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लॉकडाउन में भूखे रहने की नौबत आ गई थी, अब जरूरतमन्दों को मात्र 30 रुपये में भरपेट भोजन कराते हैं

एक तरफ दिन-ब-दिन बढ़ती महंगाई की मार दूसरा कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र लगा लॉकडाउन। जहाँ आर्थिक रुप से समर्थ लोगों के लिए यह समय परिवार के साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड करने, घर रहकर इंज्वॉय करने व नई-नई फूड रेसिपीज़ ट्राई करने के तौर पर समझा गया। वहीं दूसरी ओर, निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए यह समय मानों सर पर पहाड़ टूटने के समान रहा। आजीविका कमाने के रास्ते बंद हुए तो रोटियों के फाक्के भी पड़ने लगे। कैसे परिवार चलाएं ?, कैसे दो जून की रोटी खाएं ? बस यही फिक्र रात-दिन सताये रहती थी।

इन सभी विषम परिस्थितियों में इंदौर (Indore) के रहने वाले शिवम सोनी (Shivam Soni) गरीबों की मदद करने के लिए एक मसीहा के रुप में सामने आये। शिवम इंदौर में ‘हंगर-लंगर’(Hunger Langer) नाम से एक फूड स्टॉल चला रहे हैं। वर्तमान में महंगाई से बेहाल गरीबों व लॉकडाउन के चलते आर्थिक रुप से अशक्त हो चुके लोगों को केवल 30 रुपये में भोजन खिला कर वे वाकई एक सराहनीय काम कर रहे हैं।

hunger lunger

केवल 30 रुपयों में लोगों को भोजन करा रहा है ‘हंगर-लंगर’

इंदौर में चलने वाला ‘हंगर-लंगर’ नाम का यह फूड स्टॉल मंहगाई के इस जमाने में केवल 30 रुपयों में लोगों को भर पेट भोजन करा रहा है।

आपबीती से प्रेरित होकर शुरु किया ‘हंगर-लंगर’ फूड स्टॉल

‘हंगर-लंगर’ स्टॉल के मालिक शिवम सोनी कहते हैं कि – “लॉकडाउन का समय इतना संकट भरा था कि इस दौरान मैंने भी भोजन के संकट का सामना किया, बस उन्ही परिस्थितियों से प्रेरित होकर इस ‘हंगर-लंगर’ स्टॉल की शुरुआत की, जहां कम कीमत पर गरीब व असहाय लोग भोजन कर सकें”

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पैसे के अभाव में घर और बिजनेस दोनों बेचना पड़ा था शिवम को

एक दौर वह भी आया जब कमज़ोर आर्थिक स्थिति व भोजन के संकट ने 23 साल के शिवम सोनी को वह दिन भी दिखाये जब उन्हे मध्य प्रदेश स्थित सागर जिले में अपना घर और बिजनेस दोनों बेचने पड़े।

नई उम्मीद लिये इंदौर का रुख भी किया शिवम ने

शिवम कहते हैं – “लॉकडाउन से पहले मध्य प्रदेश के सागर जिले में मेरा ‘स्टेट 16’ नाम से एक रेस्टोरेंट और टिफिन सेंटर चल रहा था, जिसमें भारी आर्थिक नुकसान होने के चलते भोजन का संकट आने लगा था। एक दिन इन्हीं परेशानी भरे हालातों के बीच मेरी नज़र इंदौर की बस पर पड़ी और एक नई उम्मीद के साथ मैं उस बस में चढ गया तब मार्च 2020 था, लेकिन तभी लॉकडाउन लग गया। इस दौरान न केवल मुझे खाने-पीने की दिक्कत हुई बल्कि सड़क पर भी सोना पड़ा, लेकिन एक अच्छी बात ये रही कि मुझे इंदौर के लोगों से काफी सहयोग भी मिला, जिसकी वजह से मुझे सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी मिल गई”

गुरुवार को फ्री चलता है ‘हंगर-लंगर’ स्टॉल

शिवम कहते हैं- “इंदौर से मुझे प्यार और सहयोग दोनों मिला। लेकिन इस दौरान मैंने गरीब लोगों में खाने-पीने की परेशानी भी देखी, मुझे लगा कि यहां के लोगों के लिए कुछ करना चाहिए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने 20-30 हज़ार रुपये जोड़कर ‘हंगर लंगर’ स्टॉल की शुरुआत की। यहां बहुत कम कीमत पर खाने की चीज़े दी जाती हैं, हर गुरुवार फ्री में भी लंगर चलाया जाता है, जिसके पास जितना पैसा है वो दे, नही है तो न दे और मुफ्त में भरपेट खाना खाये”

कर्ज और लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थितियों से मैंने बहुत कुछ सीखाः शिवम

बिजनेस में हुई हानि और लॉकडाउन ने शिवम की ज़िदगी के मायने बदल दिये हैं वे कहते हैं – “नवंबर 2020 के बाद मेरी ज़िंदगी में कई सकारात्मक बदलाव आये हैं, रोज़ सुबह 4 बजे उठकर सब्जी और अन्य सामान लाना, फूड आइटम तैयार करना और लोगों को सर्व करना अब हमारा डेली रुटीन बन गया है जिससे हम खुश भी हैं, हंगर लंगर स्टॉल खड़ा करने में मुझे अपने दोस्तों और परिवार के हरेक सदस्य का भरपूर सहयोग मिला है, एक समय था जब मुझ पर बहुत कर्ज था जिसकी वजह से हमें अपना घर तक बेचना पड़ा, इन्ही चीज़ों ने मुझे प्रेरित किया कि हालात कैसे भी हों हमे हार नही माननी चाहिए”

अर्चना झा दिल्ली की रहने वाली हैं, पत्रकारिता में रुचि होने के कारण अर्चना जामिया यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब पत्रकारिता में अपनी हुनर आज़मा रही हैं। पत्रकारिता के अलावा अर्चना को ब्लॉगिंग और डॉक्यूमेंट्री में भी खास रुचि है, जिसके लिए वह अलग अलग प्रोजेक्ट पर काम करती रहती हैं।

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