरो क्रेटर पर Perseverance रोवर के साथ-साथ एक छोटा इनज्योनिटी हेलीकॉप्टर (Ingenuity Helicopter) जिसका वज़न 2 किलो से भी कम है साथ भेजा जा रहा है जो मंगल की सतह पर अकेले उड़ान भरने की कोशिश करेगा। मंगल की सतह से 10फीट ऊंचा उठने के साथ ही ये हेलीकॉप्टर एक बार में 6 फीट तक आगे जाने की क्षमता रखता है। इस हेलीकॉप्टर को उड़ान भरवाने के लिए एक महीने का समय तय किया गया है।
कार्बनडायऑक्साइ से आक्सीज़न तैयार करना है रोवर और हेलीकाप्टर का मुख्य उद्देश्य
बता दें कि मंगल पर Perseverance मार्स रोवर और एनज्योनिटी हेलीकॉप्टर का मुख्य उद्देश्य कार्बनडायऑक्साइ से ऑक्सीज़न तैयार करना होगा ताकि भविष्य में जो भी एसट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जाये उन्हे वहां रहने में दिक्कते न आयें।
एक्सपेरिमेंट के लिए Jazero Crator को ही क्यों चुना गया
NASA एजेंसी के मुताबिक – “ज़ेज़ेरो एक सूखी प्राचीन झील का तल है जिसे मंगल पर सबसे पुराने व रोचक स्थान के रुप में देखा जा रहा है। बेशक ही हमें इस मिशन में सफलता हासिल होने वाली है”
एक मुश्किल टास्क साबित हो सकता है Jazero Crator पर लैंडिंग
NASA की जेट प्रोप्लेशन लेबोरेटरी (Propalation Laboratory) के प्रिंसिपल रोबॉटिक्स सिस्टम इंजीनियर एंड्र जॉनसन(Andr Johnson) के मुताबिक – “भले ही यहां सैंपल्स मिलने की उम्मीद बेहद ज़्यादा हो लेकिन ये भी नही भूलना चाहिए कि Jazero 28 मील चोड़ा है, जिसपर पहाड़, चट्टानी मैदान, रेत के पहाड़ और गढ़्ढे व दीवारे हैं ऐसे में न केवल 1000 किलो वज़न वाले Perseverance Rover को लैंड करवाना एक चैलेंज साबित हो सकता है बल्कि इनमें से किसी से भी रोवर टकरा जाने की स्थिति में पूरा मिशन फेल हो सकता है”
नेविगेशन कैमरों व माइक्रोफोन के साथ लैंड करेगा Perseverance रोवर
मंगल ग्रह संबंधी लगभग 60% मिशन में असफलता का सामना कर चुका NASA इस बार Perseverance रोवर को प्रोपर टेरेन रेलेटिव नेविगेशन(Tarren Relative Navigation) के इस्तेमाल के साथ लैंडिग करवाएगा। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस Perseverance रोवर में मेप के साथ-साथ नेविगेशन कैमरे व माइक्रोफोन (Navigation Cameras and Microphones) भी लगे हुए हैं। ऐसे में कैमरे से मिल रहे दृश्यों व आवाजों को रिकार्ड करके नेविगेशन के ज़रिये सटीक तौर पर मापा जाएगा। जिससे Jazero पर संभावित पठार, चट्टानों, गढ़्ढों व दीवारों से बचाकर लैंडिग करवाई जाएगी। Rover में सुपर सैनेटाइज़ सैंपल रिटर्न ट्यूबस(Sample Return Tubes) भी लगे हैं जिससे वहां स्थित चट्टानों से सैंपल इकठ्ठा करने में मदद मिलेगी जिससे मंगल पर प्राचीन काल में मानव जीवन के सबूत हासिल किये जा सकेंगे।
परमाणु ऊर्जा से संचालित होगा ये Perseverance रोवर
Perseverance रोवर की सबसे अनोखी बात यह है कि ये पूरी तरह से परमाणु ऊर्जा से संचालित होगा इसी उद्देश्य से प्लूटोनियम को इंधन(Plutonium Fuel) के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करने वाला है।
नेविगेशन कैमरों के ज़रिये NASA पहले भी सफलता हासिल कर चुका है
नेविगेशन कैमरों की मदद से NASA ने ऐस्टेरॉइड Bennu पर OSIRIS-Rex लैंड करवाया था। NASA का यह मिशन सफल साबित हुआ और अब 2023 में इसके वापस धरती पर लौटने की उम्मीद है।
मंगल पर 8 बार सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान लैंड करवा चुका है अमेरिका
अगर मंगल पर सफलता पूर्वक लैंडिंग की बात की जाये तो अभी तक अमेरिका एकमात्र ऐसा देश रहा है जिसने 8 बार मंगल पर सफलता पूर्वक अंतरिक्ष यान की लैंडिंग करवाई है। वर्तमान में नासा के 2 लैंडर – इनसाइड व क्यूरियोसिटी (Insight and Curiosity ) वहां संचालित हैं। बाकी 6 अंतरिक्ष यान मंगल की कक्षा में लाल ग्रह (Red Plant) की तस्वीरें ले रहे हैं। जिनमें अमेरिका से 3, यूरोपीय देशों से 2 और भारत से 1 यान है। हांलाकि चीन ने भी रुस के सहयोग से 2011 में प्रयास किया था पर वह नाकाम रहा।
इनज्योनिटी हेलीकॉप्टर की सफलता की दशा में रोबोट्स व अंतरिक्ष यात्रियों को भी मंगल पर भेजे जाने की संभावना
इनज्योनिटी हेलीकॉप्टर की लीड इंजीनियर निनी आर्गं (Ninni Aarngh) के मुताबिक – “अगर ये छोटा इनज्योनिटी हेलीकॉप्टर एक महीने के भीतर अपने उद्देश्य में सफलता हासिल कर लेता है तो भविष्य में इस एनज्योनिटी हेलीकॉप्टर के ज़रिये मंगल पर रोबोट्स व अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की संभावनाएं अत्यधिक बढ़ जाती हैं”
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