अक्सर ज्यादातर पुरुषों को हीं किसी होटल और रेस्टोरेंट में शेफ के रूप में देखा जाता है। देश और दुनिया के कई नामचीन होटलों में पुरुष ही हेड शेफ हैं, इसके बावजूद आज भी घर में खाना बनाने का काम तथा घर के साफ-सफाई का काम सिर्फ और सिर्फ महिलाओं का ही माना जाता है।
सुबह से लेकर रात तक घर का काम करते-करते महिलाएं अपने शरीर को आराम देना हीं भूल जाती है। जिस कारण उन्हे पुरुषों के मुकाबले कम नींद मिल पाती है।
आज हम एक ऐसी बच्ची की बाते करेंगे, जिसने अपने मां को आराम देने के लिए इस समस्या का समाधान एक तकनीकी रास्ता के जरिए निकाला है।
कौन है वह होनहार बच्ची?
हम मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के होशंगाबाद के पिपरिया के पास डोकरीखेड़ा गांव में रहने वाली 14 वर्षीया नवश्री ठाकुर (Navshree Thakur) की बात कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी मां के रसोई के काम को आसान करने के लिए एक ऐसा मशीन बनाया है, जो रसोई के आठ कामों को कर सकती है।
नवश्री के द्वारा बनाए गए मॉडल को मिला देशभर में प्रथम स्थान
मध्य प्रदेश की होनहार बिटिया 14 वर्षीया नवश्री ठाकुर (Navshree Thakur), गर्ल्स हाई स्कूल, पिपरिया की 10वीं कक्षा की छात्रा हैं। उन्होंने अपने स्कूल में पढ़े विज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग करके रसोई में काम करने वाली मशीन को बनाया है। उनके द्वारा बनाए गए इस मशीन के मॉडल को देशभर में प्रथम स्थान मिला है। इतना हीं नहीं, इस मशीन को बनाकर नवश्री ने ‘युवा आविष्कारक’ की पहचान भी हासिल की है।
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मां को रसोई में आराम देने के लिए किया मशीन का अविष्कार
नवश्री (Navshree Thakur) बताती हैं कि, “मेरे माता-पिता खेतों में मजदूरी का काम किया करते हैं, जिसके वजह से उन्हें सुबह 8 बजे घर से निकलना होता है। मेरी मां सुबह 4 बजे हीं घर के काम करने के लिए उठती हैं लेकिन फिर भी 8 बजे तक घर का पूरा काम खत्म नहीं होता। मैं और मेरी बड़ी बहन अपनी मां के काम में मदद करने की कोशिश करते हैं लेकिन स्कूल घर से दूर होने के कारण हमे भी सुबह जल्दी हीं स्कूल के लिए निकलना होता है।”
उन्होंने (Navshree Thakur) आगे बताया कि, “जब मेरी मां शाम को खेतों से वापस आती हैं तो फिर घर के कामों में लग जाती हैं और हम पढ़ाई के कारण उनका हाथ नहीं बटा पाते। इसलिए मैं हमेशा सोचती थी कि, घर का कई काम एक साथ करने के लिए कोई मशीन होनी चाहिए।”
अपनी स्कूल की शिक्षिका के मार्गदर्शन में बनाया यह मशीन
नवश्री (Navshree Thakur) ने अपनी विज्ञान शिक्षिका आराधना पटेल (Aradhana Patel) के मार्गदर्शन में इस अनोखी मशीन का आविष्कार किया है। उनकी शिक्षिका आराधना पटेल बताती हैं कि, “नवश्री हमेशा से पढ़ाई में बहुत अच्छी रही है। लेकिन कभी-कभी वे स्कूल में लेट से पहुंचती थी और कारण पूछने पर बोलती थी कि घर पर माँ की रसोई में थोड़ी-बहुत मदद करनी होती है। इस प्रकार इस समस्या से निपटारे के लिए हमे इस मशीन को बनाने का आइडिया मिला।”
आराधना पटेल (Aradhana Patel) ने आगे बताया कि, स्कूल को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के INSPIRE अवॉर्ड का नोटिफिकेशन मिला। मैने नवश्री के आईडिया को प्रतियोगिता के लिए भेज दिया और इस आईडिया को एक ही बार में सलेक्ट कर लिया गया।
क्या है इस अनोखी मशीन की विशेषताएं?
शिक्षिका आराधना पटेल (Aradhana Patel) ने बताया कि, इस मशीन को बनाने में लकड़ी और स्टील के बर्तन जैसे थाली का इस्तेमाल किया गया है। इस मशीन को हाथ से चलाया जा सकता है, जिससे बिजली या अन्य खर्च नहीं लगता है।
उन्होंने (Aradhana Patel) आगे बताया कि, इस मशीन की मदद से रोटी बेलने, सब्जी काटने, जूस निकालने, मसाले दरदरे करने जैसे आठ काम किए जा सकते हैं। इसके अलावें मशीन में लगने वाले सांचे बदलकर और भी बहुत से काम आप कर सकते हैं।
• आप इस मशीन से पापड़ तथा पानीपूरी बना सकते हैं।
• इससे लहसुन, अदरक भी कुचल सकते हैं।
• इस मशीन से हम सब्जी-फल काट सकते हैं तथा जूस भी निकाल सकते हैं।
• इससे सेव भी बना सकते हैं।
• हम इस मशीन से नारियल या अखरोट तोड़ सकते हैं।
• इससे चिप्स भी बना सकते हैं।
बता दें कि, इस मशीन की मदद से गोभी को आप एक ही बार में इससे काट सकते हैं तथा एक साथ कई आलू भी काट सकते हैं। इसके अलावें आप रोटी बेलने के बजाय नीचे फ्लैप पर आटे की लोई को रखें और फिर ऊपर वाले फ्लैप को इस पर रखें, फिर हैंडल से इन्हें दबा दें। फिर देखें, आपकी गोल सेप में रोटी तैयार हो जाएगी और फिर इसे आप सेक सकते हैं।
इस मशीन को बनाने में कितना समय लगा
नवश्री (Navshree Thakur) कहतीं हैं कि, इस मशीन को तैयार होने में लगभग तीन महीने का समय लगा। हमने इस मशीन में सागौन की लकड़ी का इस्तेमाल किया है तथा इसे बनाने में लगभग 3000 रुपए का खर्च आया। जब हमारा मशीन बनकर तैयार हो गया तो मैंने अपने घर पर इसका ट्रायल लिया और मशीन का ट्रायल बहुत ही अच्छा रहा।
‘इंस्पायर अवॉर्ड’ से हुई सम्मानित
नवश्री (Navshree Thakur) के मशीन को सबसे पहले उनके स्कूल में और फिर जिला स्तर की प्रतियोगिता में चयनित किया गया। इसके बाद, भोपाल में भी इसे प्रतियोगिता के लिए चुना गया और अब उनकी मशीन ने राष्ट्रीय स्तर का सम्मान ‘इंस्पायर अवॉर्ड’ हासिल किया है। जल्द हीं वे राष्ट्रपति के हाथों से अपना पुरस्कार लेने दिल्ली भी आएंगी।