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पेट पालने के लिए खाना पड़ा गुरुद्वारा में लंगर, आज टोक्यो ओलंपिक्स में पहुंचकर पाई सफलता: प्रियंका गोस्वामी

हम किसी की सफलता को देख खुश होते हैं, लेकिन उनके संघर्ष को नहीं जान पाते। आज भले ही प्रियंका गोस्वामी (Priynka Goswami) टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतकर अन्य युवाओं के लिए उदाहरण बनी हैं लेकिन उन्होंने इसके लिए बहुत संघर्ष किया है, और लंगर की रोटियां खाकर खुद को तैयार किया है।

प्रियंका गोस्वामी (Priynka Goswami) का जन्म 10 मार्च 1996 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हुआ था। आज उनकी पहचान एथलीट के रूप में है लेकिन जब उन्होंने अपने सपने को उड़ान देना शुरू किया तो उनके पैरेंट्स को उनके खिलाफ तक भड़काया गया।

Priyanka Goswami athelete in Tokyo Olympic earlier eats Langer in gurudwara

प्रियंका 14 वर्ष की उम्र की थी तब पिता ने खोया अपनी नौकरी

प्रियंका गोस्वामी मात्र 14 वर्ष की थी, तब ही उनके पिता की नौकरी चली गई और लगभग 10 वर्षों तक उन्हें वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह देश के लिए हमेशा से कुछ करना चाहती थीं, लेकिन अपने घर की स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने पैरेंट्स से कुछ नहीं कहा। स्कूल में जब प्रियंका पढ़ाई कर रही थी तो वहां कोच ने उनसे पूछा कि क्या तुम्हें खेल पसंद है, तो उन्होंने उत्तर दिया हां। इसके उपरांत उन्होंने ट्रैक पर दौड़ना प्रारंभ किया। वर्ष 2019 में उनका नामांकन मेरठ की कैलाश प्रकाश खेल स्टेडियम में हुआ और एथलीट बनने का सफर प्रारंभ हुआ और टोक्यो ओलंपिक तक पहुंच गया।- Priyanka Goswami athelete in Tokyo Olympic

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टैक्सी चलाकर पिता ने किया बेटी के सपनों को पूरा

प्रियंका के पिता का नाम मदनपाल गोस्वामी और मां अनिता गोस्वामी है। उनका एक भाई कपिल है। वर्ष 2006 में जब प्रियंका गोस्वामी अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर से मेरठ आई तो यहां ये सब खुशहाल जीवन व्यतीत कर रह थे। तब तक वर्ष 2010 में तो यहां इनके पिता को नौकरी से निकाल दिया गया। तब मदनपाल ने टैक्सी चलना शुरू किया ताकि वह प्रियंका के सपने पूरा कर सकें।- Priyanka Goswami athelete in Tokyo Olympic

आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण शाम में खाया करती थी गुरुद्वारा में लंगर

जब प्रियंका का नामांकन मेरठ के कैलाश प्रकाश खेल स्टेडियम में हुआ तब बहुत से लोगों ने उनके पैरेंट्स को समझाया कि प्रियंका जो कर रही है, वह गलत है लेकिन उन्होंने उनके पिता ने किसी की बात नहीं सुनी क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी की आंखों में अपने सपनों को देखा था। वर्ष 2011 में प्रियंका ने पटियाला की नेताजी सुभाष चंद्र बोस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में नामांकन लिया ताकि वह अपनी तैयारी अच्छी तरीके से कर सकें। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी जिस कारण वह सुबह का खाना घर से खाती और शाम को लंगर में खाने के लिए पहुंच जाती।- Priyanka Goswami athelete in Tokyo Olympic earlier eats Langer in gurudwara

ओलपिंक में अपना स्थान बनाया

वर्ष 2021 के 13 फरवरी को उन्हें रांची में आयोजित नेशनल पैदल चाल चैंपियन में हिस्सा लेने का मौका मिला। उन्होंने इसमे सफलता हासिल कर नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 20 किलोमीटर की पैदल चाल 1 घण्टा 28 मिनट और 45 सेकेंड में पूरा कर ओलपिंक में अपना स्थान बनाया। इससे पहले ओलम्पिक का यह रिकॉर्ड भावना जाट जो कि राजस्थान की हैं उन्होंने बनाया था। अब प्रियंका आगे की तैयारी में लगी हैं क्योंकि उन्होंने अपने पिता जी से यह वादा किया है कि वह अब ओलंपिक में पदक हासिल करने का है। – Priyanka Goswami athelete in Tokyo Olympic earlier eats Langer in gurudwara

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