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कॉलेज की फीस भरने के लिए इंजीनियरिंग स्टूडेंट हुई मजबूर, मनरेगा में करने लगी मजदूरी

“कुछ कर गुजरने का जुनून जहां होता है, वहां जिंदगी रहती है, खुदा होता है! इस पंक्ति को चरितार्थ कर दिया है ओडिशा के पुरी में रहने वाली इंजीनियरिंग की छात्रा रोजी बेहरा (Rosy Behera) ने। आर्थिक तंगी होने के बावजूद भी पढ़ाई को जारी रखते हुए सपनों को सच करने की मंशा से रोजी आगे बढ़ रही थी। लेकिन फीस न भरने की वजह इस बीच अहम रोड़ा बन गई।

फीस चुकाने के लिए करनी पड़ी मजदूरी

कहते हैं न होनहार मुश्किलों के आने से झुकते नहीं बल्कि उसका हल ढूंढ लेते हैं। रोजी कॉलेज में जबतक पूरी फीस नहीं जमा करती तबतक उन्हें डिप्लोमा नहीं मिलता। इसलिए पैसों का जुगाड़ करने के लिए मनरेगा मजदूर के तौर पर मिट्टी ढोने का काम शुरू कर दिया।

Rosy Behera turned daily wage worker

बेटियों को शिक्षा के लिए संघर्ष कबतक करना होगा?

जहां एक ओर देश “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के नारे को बढ़ावा दे रहा। हाल ही में 72 वें गणतंत्र दिवस परेड में भी बेटियों के लिए शिक्षा के अधिकार का संदेश मिला। लेकिन बावजूद देश में ऐसे कई कोने हैं जहां रोजी जैसी कई बेटियां शिक्षा जो सभी का मूल अधिकार है उससे नदारद हैं।

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मैट्रिक में अच्छे नंबर मिले तो सरकार ने दी स्कॉलरशिप

जानकारी के मुताबिक रोजी ने साल 2016-2019 सत्र में Barunei Institute of engineering and technology (BIET) Khordha,से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कोर्स करने के लिए उन्हें सरकार की ओर से स्कॉलरशिप की मदद मिली थी। लेकिन बस और हॉस्‍टल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे।

मजदूरी कर रोज़ाना 207 रुपए कमा लेती हैं!

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रोजी मनरेगा मजदूर (MGNREGA) तौर पर रोजाना करीब 207 रुपए की कमाई कर रही हैं, जबकि कॉलेज से डिप्लोमा लेने के लिए उन्हें लगभग 44 हजार रुपए की जरूरत है। रोजी पुरी जिले के पिपली ब्‍लॉक के गोराडापिढ़ा गांव में मिट्टी ढोने का काम कर अपने डिप्लोमा के लिए एक-एक रुपए जोड़ रही हैं। रोजी के पिता भी एक मजदूर हैं जिस वजह से बड़ी मुश्किल से उनके घर का खर्च चलता है।

जब रोजी की कहानी लोगों के सामने आई

रोजी की कहानी अब दुनिया के सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है, हाल ही में देलांग ब्‍लॉग के वेल्‍फेयर एक्‍टेंशन ऑफ‍िसर रोजी से मिलने पहुंचे थे। अधिकारी ने कहा, रोजी वित्तीय स्थिति के कारण अपने कॉलेज की फीस का भुगतान नहीं कर सकीं। उन्होंने डिप्लोमा प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया है। हम इस मामले को देखेंगे।

भविष्य के लिए जगी आशा की किरण

रोजी को चीफ मिनिस्टर फंड से 30 हजार राशि की मदद मिली है। जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन ने ट्वीट कर दी। आगे की पढ़ाई के लिए भी हर संभव मदद करने के लिए प्रशासन ने आश्वस्त किया है।

The logically रोज़ी और उनके जैसे अनेक बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित और शुभकामनाएं देता है।

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