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बिहार से निकली भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट, जिसने पूरे राष्ट्र का मान बढ़ाया: Shivangi Singh

एक समय था जब महिलाओं के कदम सिर्फ घर के आंगन तक ही सीमित थे लेकिन बदलते जमाने के साथ विकसित सोच ने इन कदमों को घर की चौखट लांघने का मौका दिया। अब ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां पर महिलाओं ने अपना लोहा न मनवाया हो।

नेवी में नए दौर की शुरुआत

बात करे डिफेंस क्षेत्र की तो नेवी में किसी महिला पायलट का दिखना आम बात नहीं है। इसके पीछे काफी संघर्ष छिपा है। यह बात इंकार नहीं की जा सकती कि भारतीय डिफेंस फोर्सेस में महिलाओं को बराबरी का मौका दिए जाने की बहस काफी लंबे समय से चलती आ रही है। बहरहाल काफी सुधार भी आया है, हाल ही में इंडियन नेवी ने सब लेफ्टिनेंट कुमुदनी त्यागी और सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह को नेवल क्रू के तौर पर तैनात करने का फैसला किया था। इसे नेवी का नया दौर ही साझिए।

Shivangi Singh first female pilot in Indian Navy

छोटे गांव की लड़की नौसेना में हुई शामिल

इससे पहले बिहार के मुजफ्फरपुर की शिवांगी सिंह भारतीय नौसेना में पहली महिला पायलट बनी। 2 दिसंबर 2019 को उन्हें अधिकारिक तौर पर नौसेना में पायलट के रूप में शामिल कर लिया गया था।

शिवांगी ने बीबीसी से अपनी कहानी साझा करते हुए बताया था कि “वह महज 10 साल की थी जब उनके गाँव में एक नेता हेलिकॉप्टर से आए थे। किसी आम लड़की की तरह वह भी अपने नाना के साथ उन्हें देखने गई थी। नाज़ुक कदमों और नन्ही आंखों ने तभी पायलट बनने का सपना देख लिया था”।

इतना आसान भी नहीं था सबकुछ

शिवांगी के लिए यह सब कुछ इतना आसान भी नहीं था। मणिपाल इंस्टिट्यूट से एमटेक की पढ़ाई करते हुए उन्होंने एसएसबी की परीक्षा दी लेकिन वो उसमें असफल रहीं। फिर मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से एमटेक के कोर्स में दाखिला लिया और 2018 में एक बार फिर उन्होंने एसएसबी का एग्जाम दिया और वो सफल रहीं।

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उन्होंने छह महीने कोच्चि में इंडियन नेवल एयर स्क्वॉड्रन 550 के साथ डोर्नियर 228 एयरक्राफ्ट को उड़ाना सीखा। फ़िलहाल वो नौसेना में डोर्नियर 228 उड़ा रही जो एयरक्राफ्ट नौसेना में पेट्रोलिंग के काम आता है।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए डिफेंस दोहरा संघर्ष

1992 तक नौसेना में महिलाएं केवल स्वास्थ्य सेवाओं में प्रवेश पाती थीं। आज से दो दशक पहले लॉजिस्टिक काडर, कम्युनिकेशन सेंटर की जिम्मेदारी तक ही महिलाओं को संतोष करना पड़ता था। लेकिन अब वह युद्धपोत से लेकर पायलट के तौर पर नियुक्त की जा रहीं हैं।

जाहिर है पुरुष प्रधान स्थान पर महिलाएं ज्यादातर जांच के दायरे में आती हैं। यह मानसिकता सभी जगह मौजूद है फिर चाहे वो सशस्त्र बल हो या सबसे बड़ी नागरिकों की आबादी। लेकिन इस कारण महिलाओं को दस गुना प्रेशर झेलना पड़ता है। खासकर की तब, जब वो सामान्य महिलाओं से हटकर कुछ करने की ओर बढ़ती हैं। डिफेंस में महिलाओं के सामने यह सब अभी भी एक चैलेंज है।

अन्य महिलाओं में आशाओं की उम्मीद बरकरार

मुझे खुशी है कि भारतीय नौसेना के दरवाजे अब महिलाओं के लिए भी खुल चुके हैं खासकर उन चुनौतीपूर्ण कामों के लिए जिनके लिए नेवी को जाना जाता है। पर अभी इस पर और भी अधिक काम करना शेष है। भारत सरकार ‘नारी शक्ति’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियानों की बात तो करती है लेकिन रक्षा मंत्रालय के अनुसार नौसेना में महज 6.7 प्रतिशत महिला अफ़सर हैं।

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