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पिता ने पेंटिंग मजदूरी कर बेटी को पढाया, अब UGC-NET क्वालीफाई कर बेटी ने मान बढ़ाया

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सुरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते।

रामधारी सिंह दिनकर की यह कविता बिल्कुल सही और काफी प्रेरणादाई है। मनुष्य के जीवन में आनेवाली कोई भी चुनौती बहादुर को उसके मार्ग से विचलित नहीं कर सकती है। संघर्ष ही सफलता की पहली सीढ़ी है। जीवन में बिना कठिन परिश्रम किये कामयाबी का स्वाद नहीं चखा जा सकता है। संघर्ष से कामयाबी हासिल करने की कहानियां दूसरों को भी उसके लक्ष्य को पाने के लिये प्रेरित करती हैं।

कई बार लोग अपनी गरीबी का हवाला देकर अपने कदम पीछे खींच लेते हैं लेकिन जिसके सर पर कुछ कर गुजरने की धुन सवार हो, वह किसी भी प्रकार की कठिनाई, चुनौती व संघर्ष से विचलित नहीं होता है। वह उन सभी समस्याओं का सामना करते हुये आगे बढ़ते जाता है।

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आज आपको एक ऐसी लड़की की संघर्ष भरी कहानी के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होगा जिसने अत्यंत गरीबी का सामना करते हुये पहले ही प्रयास में UGC NET क्वालिफाई किया है। उसने सफलता हासिल कर के अपने पिता का सर गर्व से ऊंचा कर दिया है।

शोभा आर्य (Shobha Arya) उत्तराखंड (Uttarakhand) के अल्मोड़ा जिले के राजपुरा क्षेत्र के अत्यंत गरीब परिवार से संबंध रखती हैं। शोभा के पिता का नाम ललित प्रसाद आर्य (Lalit Prasad Arya) है तथा उनकी माता का नाम गीता देवी (Gita Devi) है। शोभा के पिता एक पेंटर है। वह किसी भी तरह मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण करते हैं। उनकी माता एक गृहिणी है। शोभा को बचपन से ही काफी अभाव का सामना करना पड़ा।

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अभाव में जीवन जीने के बावजूद पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट परीक्षा में सफलता हासिल की

शोभा के पिता मेहनत-मजदूरी कर के किसी भी प्रकार से अपने घर-परिवार का भरण-पोषण करते थे। सभी प्रकार के मुश्किलों के बाद भी उन्होंने शोभा के पढाई में किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं आने दी। शोभा भी अपने पिता के संघर्ष को समझते हुये पूरे मन से मेहनत करती थी। एक वक्त था जब शोभा को लैंप से पढ़कर परीक्षा देनी पड़ी थी। शोभा की मेहनत का परिणाम आज सबके सामने है। शोभा ने पहले ही प्रयास में यूजीसी नेट परीक्षा में सफलता हासिल करके इतिहास रच दिया है। शोभा के इस सफलता के पीछे उनके गरीब माता-पिता के संघर्ष भी छिपे हुए हैं। उनकी इस सफलता से उनके पिता अपने आप को गर्वित महसूस कर रहे हैं तथा परिवार में खुशी का माहौल है।

आर्थिक तंगी होते हुए भी पिता ने कभी भी बच्चों की पढ़ाई से समझौता नहीं किया

शोभा के पिता ललित प्रसाद आर्य ने बताया कि आर्थिक परेशानीयां होने के बावजूद भी वह अपने चारों बच्चों को हमेशा स्कूल भेजते थे। उन्होंने इस बात को हमेशा ध्यान रखा कि बच्चों को पढाई में कोई कमी न हो। इसके अलावा शोभा हमेशा से ही टॉपर रही है। इससे पहले वह SSJ कैम्पस अलमोड़ा से B.A और M.A में अपने कॉलेज में टॉप कर चुकी हैं। शोभा ने इण्टरमीडिएट की परीक्षा में भी अपने स्कूल में टॉप किया था। वर्तमान में शोभा कुमाऊँ यूनिवर्सिटी से PhD कर रही हैं।

शोभा ने सफलता हासिल कर सभी संघर्षशील लोगों के लिये एक मिसाल कायम किया है। The Logically शोभा आर्य (Shobha Arya) को उनकी सफलता के लिये बधाई देता है।

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